इथियोपिया: यूएन स्टाफ़ को निष्काषित करने के फ़ैसले से, सहायता अभियानों के लिये जोखिम

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कर्मियों ने शुक्रवार को कहा है कि इथियोपिया से यूएन स्टाफ़ को निष्काषित करने के फ़ैसले से, देश के उत्तरी हिस्से में, युद्धग्रस्त इलाक़े में सहायता सामग्री के वितरण पर असर पड़ सकता है जहाँ ज़रूरतें और विस्थापन लगातार बढ़ रहे हैं.
ध्यान रहे कि इथियोपियाई सरकार ने गुरूवार को, संयुक्त राष्ट्र के सात कर्मचारियों को अवाँछित घोषित करते हुए, उन्हें 72 घण्टों के भीतर देश छोड़कर चले जाने का आदेश दिया था.
UN Human Rights Chief @mbachelet strongly deplores Ethiopia's decision to declare 7 UN officials – incl. one of our own – as persona non grata. The @UN is now engaging with the authorities in the expectation they will clarify and reconsider as this is not an acceptable situation. pic.twitter.com/0BsgOhMP8c
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उस घोषणा के बाद से संयुक्त राष्ट्र और इथियोपिया की सरकार के बीच लगातार सम्पर्क और सम्वाद जारी है.
संयुक्त राष्ट्र के प्रभावित कर्मचारियों में पाँच, यूएन मानवीय सहायता एजेंसी – OCHA के सदस्य, एक यूएन बाल कोष – यूनीसेफ़ के प्रतिनिधि, और एक कर्मचारी, यूएन मानवाधिकार कार्यालय- OHCHR के टीम लीडर हैं.
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने गुरूवार को अपने एक वक्तव्य में, इथियोपिया सरकार की घोषणा पर हैरानी व्यक्त करते हुए कहा था कि “संयुक्त राष्ट्र के तमाम मानवीय सहायता अभियान मानवता, तटस्थता, निष्पक्षता, और स्व-निर्भरता के मूलभूत सिद्धान्तों के आधार पर चलते हैं.”
जिनीवा में, यूएन मानवीय सहायता कार्यों की एजेंसी – OCHA के प्रवक्ता जेन्स लाएर्के ने कहा कि उनकी एजेंसी भी इस घटनाक्रम पर एक बड़े सदमे में है और एजेंसी को उम्मीद है कि इथियोपिया सरकार का ये फ़ैसला बदल दिया जाएगा या इसकी समीक्षा की जाएगी, या फिर किसी अन्य रूप में इसमे बदलाव किया जाएगा.
यूएन मानवीय सहायता एजेंसी ओचा ही, इथियोपिया के उत्तरी हिस्से में आपदा राहत अभियान का संचालन व निगरानी कर रही है, जहाँ टीगरे क्षेत्र में लगभग एक वर्ष से संघर्ष चल रहा है.
ओचा के प्रवक्ता जेन्स लाएर्के ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, “ये बहुत अहम है कि मानवीय सहायता अभियान जारी रहें, और अभी ये जारी हैं भी.”
प्रवक्ता ने कहा कि टीगरे क्षेत्र में लगभग 52 लाख लोगों को सहायता की तत्काल ज़रूरत है, और संघर्ष अब, दो अन्य पड़ोसी क्षेत्रों तक पहुँचकर फैलने लगा है, “इसका सीधा सा मतलब है कि मानवीय सहायता की ज़रूरतों में भी तेज़ी से इज़ाफ़ा हो रहा है, और ऐसे में देश के भीतर ही विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है.”
मानवीय सहायताकर्मी, टीगरे क्षेत्र में, खाद्य असुरक्षा की स्थिति पर बहुत चिन्तित हैं.
प्रवक्ता जेन्स लाएर्के ने कहा कि क्षेत्र में, जिन लोगों के पास पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री मौजूद नहीं है, ऐसे लोगों की संख्या जून और सितम्बर के बीच, पाँच प्रतिशत से बढ़कर 21 प्रतिशत पर पहुँच गई है.
इससे भी ज़्यादा, जाँच-पड़ताल से मालूम हुआ है कि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं में कुछ कुपोषण के स्तर नज़र आने लगे हैं जो पहले नहीं थे.
उधर गम्भीर कुपोषण के लक्षणों वाले, पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की संख्या 18 प्रतिशत है जोकि 15 प्रतिशत के, वैश्विक आपदा स्तर से भी ज़्यादा है.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने इथियोपिया सरकार के फ़ैसले की निन्दा की है.
उनके कार्यालय (OHCHR) ने इथियोपिया सरकार के इन आरोपों का शुक्रवार को खण्डन किया है कि यूएन मानवाधिकार कर्मचारी, स्थानीय सरकार के कार्यों में दख़लअन्दाज़ी कर रहे थे.
यूएन मानवाधिकार प्रवक्ता रूपर्ट कॉलविले ने पत्रकारों को बताया, “हमारे सहयोगियों के बारे में, इथियोपिया सरकार ने जो इस तरह का फ़ैसला किया है, उसके आधार के बारे में सरकार ने हमें कोई संकेत नहीं दिया. और हम ये ज़ोर देकर कहना चाहते हैं कि इथियोपिया सरकार, इस तरह का क़दम उठाने के कारणों के बारे में स्पष्टीकरण मुहैया कराए.”
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने इथियोपिया सरकार के इस फ़ैसले को “खेदपूर्ण और चिन्ताजनक” क़रार दिया है.
यूनीसेफ़, इथियोपिया में लगभग 60 वर्षों से सक्रिय है, और सबसे कमज़ोर हालात वाले बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने व उनका हित आगे बढ़ाने में लगा हुआ है.
यूनीसेफ़ ने शुक्रवार को एक वक्तव्य जारी करके, अपनी मैदानी टीमों में पूरा भरोसा व्यक्त किया है.
एजेंसी ने कहा है, “चूँकि देश में मानवीय स्थिति ख़राब हो रही है – बच्चों को इसका सबसे ज़्यादा ख़मियाज़ा भुगतना पड़ रहा है – हमारा काम पहले से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण और तात्कालिक है.”
एजेंसी ने कहा है, “हमारे कार्यक्रम जारी रहेंगे. हमारी एक मात्र व केवल प्राथमिकता – ऐसे बच्चों को सहारा देना है जिन्हें तत्काल हमारी मदद की ज़रूरत है, चाहे वो जहाँ कहीं भी हों.”