यूनीसेफ़ की चेतावनी, फ़िलहाल टीगरे में संकट का कोई अन्त नज़र नहीं आ रहा
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने मंगलवार को कहा है कि इथियोपिया के टीगरे क्षेत्र में, लगभग छह महीने पहले संघर्ष छिड़ने के बाद, बड़े पैमाने पर आम लोगों का उत्पीड़न किये जाने की, बहुत परेशान करने वाली ख़बरें लगातार आ रही हैं.
यूएन एजेंसी के प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने, इथियोपिया के उत्तरी क्षेत्र टीगरे का हाल ही में दौरा करने के बाद कहा है, “इस संघर्ष का कोई सम्भावित अन्त फ़िलहाल तो नज़र नहीं आ रहा है.”
भीषण भय
यूनीसेफ़ प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने कहा कि 10 लाख से ज़्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं, लड़ाई अब भी जारी है और सुरक्षा अब भी एक प्रमुख मुद्दा है.
उन्होंने कहा कि यूनीसेफ़ शुरू से ही इस बारे में चिन्ताएँ व्यक्त करता रहा है कि इस स्थिति से बच्चों को कितना नुक़सान होने वाला है, और दुर्भाग्य से, ऐसी चिन्ताएँ सही साबित हुई हैं.
ये संघर्ष, इथियोपियाई सरकार और क्षेत्र में दबदबा रखने वाले विद्रोही बल – टीगरे पीपुल्स लिबरेशन फ़्रण्ट (टीपीएलएफ़) के बीच के बीच, कई महीनों तक चले तनाव के भड़कने का नतीजा है. जब विद्रोहियों ने एक संघीय सैन्य ठिकाने पर हमला किया तो, इथियोपिया के प्रधानमंत्री ऐबी अहमद ने एक सैन्य हमले का आदेश दे दिया.
कुछ ही दिनों के भीतर, पड़ोसी अमहारा क्षेत्र से भी बहुत से लड़ाके इसमें शामिल हो गए. और ऐसी भी ख़बरें आईं कि बाद में पड़ोसी देश ऐरिट्रीया से भी कुछ सेनाएँ इसमें कूद पड़ीं, ऐरिट्रीया को टीगरे का पुराने समय से प्रतिद्वन्दी समझा जाता है.
इथियोपिया की सरकार के अनुसार, नवम्बर 2020 के अन्त तक, क्षेत्र में सरकार का नियंत्रण बहाल हो गया था, मगर टीपीएलएफ़ का प्रतिरोध जारी रहा.
इस बीच सभी पक्षों द्वारा न्यायेतर यानि ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से लोगों की जानें लेने और मानवाधिकार हनन के आरोप भी लगे हैं.
बाल पीड़ित
प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने महिलाओं और लड़कियों पर पड़े प्रभाव की ओर ख़ास ध्यान दिलाते हुए इसे संरक्षा का संकट क़रार दिया.
उन्होंने कहा, “इस समय बाल अधिकारों के हनन की गम्भीर और लगातार व्यथित करने वाली ख़बरें आ रही हैं. दुर्भाग्य से शिक्षा और पोषण का भी संकट उभर रहा है और मैंने बच्चों के लिये अति महत्वपूर्ण सेवाओं के बुनियादी ढाँचे को बड़े पैमाने पर नुक़सान हुआ देखा है.”
यूनीसेफ़ प्रवक्ता ने बताया है कि हिंसा के कारण विस्थापित हुए लगभग 10 लाख लोगों में, बहुत से ऐसे बच्चे भी हैं जिन्हें बेतहाशा तकलीफ़ें उठानी पड़ी हैं.
300 किलोमीटर तक का कठिन सफ़र
यूनीसेफ़ प्रवक्ता ने कहा, “मैने जिन बहुत सारे बच्चों से बातचीत की, उनमें से एक 16 वर्षीय लड़की मेरहवित थी, जिसे अपने छोटे भाई को पीठ पर उठाकर, देश के पश्चिमी हिस्से से, काफ़ी सघन लड़ाई के बीच, 300 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा... 300 किलोमीटर और वो भी टूटी हुए चप्पलों के साथ.”
“ऐसी बहुत सी कहानियाँ भरी पड़ी हैं. ये लड़की भौतिक विज्ञान (Physics) की बहुत तीव्र बुद्धि छात्रा रही है, मगर अब उसे भोजन की तलाश में भटकना पड़ रहा है, और वो लगभग एक साल से स्कूली पढ़ाई से वंचित है.”
टीगरे क्षेत्र में शिक्षा संकट के साथ-साथ पोषण का संकट भी बढ़ रहा है, लूटपाट ज़ोर पकड़ रही है और चिकित्सा सेवाओं को भारी नुक़सान पहुँचा है, सिंचाई सेवाएँ बहुत महंगी हो गई हैं जिनके बिना, खेतीबाड़ी नहीं हो सकती.
प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने कहा, “हमने हाल ही में, 13 क़स्बों का आकलन किया और पाया कि आधे से भी ज़्यादा बिजली चालित सिंचाई कुँए काम नहीं कर रहे थे.
ये ध्यान रखने की बात है कि ये बहुत अत्याधुनिक मशीनें थीं जिनके ज़रिये लाखों लोगों को सहारा मिलता था, ये सभी या तो लूट लिये गए या उन्हें भारी नुक़सान पहुँचाया गया है.”
विध्वंस और लूटपाट
विध्वंस और लूटपाट से स्वास्थ्य केन्द्रों को भी नहीं बख़्शा गया है, जिस कारण ज़्यादातर केन्द्र अब सेवाएँ देने योग्य नहीं बचे हैं.
क्षतिग्रस्त होने वाले ठिकानों में, मेकेल्ले से लगभग 100 किलोमीटर दूर नया खोला गया एक मातृत्व स्वास्थ्य क्लीनिक भी है जिसमें जच्चाओं के लिये आपात सर्जरी की भी व्यवस्था थी, उसमें भारी लूटपाट की गई है.
प्रवक्ता के अनुसार, “एक डॉक्टर ने मुझे बताया कि एक्स रे मशीनें, ऑक्सीजन और मरीज़ों के लिये रखे गए बिछौने – सभी कुछ लूट लिया गया है. जच्चा-बच्चा की ज़रूरते पूरी करने वाली सभी सेवाएँ यहाँ मौजूद थीं. ये एक जीवनरक्षक स्थान था. बलों को, यहाँ आने का कोई कारण नहीं था. वो यहाँ केवल विध्वंस और लूटपाट करने आए थे.”
यूनीसेफ़ के प्रवक्ता ने संघर्ष में शामिल तमाम सैन्य ताक़तों पर किसी भी तरह का प्रभाव रखने वालों से, आम लोगों के साथ होने वाले अत्याचारों की निन्दा करने का आग्रह किया है.
प्रवक्ता ने कहा कि पीड़ितों ने, बाल अधिकारों के गम्भीर और लगातार हनन होने के मामले बयान किये हैं.
“लैंगिक हिंसा के अनेक मामलों की ख़बरें हैं, यहाँ ये भी याद रहे कि ये मामले किसी बड़ी व गम्भीर स्थिति की भनक देने वाले हो सकते हैं क्योंकि इन हालात में, ऐसे मामलों की रिपोर्ट करना बहुत ही ज़्यादा कठिन है... सुरक्षा व बदनामी का डर, वग़ैरा. यहाँ तक कि मैंने 14 वर्ष तक की उम्र वाले बच्चों की दुखद आपबीती सुनी है, और मैंने सामूहिक बलात्कार के मामले भी सुने हैं.”