वैश्विक रोज़गार व कामकाज पुनर्बहाली, पीछे की ओर पलटी, ILO
संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी (ILO) ने सोमवार को कहा है कि दुनिया भर में रोज़गार और कामकाज बाज़ार में पुनर्बहाली पीछे की और जा रही है जिसके लिये कोविड-19 और अन्य अनेक तरह के संकट ज़िम्मेदार हैं जिन्होंने देशों के भीतर और देशों के बीच, विषमताएँ बढ़ा दी हैं.
अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के महानिदेशक गाय राइडर ने कामकाज की दुनिया पर अपनी नवीनतम जानकारी में कहा है कि अलबत्ता वर्ष 2021 के अन्तिम महीनों के दौरान, औद्योगीकृत देशों में वैश्विक रोज़गार के उच्च स्तर की वापसी के बीच, कुछ पुनर्बहाली के अस्थाई संकेत नज़र आए थे, मगर खाद्य पदार्थों व ईंधन की बढ़ती क़ीमतों और वित्तीय उतार-चढ़ावों ने रोज़गार व कामकाज बाज़ार को अस्थिर बना दिया है.
गाय राइडर ने ज़ोर देकर कहा कि इन समस्याओं का प्रभाव बहुत विनाशकारी होगा और उसका असर सामाजिक व राजनैतिक व्यवधान के रूप में भी नज़र आ सकता है.
यूएन श्रम एजेंसी के प्रमुख ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध के कारण भी वैश्विक आपूर्ति श्रंखला बाधित हुई है.
The multiple crises faced by the world are threatening the recovery in the labour market.The number of hours worked 🌎 dropped in 2022, to 3.8 % below the pre-crisis period. This means a deficit of 112 million full-time jobs.Check out our new report ⤵️https://t.co/1vsDv38KGK
ilo
उन्होंने ध्यान दिलाते हुए ये भी कहा कि रूसी आक्रमण का पूर्ण प्रभाव नज़र आने में, अभी कई महीनों का समय लग सकता है – हालाँकि इस संघर्ष ने यूक्रेन और उससे भी परे, श्रम बाज़ारों को पहले ही प्रभावित करना शुरू कर दिया है.
गाय राइडर ने सोमवार को जिनीवा में पत्रकारों से कहा कि इस उभरते बाज़ार की पुनर्बहाली, बहुत हद तक या तो थम गई है या पीछे की और लौट गई है.
रोज़गार अन्तर
यूएन श्रम एजेंसी के मुखिया का कहना है कि कुछ स्थानों पर पुनर्बहाली बहुत कठिन दौर का सामना कर रहा है.
उदाहरण के लिये, साल 2021 की अन्तिम तिमाही में, हमने दुनिया भर में कामकाज के घण्टों की संख्या में बढ़ोत्तरी देखी. मगर वर्ष 2022 की पहली तिमाही में, कामकाज के घण्टों की संख्या फिर से गिर गई, और ये गिरावट अच्छी ख़ासी थी.
श्रम एजेंसी के अनुसार, कोविड-19 महामारी से पहले के समय की तुलना में, इस समय 11 करोड़ 20 लाख पूर्णकालिक रोज़गार या कामकाज कम हैं.
इस वर्ष की पहली तिमाही में, कम औद्योगीकृत देशों की अर्थव्यवस्थाओं को काफ़ी बड़े झटके लगे हैं जहाँ पूर्ण कालिक उपलब्ध कामकाज या रोज़गार, महामारी से पूर्व के स्तर की तुलना में, 3.6 से लेकर 5.7 प्रतिशत तक कम हुए हैं.
श्रम एजेंसी का कहना है कि इस तरह के कठिन हालात, साल 2022 की दूसरी तिमाही में और भी बदतर हो सकते हैं.
संगठन ने कहा है कि कुछ विकासशील देश, कड़े वित्तीय नियमों और उच्च क़र्ज़ अदायगी की आवश्यकताओं के कारण, कठिन हालात का सामना कर रहे हैं.
ध्यान रहे कि यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, समान वैश्विक पुनर्बहाली के लिये, इन नियमों में सुधार की ज़रूरत पर ज़ोर दे चुके हैं.
यूएन श्रम एजेंसी के अन्य कुछ महत्वपूर्ण निष्कर्षों में कहा गया है कि दुनिया भर में अब भी बहुत से कामगार, दो वर्ष बाद भी, कोरोनावायरस महामारी के प्रभावों से जूझ रहे हैं.
पारिश्रमिक: नई सामान्य स्थिति
कामकाज की दुनिया पर श्रम एजेंसी की निगरानी में पाया गया है कि बहुसंख्या के लिये, आमदनी अब भी पुनर्बहाल नहीं हुई है और वर्ष 2021 में, पाँच में से तीन कामगार ऐसे देशों में रहते थे जहाँ उनका पारिश्रमिक, वेतन या आमदनी, 2019 की अन्तिम तिमाही की तुलना में भी कम रहे.
यूएन श्रम एजेंसी का कहना है कि महिलाएँ भी महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुई हैं – विशेष रूप में कम और मध्यम-आय वाले देशों में, जहाँ वर्ष 2022 की पहली तिमाही में, पुरुषों के कामकाज के घण्टों की संख्या में, महिलाओं की तुलना में, 0.7 प्रतिशत वृद्धि हुई है. यह वृद्धि वैश्विक स्वास्थ्य आपदा से पहले के दौर में कामकाज के घण्टों की संख्या की तुलना में है.
आईएलओ मॉनीटर के अनुसार अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में, निर्धन परिवार और लघु कारोबार भी कोविड-19 महामारी के प्रभावों; और यूक्रेन संकट से उपजे - उत्पादन और व्यापार में व्यवधान के कारण खाद्य व उपभोक्ता वस्तुओं की क़ीमतों में बढ़ोत्तरी से - बुरी तरह प्रभावित हैं.