WHO: मानसिक स्वास्थ्य मदद को, जलवायु कार्रवाई योजनाओं का हिस्सा बनाएँ

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने स्टॉकहोम+50 पर्यावरणीय सम्मेलन में, शुक्रवार को एक नए पॉलिसी ब्रीफ़ में कहा है कि जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबला करने के लिये बनाई जाने वाली, देशों की राष्ट्रीय योजनाओं में, मानसिक स्वास्थ्य के लिये सहायता भी शामिल किये जाने की दरकार है.
#ClimateChange poses serious risks to #MentalHealth and well-being - from emotional distress to anxiety, depression, grief, and suicidal behavior: new WHO policy brief https://t.co/ogdEP9iIG6 pic.twitter.com/VRqrMqoixr
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यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन, लोगों के मानसिक स्वास्थ्य व रहन-सहन के लिये गम्भीर जोखिम उत्पन्न करता है.
कुछ ऐसी ही बात, जलवायु परिवर्तन पर अन्तर-सरकारी पैनल (IPCC) ने फ़रवरी में प्रकाशित एक रिपोर्ट में भी कही थी. ये एजेंसी देशों को उनकी जलवायु नीतियों के लिये वैज्ञानिक जानकारी मुहैया कराती है.
आईपीसीसी के अध्ययन में बताया गया कि तेज़ी से होता जलवायु परिवर्तन, मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक रहन-सहन के लिये जोखिम बढ़ा रहा है, जिनमें भावनात्मक दबाव से लेकर चिन्ता, अवसाद, मायूसी और आत्मघाती व्यवहार जैसी समस्याएँ शामिल हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन में पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य विभाग की निदेशिका डॉक्टर मारिया नीरा का कहना है, “जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, तेज़ी से हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन रहे हैं, और जलवायु सम्बन्धित आपदाओं व दीर्घकालीन जोखिमों का सामना कर रहे लोगों व समुदायों के लिये, बहुत कम समर्पित मानसिक स्वास्थ्य मदद हासिल है.”
पॉलिसी ब्रीफ़ के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के मानसिक स्वास्थ्य प्रभाव, विषम रूप से नज़र आ रहे हैं जिनमें कुछ समूह तो विषम अनुपात में प्रभावित हैं, और ये प्रभाव उन समूहों के सामाजिक-आर्थिक स्थिति, लिंग व आयु जैसे कारकों पर निर्भर है.
हालाँकि यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का ये भी कहना है कि ये स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन ऐसे बहुत से सामाजिक निर्धारकों को प्रभावित कर रहा है जिनके कारण पहले ही दुनिया भर में व्यापक पैमाने पर मानसिक स्वास्थ्य बोझ बढ़ रहे हैं.
वर्ष 2021 के दौरान जिन 95 देशों में सर्वे किया गया उनमें से केवल नौ देशों ने अपने यहाँ राष्ट्रीय स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन योजनाओं में, मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक मदद को शामिल किया है.
स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य व मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिये पहले से ही चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को और भी ज़्यादा जटिल बना रहा है.
लगभग एक अरब लोग मानसिक स्वास्थ्य परिस्थितियों के साथ जीवन जी रहे हैं, फिर भी कम व मध्यम आय वाले देशों में, चार में से तीन लोगों को आवश्यक सेवाओं तक पहुँच हासिल नहीं है.
संगठन का कहना है कि दुनिया भर के तमाम देश, मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक मदद को, आपदा जोखिम न्यूनीकरण के तहत बढ़ावा देकर, उन लोगों की ज़्यादा मदद कर सकते हैं जो जोखिम के दायरे में हैं.
पॉलिसी ब्रीफ़ में जलवायु परिवर्तन के मानसिक स्वास्थ्य प्रभावों का मुक़ाबला करने के लिये, देशों को पाँच अहम तरीक़ों की सिफ़ारिश की है.