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म्याँमार: देश पूर्ण व गम्भीर संघर्ष के रास्ते पर, मानवाधिकार प्रमुख की चेतावनी

म्याँमार के यंगून शहर में, विभिन्न नस्लीय व धार्मीक पृष्ठभूमि के लोग, प्रार्थना सभा में शिरकत करते हुए.
Unsplash/Zinko Hein
म्याँमार के यंगून शहर में, विभिन्न नस्लीय व धार्मीक पृष्ठभूमि के लोग, प्रार्थना सभा में शिरकत करते हुए.

म्याँमार: देश पूर्ण व गम्भीर संघर्ष के रास्ते पर, मानवाधिकार प्रमुख की चेतावनी

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष मानवाधिकार अधिकारी मिशेल बाशेलेट ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा है कि म्याँमार में, प्रदर्शनों पर किया जाने वाला मौजूदा दमन, सीरिया की ही तरह, गम्भीर व पूर्ण संघर्ष का रूप भी ले सकता है. उन्होंने प्रभाव वाले देशों से, आम नागरिकों की “हत्याएँ” रोकने के लिये, तुरन्त और असरदार कार्रवाई किये जाने का आग्रह भी किया है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने मंगलवार को कहा, “ये स्पष्ट है कि निन्दा करने वाले वक्तव्य जारी करना और सीमित लक्षित प्रतिबन्ध पर्याप्त नहीं हैं." 

"प्रभाव वाले देशों को, म्याँमार की सेना पर, मानवाधिकारों के गम्भीर उल्लंघन, और मानवता के विरुद्ध सम्भावित अपराधों को रोकने के लिये, तुरन्त ठोस दबाव डालना होगा.”

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मानवाधिकार उच्चायुक्त की ये अपील ऐसे समय में आई है जब म्याँमार में, बीते सप्ताहान्त सेना द्वारा बागो में एक “सुनियोजित रक्तपात” में, कम से कम 82 लोगों की मौत हो गई.

विश्वस्त ख़बरों के अनुसार, म्याँमार की सेना – तत्मादाव ने रॉकेटों से दागे जाने वाले गोलों और फटने वाले ग्रेनेडों व मोर्टारों का भी इस्तेमाल किया.

उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि म्याँमार की सेना, देश के लोगों के ख़िलाफ़ हिंसा की निर्दयी नीति को और ज़्यादा सघन बनाने पर तुली हुई है, जिसमें सैन्य दर्जे के हथियारों का प्रयोग, अंधाधुंध तरीक़े से किया जा रहा है.”

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के अनुसार ऐसी भी ख़बरें हैं कि सुरक्षा बलों ने, चिकित्साकर्मियों को घायलों का इलाज करने से भी रोका है, और मृतकों के शव हासिल करने की कोशिश करने वाले सम्बन्धियों से 90 डॉलर का जुर्माना वसूले जाने की भी ख़बरें हैं.

मानवाधिकार कार्यालय ने ये भी कहा कि कुछ लोग, आत्म सुरक्षा के लिये, अब स्थानीय तौर पर बनाए गए देसी हथियारों का भी सहारा ले रहे हैं.

मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने म्याँमार पर संयुक्त राष्ट्र के तथ्य जाँच दल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए, म्याँमार के सैन्य नेतृत्व को शस्त्रों और धन की आपूर्ति बन्द करने की ज़रूरत को भी रेखांकित किया है, जिसके ज़रिये, वो मानवाधिकारों का गम्भीर हनन करते हैं.

सीरिया जैसे हालात

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने आगाह करते हुए कहा कि म्याँमार के हालात, वर्ष 2011 में सीरिया में भड़के हालात से बिल्कुल मिलते-जुलते हैं, जिनके बाद सीरिया गृहयुद्ध में धँस गया.

सारी दुनिया ने देखा है कि पिछले लगभग दस वर्षों के दौरान, किस तरह सीरिया में लाखों लोगों की मौतें होने के साथ-साथ, कितनी भीषण तबाही हुई है.

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि सीरिया में भी हमने देखा था कि शान्तिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर अनावश्यक व स्पष्ट रूप में, ज़रूरत से ज़्यादा बल प्रयोग किया गया था.

देश की सरकार द्वारा अपने ही देश के लोगों का क्रूर व लगातार दमन किये जाने से, नतीजा ये हुआ कि कुछ लोगों ने हथियार उठा लिये, जिसके बाद पूरे देश में, हिंसा और तबाही का ना रुकने वाला चक्र शुरू हो गया.

मिशेल बाशेलेट ने कहा कि उस समय के यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने आगाह किया था कि अगर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय, ठोस समाधान व कार्रवाई करने में नाकाम रहता है तो उसके नतीजे सीरिया और उससे भी आगे, बहुत भीषण व विनाशकारी होंगे. 

उन्होंने कहा, “मुझे डर है कि म्याँमार में भी हालात, एक पूर्ण व गम्भीर संघर्ष की तरफ़ बढ़ रहे हैं. देशों को, सीरिया और अन्य स्थानों पर हुई इसी तरह की भूलों को, म्याँमार में भी दोहराने का मौक़ा नहीं देना चाहिये.”

लोग छुपने को मजबूर, इण्टरनेट बन्द

सेना द्वारा 1 फ़रवरी को, तख़्तापलट करने के बाद से हुए विरोध प्रदर्शनों पर सुरक्षा बलों की दमनात्मक कार्रवाई में, 700 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई है, हज़ारों अन्य घायल हुए हैं, जिनमें से अनेक की हालत गम्भीर है.

मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के अनुसार कम से कम तीन हज़ार 80 लोगों को हिरासत में रखा गया है, और ऐसी भी ख़बरें हैं कि गुप्त क़ानूनी कार्रवाई के बाद, 23 लोगों को मृत्युदण्ड का फ़ैसला सुनाया गया है. इनमें 4 प्रदर्शनकारी हैं जिन पर राजनैतिक व आपराधिक आरोप लगाए गए.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त, मिशेल बाशेलेट. (फ़ाइल फ़ोटो)
UN Photo/Laura Jarriel
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त, मिशेल बाशेलेट. (फ़ाइल फ़ोटो)

कार्यालय के अनुसार बड़े पैमाने पर गिरफ़्तारियों को देखते हुए, बहुत से लोग छुपने को मजबूर हैं, और ऐसी ख़बरें हैं कि बहुत से पत्रकारों, सिविल सोसायटी कार्यकर्ताओं, मशहूर हस्तियों और अन्य सार्वजनिक हस्तियों की तलाश की जा रही है.

इनमें से बहुत से लोग तो इसलिये वांछित हैं क्योंकि उन्होंने ऑनलाइन मंचों पर असहमति जताई है.

वायरलैस इण्टरनेट और मोबाइल इण्टरनेट डेटा सेवाएँ भी, 2 अप्रैल को, अनिश्चितकाल के लिये बन्द कर दी गईं जिनके कारण, बहुत से लोग सूचना व संचार की सेवाओं से वंचित रह गए हैं.

बुनियादी ढाँचा डूबने के निकट

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने ये भी आगाह किया है कि म्याँमार की अर्थव्यवस्था, शिक्षा और स्वास्थ्य ढाँचे बिखरने के निकट पहुँच गए हैं, जिसके कारण, लाखों लोगों की आजीविकाएँ ख़त्म हो गई हैं, बुनियादी सेवाएँ बिखर गई हैं और लगातार खाद्य असुरक्षा के हालात पैदा हो गए हैं.

देश के भीतर ही शहरी इलाक़ों में रहने वाले लाखों लोग, अपने मूल स्थानों के लिये रवाना हो गए हैं, जिनमें अधिकतर लोगों के पास, ख़ुद के लिये और अपने परिवारों का भरण-पोषण करने के लिये थोड़ा सा ही सामान है.

इसके अलावा, अनेक स्थानों पर, सेना और सशस्त्र गुटों के बीच झड़पें और बढ़ रही हैं जिनमें काचीन, शान और कायीन प्रान्त शामिल हैं.

इन स्थानों पर सेना ने हवाई हमले किये हैं जिनमें अनेक आम लोग मारे गए हैं और कई सौ लोगों को सुरक्षा की ख़ातिर पड़ोसी देशों मे विस्थापित होना पड़ा है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने पड़ोसी देशों से, म्याँमार में हिंसा से बचने के लिये विस्थापित होने वाले लोगों को, अस्थाई सुरक्षा मुहैया कराने और इन लोगों को वापिस म्याँमार को नहीं लौटाने का आहवान किया है. 

उन्होंने म्याँमार में सेना और पड़ोसी देशों से, ज़रूरतमन्द आबादी तक, मानवीय सहायता पहुँचाए जाने की सुविधा मुहैया कराने का भी आग्रह किया है.