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अफ़ग़ानिस्तान: तालेबान द्वारा ‘क्रूर’ दंडों के प्रयोग पर गहरी चिन्ता

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल का एक दृश्य. यह तस्वीर जून 2020 की है.
ADB/Jawad Jalali
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल का एक दृश्य. यह तस्वीर जून 2020 की है.

अफ़ग़ानिस्तान: तालेबान द्वारा ‘क्रूर’ दंडों के प्रयोग पर गहरी चिन्ता

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों एक समूह ने गुरूवार को कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में दंड के “क्रूर व गरिमाहीन” तरीक़े और मृत्युदंड का प्रयोग व निष्पक्ष मुक़दमों की गारंटियों का अभाव, सब मिलकर, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन करते हैं और उन्हें तत्काल रोका जाना होगा.

इन दस मानवाधिकार विशेषज्ञों और महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ भेदभाव पर कार्यकारी समूह के सदस्यों की तरफ़ से तात्कालिक पुकार, ऐसे समय आई है जब तालेबान द्वारा नियुक्त किए हुए सुप्रीम कोर्ट ने, संगसारी (पत्थर मारकर दंडित करना), कोड़े और बैंत मारकर दंडित करना और लोगों को दीवारों के नीचे दफ़नाने जैसे दंडों के निर्णय सुनाए हैं.

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महिलाएँ सर्वाधिक कमज़ोर हालात में

इन मानवाधिकार विशेषज्ञों द्वारा जारी प्रैस वक्तव्य में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के कार्यकारी उप प्रमुख ने 4 मई को घोषणा की थी कि उन्होंने 175 लोगों को “बदले की कार्रवाई जैसे” दंड, और 37 लोगों को संगसारी के ज़रिए दंड देने के निर्णय सुनाए थे.

अनेक अन्य लोगों को भी “ईश्वर के विरुद्ध अपराधों” के लिए दंडित किया गया जिनमें कोड़े और बैंत मारना शामिल था.

इन मानवाधिकार विशेषज्ञों में अफ़ग़ानिस्तान पर विशेष रैपोर्टेयर रिचर्ड बैनेट भी शामिल हैं.

इन सभी मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाते हुए कहा है कि महिलाओं को संगसारी के ज़रिए मृत्युदंड दिए जाने की ज़्यादा सम्भावना है, जोकि महिलाओं के विरुद्ध गहराई से जड़ें जमाए भेदभाव और लांछन लगाने की मानसिकता का नतीजा है...पुरुष प्रधान न्यायपालिका की यही राय नज़र आती है.

क्रूर, अमानवीय, अपमानजनक

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि संगसारी और किसी को दीवार के नीचे दफ़नाया जाना, उत्पीड़न और अन्य तरह के क्रूर, अमानवीय, अपमानजनक बर्ताव या दंड के दायरे में आता है. “ये क्रूर दंड अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के विरुद्ध हैं.”

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के सहायता मिशन की हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले छह महीनों के दौरान ही 274 पुरुषों, 58 महिलाओं और दो लड़कों को, सरेआम कोड़े और बैंत मारकर दंडित किया गया.

नागरिक और राजनैतिक अधिकारों पर अन्तरराष्ट्रीय सन्धि और उत्पीड़न व अन्य क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक दंड के विरुद्ध सन्धि दोनों ही, प्रताड़ना और अन्य क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक दंड को निषिद्ध करती है, और अफ़ग़ानिस्तान इन दोनों ही सन्धियों का एक पक्ष है.

विशेष रैपोर्टेयर और मानवाधिकार विशेषज्ञ, जिनीवा स्थित यूएन मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किए जाते हैं, वो स्वैच्छिक और अवैतनिक आधार पर काम करते हैं, वो यूएन स्टाफ़ नहीं होते हैं और किसी सरकार या संगठन से स्वतंत्र होकर काम करते हैं.