इसराइल द्वारा पश्चिमी तट में घर ढहाने से, बच्चों सहित अनेक फ़लस्तीनी बेघर

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता संयोजन कार्यालय (OCHA) ने ख़बर दी है कि फ़लस्तीनी क्षेत्र पश्चिमी तट में इसराइली अधिकारियों द्वारा फ़लस्तीनी लोगों के अनेक घर और अन्य ढाँचे ढहा दिये हैं जिसके कारण 73 फ़लस्तीनी बेघर हो गए हैं जिनमें 41 बच्चे हैं. हमसा अल बक़ाई इलाक़े में हुई इसराइली कार्रवाई में फ़लस्तीनियों का सामान भी नष्ट किया गया है.
यूएन मानवीय सहायता एजेंसी -OCHA के अनुसार इसराइली अधिकारियों ने मंगलवार को 76 ढाँचों को ध्वस्त किया. लगभग एक दशक के दौरान एक ही घटना में, इतनी बड़ी संख्या में फ़लस्तीनियों के घरों को ढहाए जाने का यह पहला मामला है.
#WestBank witnesses largest demolition in years | A statement by @YvonneHelle, the #Humanitarian coordinator 𝘢𝘥 𝘪𝘯𝘵𝘦𝘳𝘪𝘮: https://t.co/7l19t41ZRi pic.twitter.com/7XbgidZXE9
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इसराइल द्वारा क़ब्ज़ा किये हुए फ़लस्तीनी क्षेत्र के लिये मानवीय सहायता संयोजक युवनी हेले ने बुधवार को एक वक्तव्य में कहा कि विध्वस्त की गई सम्पत्तियों में लोगों के घर, मवेशियों के आश्रय स्थल, शौचालय और सौर ऊर्जा पैनल शामिल थे जो फ़लस्तीनी समुदाय के लोगों की जीविकाओं, कल्याण और गरिमा के लिये बहुत ज़रूरी व महत्वपूर्ण थे.
उन्होंने कहा, “इन लोगों के नाज़ुक हालात सर्दी के मौसम व कोविड-19 के कारण और भी ज़्यादा गम्भीर हो गए हैं.” उन्होंने ध्यान दिलाया कि ढहाए गए कुछ ढाँच मानवीय सहायता के तहत दान किये गए थे.
यूएन मानवीय सहायता एजेंसी के अनुसार, वर्ष 2020 में, पश्चिमी तट में अभी तक 689 ढाँचे ढहा दिये गए हैं जिनमें पूर्वी येरूशेलम भी शामिल है, जिनके कारण 869 फ़लस्तीनी लोग बेघर हो गए हैं. वर्ष 2016 के बाद से अभी तक किसी पूरे एक वर्ष में भी इतने घर नहीं ढहाए गए हैं.
मानवीय सहायता संयोजक युवनी हेले ने कहा है कि इन घरों को ढहाने के लिये अक्सर निर्माण परमिट नहीं होना एक कारण बताया जाता है, जबकि ये सर्वविदित है कि पाबन्दियों और भेदभावपूर्ण नियोजन व्यवस्था के कारण, फ़लस्तीनी लोगों को कभी भी घर बनाने के लिये निर्माण परमिट नहीं मिल सकते.
उन्होंने कहा, “घरों को इस तरह ढहाना दरअसल ऐसा प्रताड़ना वाला माहौल तैयार करने का एक तरीक़ा है जिससे डरकर फ़लस्तीनी लोग अपने घर छोड़ दें.”
जॉर्डन घाटी में स्थित हमसा अल बक़ाई बेदुइन और चरवाहों का एक समुदाय है जिनके इलाक़े को इसराइल ने सैन्य प्रशिक्षण के मक़सद से फ़ायरिंग ज़ोन में घोषित कर दिया है.
पश्चिमी तट में ये लोग बहुत नाज़ुक हालात में रहने वाले समुदायों में गिने जाते हैं जिन्हें शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएँ, पानी, स्वच्छता और बिजली ढाँचे की सीमित सुविधाएँ हासिल नहीं हैं.
युवनी हेले ने वक्तव्य में सभी सम्बद्ध पक्षों को याद दिलाते हुए कहा कि क़ाबिज़ किये हुए क्षेत्र में संरक्षित लोगों को जबरन बेदख़ल करना और उनकी सम्पत्तियों को ध्वस्त करना चौथे जिनीवा कन्वेन्शन का गम्भीर उल्लंघन है.
उन्होंने कहा, “हम ये मानकर चल रहे हैं कि मानवीय सहायता सुदाय उन लोगों की मदद के लिये मुस्तैद है जो बेघर हुए हैं या अन्य तरह से प्रभावित हुए हैं, साथ ही मैं इसराइल से ज़ोरदार आग्रह करती हूँ कि वो ग़ैर-क़ानूनी विध्वंस तत्काल रोक दे.”