भारत: जंगल में आग की तरह फैल रहा है संक्रमण, यूनीसेफ़ की चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने चिन्ता जताई है कि भारत में कोविड-19 संक्रमण की नई लहर, देश भर में जंगल की आग की तरह फैल रही है. दक्षिण एशिया के अन्य देशों, नेपाल, श्रीलंका और मालदीव में भी कोविड-19 संक्रमण के मामलों में तेज़ बढ़ोत्तरी के कारण, हालात गम्भीर हो गए हैं. यूएन एजेंसी के मुताबिक़ वायरस हर आयु वर्ग के लोगों को संक्रमित कर रहा है जिनमें बच्चे और नवजात शिशु भी हैं.
भारत में पिछले 24 घण्टों में, संक्रमण के चार लाख 14 हज़ार से अधिक मामले दर्ज किये गए हैं, जोकि कोविड-19 महामारी के दौरान किसी एक देश में दर्ज सबसे अधिक मामले हैं. पिछले 24 घण्टों में तीन हज़ार 915 लोगों की मौत हुई है.
Geneva Palais briefing note on the impact of the deadly COVID-19 surge on children in India, and increasingly in the region https://t.co/dg9KqN2e1N
UNICEFmedia
भारत में यूनीसेफ़ की प्रतिनिधि डॉक्टर यासमीन अली हक़ ने शुक्रवार को जानकारी देते हुए बताया कि भारत में संक्रमण की मौजूदा लहर, पहली लहर की तुलना में लगभग चार गुना बड़ी है और वायरस तेज़ी से फैल रहा है.
“औसतन, हर सेकेण्ड चार से ज़्यादा नए मामले दर्ज किये जा रहे हैं और पिछले 24 घण्टों में प्रति मिनट दो से ज़्यादा मौतें हुई हैं.”
उन्होंने कहा कि “भारत में, जो कुछ भी हो रहा है, वो हम सभी के लिये ख़तरे की घण्टी होनी चाहिये. वैश्विक महामरी अभी ख़त्म होने से बहुत दूर है.”
यूनीसेफ़ प्रतिनिधि ने आगाह किया कि दक्षिण एशिया क्षेत्र के अन्य देशों - नेपाल, श्रीलंका और मालदीव में संक्रमण मामलों में चिन्ताजनक बढ़ोत्तरी जारी है.
“स्वास्थ्य प्रणालियाँ पूरी तरह ध्वस्त हो सकती हैं, जिससे और ज़्यादा संख्या में त्रासद मौतें होंगी.
उन्होंने बताया कि दक्षिण एशियाई देशों में टीकाकरण का स्तर बेहद कम है – भारत, श्रीलंका और नेपाल में यह आँकड़ा 10 फ़ीसदी से भी कम है, जिससे वायरस के तेज़ फैलाव का ख़तरा बढ़ गया है.
बच्चों पर असर
भारत में यूनीसेफ़ की प्रतिनधि ने कहा कि कोविड-19 मामलों में बढ़ोत्तरी से, वायरस से प्रभावित होने वाले बच्चों की संख्या भी बढ़ रही है.
“महामारी के फैलने और सार्वजनिक स्वास्थ्य व सामाजिक उपायों का, दूसरी लहर के बाद बच्चों पर असर बढ़ने की सम्भावना है.”
“वे एक त्रासदी में जीवन गुज़ार रहे हैं. बच्चे वायरस के कारण अपने माता-पिता व देखभाल करने वालों को खो रहे हैं, जिससे बड़ी संख्या में बच्चे निराश्रय और अभिभावकों अभाव वाली देखभाल में रह रहे हैं.”
यूनीसेफ़ प्रतिनिधि डॉक्टर यासमीन हक़ ने कहा कि फ़िलहाल पर्याप्त आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं, मगर सोशल मीडिया पर अवैध रूप से गोद लेने की अपीलें दिखाई दे रही हैं.
इससे बच्चों के तस्करों के हाथों में फँसने और दुर्व्यवहार का शिकार होने का ख़तरा बढ़ रहा है.
यूनीसेफ़ ने इस चुनौती से निपटने के लिये अनाथ बच्चों के संरक्षण के लिये ज़्यादा प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया है.
साथ ही ध्यान दिलाया है कि मौजूदा हालात में उन बच्चों पर भारी असर हो रहा है, जिन्हें ज़रूरी स्वास्थ्य, सामाजिक, संरक्षण और शिक्षा सेवाओं में व्यवधान का सामना करना पड़ रहा है.
बच्चे मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों से जूझ रहे हैं, जीवनरक्षक टीकाकरण नहीं हो पा रहा है, उनके हिंसा का शिकार होने का ख़तरा है और तालाबन्दी की वजह से, वे समर्थन नैटवर्कों से भी दूर हो गए हैं.
भारत में फ़िलहाल स्कूल बन्द हैं और अनेक प्रदेशों में दूरस्थ शिक्षा (Remote learning) में व्यवधान उत्पन्न हुआ है, जिससे लगभग 24 करोड़ बच्चे प्रभावित हुए हैं.
जवाबी कार्रवाई में मदद
भारत में संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ ज़मीनी स्तर पर स्थानीय एजेंसियों को राष्ट्रीय व स्थानीय स्तर पर समर्थन दे रही हैं.
यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने गुरूवार को न्यूयॉर्क में पत्रकारों को बताया था कि यूनीसेफ़, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष ने, 10 हज़ार ऑक्सीजन कॉन्सैण्ट्रेटर, एक करोड़ चिकित्सा मास्क और लगभग 15 लाख फ़ेस शील्ड वितरित की हैं.
यूएन टीम ने वैण्टीलेटर और ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाले संयंत्रों की भी ख़रीद की है.
इसके अलावा, यूनीसेफ़, कोविड-19 वैक्सीन के सुरक्षित भण्डारण के लिये कोल्ड-चेन उपकरण भी मुहैया करा रहा है. साथ ही एयरपोर्ट पर थर्मल स्कैनर, परीक्षण किटें और मशीनें भी उपलब्ध कराई गई हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टैण्ट और अस्थाई स्वास्थ्य केन्द्रों में बिस्तरों की व्यवस्था की है. इसके अतिरिक्त, हज़ारों सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, महामारी पर जवाबी कार्रवाई के लिये तैनात किये गए हैं.
यूनीसेफ़ और यूएन विकास कार्यक्रम (UNDP), देश भर में एक लाख 75 हज़ार टीकाकरण केन्द्रों की निगरानी के काम में सहायता प्रदान कर रहे हैं.