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दक्षिण एशिया में संक्रमण की तेज़ लहर – सहायता धनराशि के लिये अपील

दक्षिणी नेपाल के बीरगंज के एक अस्पताल में कोविड-19 मरीज़ों की भारी भीड़ है.
© UNICEF/Munna Sarraf
दक्षिणी नेपाल के बीरगंज के एक अस्पताल में कोविड-19 मरीज़ों की भारी भीड़ है.

दक्षिण एशिया में संक्रमण की तेज़ लहर – सहायता धनराशि के लिये अपील

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने निजी बचाव पोशाकों, कोविड-19 टैस्टिंग किटों सहित अन्य उपकरणों व सामग्री के इन्तज़ाम के लिये, 16 करोड़ 40 लाख डॉलर धनराशि की अपील की है. नेपाल और भारत सहित दक्षिण एशिया के देशों में कोरोनावायरस संक्रमण की जानलेवा लहर के मद्देनज़र स्वास्थ्य प्रणालियों पर भारी बोझ है और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ, प्रभावित देशों में जीवनरक्षक जवाबी कार्रवाई में सहयोग कर रही हैं.

यूनीसेफ़ के मुताबिक लगभग दो अरब आबादी वाले इस क्षेत्र में, हर सेकेण्ड तीन नए संक्रमणों की पुष्टि हो रही है, और प्रति मिनट तीन लोगों की मौत हो रही है.  

दक्षिण एशिया के लिये यूनीसेफ़ के क्षेत्रीय निदेशक जॉर्ज लारेया-अडजेई ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि जिस तेज़ी से संक्रमण की लहर फैल रही है, उससे सरकारों की अपने लोगों के लिये जीवनरक्षक उपचार सुनिश्चित करने की क्षमता पीछे छूट रही है.  

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“अस्पतालों पर भारी बोझ है, ऑक्सीजन और अन्य महत्वपूर्ण चिकित्सा आपूर्ति की भारी कमी है, और नाज़ुक स्वास्थ्य प्रणालियों के ढह जाने का ख़तरा वास्तविक है.”

इसी सप्ताह, भारत में एक दिन में साढ़े चार हज़ार से अधिक मौतें हुईं, जो पिछले वर्ष महामारी फैलने के बाद से अब तक, एक दिन में सबसे अधिक मृतक संख्या है.

पड़ोसी देश नेपाल में भी कोरोनवायरस परीक्षण के पॉज़िटिव होने की दर 47 प्रतिशत तक पहुँच गई है, और श्रीलंका व मालदीव में भी संक्रमण व मृतक संख्या में भारी बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और भूटान को भी इसी प्रकार के हालात का सामना करना पड़ सकता है.

यूनीसेफ़ के मुताबिक इस संकट का, क्षेत्र में बच्चों व उनकी माँओं पर भारी असर हुआ है. देशों में पहले से नाज़ुक स्वास्थ्य प्रणालियों पर भीषण बोझ है और वे कोविड-19 के दबाव में दरक रही हैं.

क्षेत्रीय स्तर पर जारी ताज़ा अपील में ऑक्सीजन उपकरणों की तात्कालिक आवश्यकता को रेखांकित किया गया है.

इनमें, अस्पतालों में ऑनसाइट उत्पादन के लिये ऑक्सीजन संयंत्र, लाने-ले जाने लायक ऑक्सीजन कॉण्सनट्रेटर्स व सिलेण्डर, चिकित्सा व निदान उपकरण, निजी बचाव उपकरण के इन्तज़ाम पर ज़ोर दिया गया है ताकि अग्रिम मोर्चे पर डटे स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

यूनीसेफ़ की अपील में संक्रमण की रोकथाम व नियंत्रण उपायों को अपनाए जाने पर बल दिया गया है. इसके तहत, हाथ धोने की व्यवस्था करना, सैनेटाइज़र्स का प्रबन्ध, स्वच्छता बरते जाने के लिये ज़रूरी सामग्री सहित अन्य उपचार सामग्री का इन्तज़ाम किया जाना होगा.

नेपाल में विकट हालात

नेपाल में संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने अलग से एक आपात जवाबी कार्रवाई योजना को पेश किया है, जोकि साझीदार संगठनों के साथ राष्ट्रव्यापी प्रयासों का हिस्सा है.

इसके ज़रिये तात्कालिक ज़रूरतों को पूरा किया जाएगा और देश में सबसे अधिक साढ़े सात लाख निर्बलों को राहत प्रदान की जाएगी.

अनेक महीनों तक संक्रमण के अपेक्षाकृत कम मामलों के सामने आने के बाद, मध्य-अप्रैल में कोविड-19 मामले तेज़ी से बढ़ने शुरू हुए.

नेपाल में संयुक्त राष्ट्र टीम के मुताबिक, कुछ ही हफ़्तों में संक्रमण की संख्या एक दिन में 150 से बढ़कर प्रतिदिन आठ हज़ार का आँकड़ा पार कर गई.

बताया गया है कि देश भर में हो रहे कोविड-19 परीक्षणों में लगभग आधे ही नेगेटिव आ रहे हैं, जिससे आशंका गहरा रही है कि संक्रमण का वास्तविक आँकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है.

संक्रमण में तेज़ बढ़ोत्तरी की वजह से राजधानी काठमाण्डू और अन्य शहरों के अस्पतालों पर भीषण दबाव है.

बिस्तरों की कमी के कारण मरीज़ों को वापिस भेजना पड़ रहा है. ऑक्सीजन, और अन्य महत्वपूर्ण सामग्री की देश भर में भारी क़िल्लत है.

ग्रामीण इलाक़ों में हालात विशेष रूप से चिन्ताजनक हैं, जहाँ वेण्टीलेटर के इस्तेमाल और गहन चिकिस्ता कक्षों की देखरेख के लिये स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है.  

नेपाल के लिये, कोविड-19 जवाबी कार्रवाई योजना में अन्तरराष्ट्रीय एकजुटता और त्वरित कार्रवाई का आहवान किया गया है, जोकि ज़िन्दगियों की रक्षा करने के लिये बेहद ज़रूरी है.