अफ़ग़ान स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग के विघटन पर निराशा
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान द्वारा देश के स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग को विघटित करने के फ़ैसले पर घोर निराशा व्यक्त की है.
#Afghanistan: “I am dismayed at the reported decision of the Taliban to dissolve the country’s Independent Human Rights Commission” - @mbachelet. “Its loss will be a deeply retrograde step for all Afghans and Afghan civil society.” https://t.co/RvtKlnpVTK pic.twitter.com/VgS50EdgB6
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मानवाधिकार उच्चायुक्त ने गुरूवार को जारी एक वक्तव्य में कहा कि अफ़ग़ान स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग ने अनेक वर्षों के दौरान, अत्यन्त कठिन परिस्थितियों में, असाधारण काम किया है, जिसमें तमाम अफ़ग़ान लोगों के मानवाधिकारों पर ध्यान आकर्षित किया गया. उनमें संघर्ष के तमाम पक्षों से सम्बद्ध प्रभावित लोग शामिल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि अलबत्ता, ये मानवाधिकार आयोग अगस्त 2021 के बाद से ज़मीनी स्तर पर काम करने में नाकाम रहा है.
मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि अफ़ग़ान स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग, मानवाधिकारों के लिये आवाज़ बुलन्द करने और यूएन मानवाधिकार संगठनों के लिये भी एक विश्वसनीय साझीदार रहा है.
इस आयोग का ख़त्म होना, तमाम अफ़ग़ान लोगों और अफ़ग़ान सिविल सोसायटी के लिये, पीछे की ओर जाने वाला एक क़दम होगा.
मिशेल बाशेलेट ने कहा, “इस वर्ष मार्च में, मैंने अपनी क़ाबुल यात्रा के दौरान अफ़ग़ान सत्ता पर क़ाबिज़ अधिकारियों के साथ एक ऐसी स्वतंत्र मानवाधिकार प्रणाली फिर से स्थापित किये जाने की महत्ता पर बातचीत की थी जिस तक, आम लोगों की शिकायतें पहुँच सकें, और आम लोगों की चिन्ताएँ व शिकायतें, सत्ता पर क़ाबिज़ अधिकारियों के ध्यान में लाई जा सकें.”
महिलाओं पर पाबन्दियाँ
यूएन महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने भी अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं पर हाल ही में घोषित की गई पाबन्दियों और उनके उल्लंघन पर दण्डात्मक कार्रवाई के प्रावधान पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है.
महासभा अध्यक्ष की प्रवक्ता पॉलीना कूबियेक ने गुरूवार को मुख्यालय में पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि अब्दुल्ला शाहिद ने कहा है कि छठी कक्षा से आगे की शिक्षा से लड़कियों को रोकने की हाल की घोषणाओं के अतिरिक्त, ये हाल की पाबन्दियाँ भी बहुत व्यथित करने वाली हैं.
उन्होंने कहा, “इस तरह की पाबन्दियाँ, महिलाओं द्वारा अपने व्यक्तिगत और सामूहिक अधिकारों का प्रयोग करने की सामर्थ्य लगातार सीमित करती हैं.”
उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में मौजूदा प्रशासनिक अधिकारियों के ये फ़ैसले, महिलाओं और लड़कियों सहित, तमाम अफ़ग़ान लोगों के मानवाधिकारों के सम्मान और संरक्षण के बारे में दिये गए आश्वासनों के सीधे उलट हैं.
“मानवाधिकार, जोकि सार्वभौमिक हैं, जिन्हें छीना नहीं जा सकता और जिन्हें अलग भी नहीं किया जा सकता, उनकी पवित्रता का सम्मान किया जाना होगा.”