दक्षिण एशिया

श्रीलंका में आर्थिक संकट ने, बहुत से परिवारों के लिये, दैनिक ज़रूरतों की पूर्ति भी बहुत मुश्किल बना दी है.
© UNICEF/Chameera Laknath

श्रीलंका: बच्चों के लिये विनाशकारी संकट, दक्षिण एशिया के लिये एक चेतावनी

दक्षिण एशिया के लिये यूनीसेफ़ के क्षेत्रीय निदेशक जियॉर्ज लैरयी-ऐडजेई ने शुक्रवार को ध्यान दिलाते हुए कहा है कि श्रीलंका में मुख्य भोजन आहार, लोगों की ख़रीद शक्ति से बाहर हो गए हैं, जबकि संकट ग्रस्त देश श्रीलंका में, पहले ही गम्भीर कुपोषण की दर क्षेत्र में सबसे ऊँची थी.

दक्षिणी नेपाल के बीरगंज के एक अस्पताल में कोविड-19 मरीज़ों की भारी भीड़ है.
© UNICEF/Munna Sarraf

दक्षिण एशिया में संक्रमण की तेज़ लहर – सहायता धनराशि के लिये अपील

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने निजी बचाव पोशाकों, कोविड-19 टैस्टिंग किटों सहित अन्य उपकरणों व सामग्री के इन्तज़ाम के लिये, 16 करोड़ 40 लाख डॉलर धनराशि की अपील की है. नेपाल और भारत सहित दक्षिण एशिया के देशों में कोरोनावायरस संक्रमण की जानलेवा लहर के मद्देनज़र स्वास्थ्य प्रणालियों पर भारी बोझ है और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ, प्रभावित देशों में जीवनरक्षक जवाबी कार्रवाई में सहयोग कर रही हैं.

एक युवा बांग्लादेशी ट्रक चालक
World Bank/Scott Wallace

बांग्लादेश और भारत में परिवहन सम्पर्क - आय वृद्धि का सम्भावित स्रोत

विश्व बैन्क (World Bank) विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण एशिया में स्थित, विभिन्न देशों के बीच मज़बूत परिवहन सम्पर्क स्थापित करने से ना सिर्फ़ सभी देशों को लाभ होगा, बल्कि स्थानीय लोगों की आय में भी बढ़ोत्तरी होगी. इस विषय पर, विश्व बैन्क में दक्षिण एशिया के लिये क्षेत्रीय एकीकरण निदेशक सेसिल फ्रुमेन,  परिवहन से जुड़े मामलों के लिये वरिष्ठ अर्थशास्त्री मातिआस हरेरा डप्पे, और निजी क्षेत्र विकास के लिये मुख्य विशेषज्ञ चार्ल्स कुनाका का संयुक्त ब्लॉग...

नई दिल्ली के राष्ट्रमण्डल खेल गाँव में कोविड-19 उपचार केन्द्र में मरीज़ों का इलाज हो रहा है.
© UNICEF/Amarjeet Singh

भारत: जंगल में आग की तरह फैल रहा है संक्रमण, यूनीसेफ़ की चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने चिन्ता जताई है कि भारत में कोविड-19 संक्रमण की नई लहर, देश भर में जंगल की आग की तरह फैल रही है. दक्षिण एशिया के अन्य देशों, नेपाल, श्रीलंका और मालदीव में भी कोविड-19 संक्रमण के मामलों में तेज़ बढ़ोत्तरी के कारण, हालात गम्भीर हो गए हैं. यूएन एजेंसी के मुताबिक़ वायरस हर आयु वर्ग के लोगों को संक्रमित कर रहा है जिनमें बच्चे और नवजात शिशु भी हैं. 

नेपाल के एक गाँव में कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के बाद अपने टीकाकरण कार्ड को दिखाते वृद्धजन.
UNICEF/Laxmi Prasad Ngakhusi

कोविड-19: दक्षिण एशिया में बेक़ाबू वायरस पूरी दुनिया के लिये ख़तरा

दक्षिण एशिया में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के वरिष्ठ अधिकारी ने आगाह किया है कि क्षेत्र में स्थित देशों में कोविड-19 की घातक लहर से स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी बोझ है जिसमें उनके ढह जाने की आशंका है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो यह पूरी दुनिया में वैश्विक महामारी पर जवाबी कार्रवाई मेंअब तक हुई प्रगति के लिये एक बड़ा ख़तरा होगा. उन्होंने इस चुनौती से निपटने के लिये, सरकारों द्वारा तत्काल कार्रवाई और स्फूर्तिवान नेतृत्व की आवश्यकता पर बल दिया है.

भारत में एक कूड़ा घर में कचरे में कुछ काम की चीज़ें बीनती एक महिला
UNDP

दक्षिण एशिया में, समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने का संकल्प - ब्लॉग

प्लास्टिक के अनुमानतः 5.2 खरब टुकड़े पहले से ही महासागर को प्रदूषित कर रहे हैं, और इस मात्रा में प्रत्येक वर्ष, 80 लाख टन की बढ़ोत्तरी होती है. इस समस्या से निपटने के लिये दक्षिण एशियाई देशों ने साथ मिलकर इसका समाधान करने की ठानी है. इस बारे में विस्तृत जानकारी के लिये विश्व बैंक की क्षेत्रीय एकीकरण मामलों की निदेशिका सेसली फ्रूमेन, दक्षिण एशियाई सतत विकास के क्षेत्रीय निदेशक जॉन रूमे और पवन पाटिल का ब्लॉग.

अफ़ग़ानिस्तान के हेरात प्रान्त में, आन्तरिक विस्थापितों के लिये बनाए गए एक शिविर में, सामुदायिक शिक्षा केन्द्र में कुछ बच्चे.
UNICEF/Omid Fazel

दक्षिण एशिया: महामारी के कारण जच्चा-बच्चा मौतों में तीव्र बढ़ोत्तरी

संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों ने कहा है कि दक्षिण एशिया में, कोविड-19 के कारण, स्वास्थ्य सेवाओं में उत्पन्न हुए गम्भीर व्यवधान के परिणामस्वरूप, वर्ष 2020 के दौरान, जच्चा-बच्चा की अतिरिक्त दो लाख 39 हज़ार मौतें हुई हैं.

यूएनडीपी की नई रिपोर्ट को जारी करते हुए भारत में रेज़िडेंट रिप्रेज़ेन्टेटिव शोको नादा (मध्य), विकास अर्थशास्त्री स्वास्तिक दास (दाएं) और लैंगिक मामलों पर सलाहकार अलका नारंग (बाएं)
UN India

प्रगति की राह पर दक्षिण एशिया लेकिन चुनौतियां बरक़रार

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की नई रिपोर्ट कहती है कि दक्षिण एशिया ने मानव विकास के क्षेत्र में सबसे तेज़ प्रगति हासिल की है. वर्ष 1990 से 2018 की अवधि में दक्षिण एशिया क्षेत्र में 46 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई जिसके बाद 43 प्रतिशत बढ़ोत्तरी के साथ पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र का स्थान है. लेकिन दक्षिण एशिया में ही बहुआयामी ग़रीबी से पीड़ित लोगों की एक बहुत बड़ी संख्या भी रहती है है और जलवायु परिवर्तन हालात को और ज़्यादा गंभीर बना रही है. 

पेरु के एक अस्पताल में अपने नवजात शिशु को गोद में संभालती एक महिला.
UNICEF/Ilvy Njiokiktjien

साल के पहले दिन पैदा होंगे तीन लाख से ज़्यादा बच्चे: यूनिसेफ़

​संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ़) के एक अनुमान के अनुसार साल 2019 के पहले दिन दुनिया में 395,072 बच्चों को जन्म होगा. इनमें से एक करीब एक-चौथाई बच्चे दक्षिण एशिया में पैदा होंगे. पैदा होने के तुरंत बाद  होने वाली मौतें चिंता का कारण बनी हुई हैं जिसके प्रति यूनिसेफ़ ने आगाह किया है.