म्याँमार: सैन्य बलों की दमनकारी नीतियों से, ‘मानवाधिकारों के लिए संकट बरक़रार’

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने अपनी एक नई रिपोर्ट में आगाह किया है कि म्याँमार में सैन्य तख़्तापलट के बाद के दो वर्षों में, सैन्य नेतृत्व की दमनकारी नीतियों के कारण, हज़ारों आम नागरिकों की मौत हुई है, लड़ाई के कारण 80 फ़ीसदी रिहायशी इलाक़ों पर असर हुआ है, और अनेक मोर्चों पर जूझ रहे सुरक्षा बलों ने हवाई कार्रवाई का भी सहारा लिया है.
शुक्रवार को जारी इस रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम दो हज़ार 940 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, सैन्य बलों और उसके सहयोगी गुटों ने, साढ़े 17 हज़ार से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया है.
देश में कुल 330 बस्तियों में से 80 प्रतिशत बस्तियाँ, सशस्त्र झड़पों की चपेट में आई हैं.
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म्याँमार के लिए यूएन मानवाधिकार टीम प्रमुख जेम्स रॉडेहेवर ने म्याँमार में संकट पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि हिंसा, हत्याएँ, मनमाने ढंग से गिरफ़्तारी, यातना और विपक्षियों की जबरन गुमशुदगी जारी है.
उन्होंने क्षोभ प्रकट करते हुए कहा कि एक फ़रवरी 2022 से 31 जनवरी 2023 तक, देश में पनपे हालात के कारण स्थानीय लोग बाहरी समर्थन के लिए हताश हैं.
“अपने समक्ष इन सभी चुनौतियों के बावजूद, इस तख़्तापलट का विरोध करने और अपने मानवाधिकारों व लोकतांत्रिक भविष्य की तलाश जारी रखने के लिए म्याँमार के लोगों का जज़्बा अभी नहीं टूटा है.”
यूएन मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, सैन्य तख़्तापलट के बाद से अब तक लगभग तीन हज़ार आम नागरिकों की मौत हुई है. इनमें से 30 फ़ीसदी के हिरासत में रखे जाने के दौरान मौत होने की आशंका है.
जेम्स रॉडेहेवर के अनुसार पिछले एक वर्ष में हिंसा तेज़ हुई है, विशेष रूप से पश्चिमोत्तर और दक्षिण-पूर्व म्याँमार में, जिसके कारण सैन्य बलों के लिए सक्रिय लड़ाई के 14 अलग-अलग मोर्चे खुल गए हैं.
म्याँमार में यूएन मानवाधिकार टीम के प्रमुख ने बताया कि यह एक वजह है कि उन पर दबाव बढ़ा है और उन्हें हवाई कार्रवाई और भारी हथियारों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. यह इस बात का संकेत नहीं है कि परिस्थितियाँ उनके नियंत्रण में हैं.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने म्याँमार संकट पर तत्काल, ठोस उपायों के ज़रिए, विराम लगाने की पुकार लगाई है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हिंसा को तुरन्त रोकना होगा, मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा किया जाना होगा, जवाबदेही निर्धारित की जानी होगी और मानवीय राहत प्रदान करने के लिए निर्बाध रास्ता भी प्रदान करना होगा.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि सैन्य तख़्तापलट के दो वर्ष बाद, सैन्य नेतृत्व ने विरोध को उखाड़ फेंकने के लिए बेहद कठोर क़दम उठाए हैं.
“यह त्रासदीपूर्ण है कि शान्ति व संयम के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक प्रयास को मोटे तौर पर अनसुना कर दिया गया है... इस रिस रही बर्बादी का अन्त करने के लिए तत्काल, ठोस क़दम उठाए जाने की आवश्यकता है.”
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने आम नागरिकों पर हवाई हमले किए जाने की अनेक घटनाओं के मामलों में साक्ष्य जुटाए हैं.
रिपोरट बताती है कि 16 सितम्बर 2022 को किस तरह चार हैलीकॉप्टरों ने सगाइन्ग के लेत येत कोन गाँव में स्थित एक स्कूल पर गोलीबारी की, जिसमें कम से कम छह बच्चों की मौत हो गई और 9 अन्य घायल हुए.
मानवाधिकार मामलों के लिए यूएन प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने जिनीवा में पत्रकारों को ऐसे एक मामले की जानकारी देते हुए बताया कि हैलीकॉप्टर से लगभग 60 सैनिकों को ज़मीन पर तैनात किया गया, जिसके बाद उन्होंने गाँव पर धावा बोला, स्कूल के कर्मचारी और पाँच ग्रामीणों को जान से मार दिया, और घायल बच्चों व अध्यापकों को गिरफ़्तार कर लिया.
रवीना शमदासानी ने कहा कि सैन्य बल, चार तरह से नुक़सान पहुँचाने के निम्न तौर-तरीक़ों पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं: ताबड़तोड़ हवाई हमले और गोलाबारी, आम लोगों को विस्थापित करने के लिए गाँवों को पूरी तरह बर्बाद करना, और मानवीय सहायता पहुँचाने के रास्तों को नकार देना.
उनके अनुसार, सैन्य बलों का लक्ष्य, ग़ैर-सरकारी, संगठित सशस्त्र गुटों और अन्य सैन्य विरोधी हथियारबन्द गुटों तक भोजन, वित्त पोषण, गुप्त जानकारी और नए भर्ती लड़ाकों को पहुँचने से रोकना है.
यूएन रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में फ़रवरी 2022 के बाद के सैन्य अभियानों में 39 हज़ार घर जलाए गए या ध्वस्त किए गए हैं. वर्ष 2021 की तुलना में ये घटनाएँ एक हज़ार गुना वृद्धि को दर्शाती हैं.
यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने बताया कि अब म्याँमार में 20 हज़ार राजनैतिक बन्दी हैं. लगभग 16 हज़ार हिरासत में हैं, मगर अभी यह जानकारी नहीं है कि उन्हें किन स्थानों पर रखा गया है.
जेम्स रॉडेहेवर ने कहा, “इनमें से बहुत से लोग, हम जानते हैं कि उन्हें गिरफ़्तार किया गया था, लेकिन हमें बिलकुल भी अन्दाज़ा नहीं है कि वे कहाँ हैं, और इनमें उनके परिवार भी हैं.”
“दुर्भाग्यवश, हिरासत केन्द्र में मानव कल्याण समूहों समेत किसी को भी नहीं जाने दिया गया है.”
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की म्याँमार में मौजूदगी नही है, जिसकी वजह से इस रिपोर्ट के निष्कर्ष मुख्यत: पीड़ितों, भुक्तभोगियों और जीवित बच गए लोगों से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है.
उनसे प्राप्त जानकारी को फिर तस्वीरों, सत्यापित मल्टीमीडिया फ़ाइल और विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त जानकारी, डेटा, और यूएन प्रणाली के साथ सूचना के आदान-प्रदान से पुष्टि की गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, म्याँमार में हताहतों की संख्या, ज़मीनी स्तर पर वास्तविकता पीड़ितों से कहीं कम होने की आशंका है.