इसराइल से एक बैदुइन गाँव की बेदख़ली और विध्वंस को रोकने की पुकार
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त दो स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा है कि इसराइल को फ़लस्तीन के नक़ाब रेगिस्तानी इलाक़े में यहूदी-मात्र बस्तियाँ बसाने के लिये, एक बैदुइन गाँव को ध्वस्त करने की योजनाओं पर लगाम लगानी होगी, क्योंकि इस गाँव के ध्वस्त होने से सैकड़ों स्थानीय निवासी विस्थापित हो जाएंगे.
संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर फ़र्नाण्ड डी वैरेनेस और बालाकृष्णन राजगोपाल ने कहा है कि इसराइल के इस क़दम के कारण, अल्पसंख्यक समुदाय को ऐसा नुक़सान होगा जिसकी भरपाई नहीं की जा सकेगी.
UN human rights experts urged 🇮🇱 to stop the eviction & demolition of a village in #Israel that will forcibly displace 500 Bedouins, which could cause "irreparable damage" to their traditions, livelihoods, cultural practices, & relationship to the land. https://t.co/VzHppqItSB pic.twitter.com/Li5iYgIt4s
UN_SPExperts
उन्होंने आगाह करते हुए कहा है, “नक़ाब में रहने वाले हज़ारों बैदुइन इसराइली नागरिक, अपने घरों से बेदख़ल किये जाने के जोखिम का सामना कर रहे हैं, जिसके बाद वहाँ यहूदी-मात्र बस्तियाँ सैनिक अड्डे और अन्य प्रमुख ढाँचागत परियोजनाएँ बनाए जाएंगे, जिनमें इन मूल बैदुइन लोगों और उनके विकास हितों को भुला दिया जाएगा.”
तत्काल बेदख़ली का जोखिम
यूएन मानवाधिकारों ने रास ज्राबाह गाँव के 500 बैदुइन निवासियों के बारे में विशेष चिन्ता व्यक्त की है, जिसे इसराइल अधिकारी, आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं देते हैं, वहाँ के लोग तत्काल बेदख़ली के जोखिम का सामना कर रहे हैं.
इसराइली भूमि प्राधिकरण (ILA) ने वर्ष 2019 में 127 घरों के ख़िलाफ़ बेदख़ली के लिये, 10 नोटिस जारी किये थे.
मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि इसराइल इन निवासियों को उनके घरों से बाहर निकालने की कार्रवाई करके, उन्हें ख़स्ताहाल बैदुइन-मात्र बस्तियों में भेजने की योजना बना रहा है, ताकि वहाँ दिमोना नामक यहूदी बहुल शहर का विस्तार किया जा सके.
नक़ाब इलाक़े के मुख्य शहर बीर शेवा में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पिछले महीने, इस मामले की सुनवाई की थी.
परम्परागत जीवन शैली ख़तरे में
यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि इसराइल सरकार यहाँ के निवासियों को अवैध क़रार देती है, जबकि दरअसल, बैदुइन अल्पसंख्यक समुदाय के ये लोग, वहाँ पीढ़ियों से रहते आए हैं.
इन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने इसराइल सरकार से, बैदुइन निवासियों की बेदख़ली और उनके घरों को ढहाए जाने की कार्रवाई को तुरन्त रोकने की पुकार लगाई है, क्योंकि इस बेदख़ली से उनकी परम्परागत जीवन शैली व उनकी आजीविकाओं, सांस्कृतिक प्रथाओं, और उनकी ज़मीन से उनके नाते को ऐसा नुक़सान पहुँचेगा जिसकी भरपाई नहीं हो सकेगी.
ये दो मानवाधिकार विशेषज्ञ पहले भी, इसराइल में बैदुइन लोगों को निशाना बनाकर की जाने वाली जबरन बेदख़ली और उनकी सम्पत्ति को ढहाए जाने के मुद्दे उठा चुके हैं.
उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए कहा है कि इसराइली सरकार ने अभी इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, और बैदुइन अल्पसंख्यकों को बुनियादी मानवाधिकारों का हनन जारी है. मगर इस मुद्दे पर इसराइली अधिकारियों के साथ सम्वाद क़ायम हैं.
स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ
रैपोर्टेयर फ़र्नाण्ड डी वैरेनेस, अल्पसंख्यक मुद्दों पर विशेष रिपोर्टेयर हैं और उनकी नियुक्ति, यूएन मानवाधिकार परिषद ने, जून 2017 में की थी.
बालाकृष्णन राजगोपाल, मई 2020 से, उपयुक्त आवास के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर के रूप में काम कर रहे हैं.
विशेष रैपोर्टेयर और अन्य स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों को, मानवाधिकार परिषद से काम करने का शासनादेश (Mandate) प्राप्त होता है और वो किसी ख़ास विषय या किसी देश में स्थिति के बारे में रिपोर्ट सौंपते हैं.
ये अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं और यूएन स्टाफ़ नहीं होते हैं, और उन्हें उनके काम के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन भी नहीं मिलता है.