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श्रम

दुनिया भर में कामकाज के स्थलों पर, लगभग 23 प्रतिशत लोगों को, हिंसा और उत्पीड़न का अनुभव करना पड़ता है.
© Unsplash/Heike Trautmann

ILO: लगभग 23 प्रतिशत लोग हैं, कार्यस्थलों पर हिंसा से पीड़ित

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के एक नवीनतम विश्लेषण में कहा गया है कि रोज़गारशुदा लगभग 23 प्रतिशत लोगों को अपने कामकाज के स्थानों पर शारीरिक, मनोवैज्ञानिक या फिर यौन प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है. संगठन के इस तरह के अपने पहले विश्लेषण में एक स्वतंत्र चैरिटी संस्था लॉयड्स रजिस्टर संस्थान (LRF) और विश्लेषण व मतदान कम्पनी गैलप ने सहयोग दिया है.

इराक़ के उत्तरी क्षेत्र में तेल इंजानियर, तेल के कुँओं को ठण्डा करने के लिये, पानी का छिड़काव करते हुए.
ILO/Apex Image

इराक़ में अत्यधिक गर्मी के कारण उपयुक्त कामकाजी उपायों की पुकार

संयुक्त राष्ट्र के अन्तरारष्ट्रीय श्रम संगठन ILO ने कहा है कि वो इराक़ में कामकाजी परिस्थितियों को लेकर लगातार चिन्तित हो रहा है, जहाँ हाल के सप्ताहों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया है.

इण्डोनेशिया के सिकारांग में एक इलैक्ट्रॉनिक्स फ़ैक्टरी में काम करते हुए एक महिला.
© ILO/Asrian Mirza

वैश्विक रोज़गार व कामकाज पुनर्बहाली, पीछे की ओर पलटी, ILO

संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी (ILO) ने सोमवार को कहा है कि दुनिया भर में रोज़गार और कामकाज बाज़ार में पुनर्बहाली पीछे की और जा रही है जिसके लिये कोविड-19 और अन्य अनेक तरह के संकट ज़िम्मेदार हैं जिन्होंने देशों के भीतर और देशों के बीच, विषमताएँ बढ़ा दी हैं.

केनया में एक महिला अपने बच्चे की देखभाल करते हुए ही, सिलाई का काम करते हुए.
ILO/Marcel Crozet

ILO: कामकाजी माता-पिता को सहारा देने के लिये, देखभाल सेवाओं में निवेश की पुकार

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन - ILO ने प्रतिवर्ष 8 मार्च को मनाए जाने वाले अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा है कि देखभाल सेवाओं में अधिक निवेश करने से, वर्ष 2035 तक लगभग 30 करोड़ कामकाज व रोज़गार उत्पन्न हो सकते हैं.

भारत से नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी को, टिकाऊ विकास लक्ष्यों का नया पैरोकार चुना गया है.
© Kailash Satyarthi

क्योंकि हर बच्चे की अहमियत है...

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने, दुनिया की अनमोल वैश्विक परिसम्पत्तियों की रक्षा और साझा आकांक्षाओं को पूरा करने की ख़ातिर, तत्काल कार्रवाई का आहवान करते हुए, टिकाऊ विकास लक्ष्यों के नए पैरोकारों के नामों की घोषणा की है. ये सभी पैरोकार, जलवायु कार्रवाई, डिजिटल विभाजन, लैंगिक समानता और बाल अधिकारों के मुद्दों पर सक्रिय होंगे. इनमें से एक हैं, भारत से नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता, कैलाश सत्यार्थी. उनके साथ एक वीडियो साक्षात्कार...

निकारागुआ की एक कपड़ा फ़ैक्टरी में एक महिलाकर्मी
ILO Photo/Marcel Crozet

कोविड से पुनर्बहाली के दौरान, कम ही महिलाएँ लौट पाएंगी रोज़गार में

संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी – ILO की सोमवार को जारी एक नई अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान जो रोज़गार व आमदनी वाले कामकाज ख़त्म हो गए, संकट से उबरने यानि पुनर्बहाली के प्रयासों के दौरान फिर से रोज़गार व आमदनी वाले कामकाज हासिल करने वाली महिलाओं की संख्या, पुरुषों की तुलना में कम होगी. 

बहुत से देशों में घरेलू कर्मचारियों की सामाजिक संरक्षा उपायों तक पहुँच नहीं है.
UN Women/Joe Saad

कोरोनावायरस संकट: घरेलू कर्मचारियों के लिये कठिन हुए हालात

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने कहा है कि  कोविड-19 के कारण, दुनिया भर में घरेलू कर्मचारियो पर गहरा असर हुआ है. उनके रोज़गार ख़त्म हो गए हैं और अन्य सैक्टरों की तुलना में कामकाजी घण्टों में भी ज़्यादा गिरावट दर्ज की गई है.

आर्मीनिया के येरेवान में एक बच्चा अपने पिता के साथ बैठकर पढ़ाई करते हुए.
© UNICEF/Arthur Gevorgyan

कोविड-19 के दौर में कामकाजी सुरक्षा का मुद्दा

कोविड-19 महामारी के कारण, दुनिया भर में, अपने घरों से ही काम करने वालों की संख्या बेतहाशा बढ़ी है, जिसने रोज़गार देने वालों के लिये इस ज़रूरत पर ध्यान केन्द्रित कर दिया है कि वो कर्मचारियों व कामगारों के लिये सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करें. 28 अप्रैल को, कार्यस्थलों पर सुरक्षा व स्वास्थ्य के लिये विश्व दिवस के अवसर पर, यहाँ प्रस्तुत है एक आकलन कि संयुक्त राष्ट्र, लोगों को, उनके कामकाज के दौरान समुचित सुरक्षा सुनिश्चित करने में, रोज़गार देने वालों और सरकारों की, किस तरह मदद कर रहा है...

© UNOCHA

यूएन न्यूज़ हिन्दी बुलेटिन 7 अगस्त 2020

7 अगस्त 2020 के इस बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...
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लेबनान की राजधनी बेरूत में भीषण विस्फोट से सैकड़ों लोग हताहत, 
यूएन एजेंसियाँ तेज़ी से लगीं राहत कार्यों में
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संयुक्त राष्ट्र के स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने 
जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार स्थिति पर जताई गहरी चिन्ता, 
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दासता, देह व्यापार और तस्करी सहित बाल मज़दूरी के ख़राब रूपों से 

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