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सहिष्णुता के लिये रोड मैप

नस्लवाद के ख़िलाफ़, यूएनपीए द्वारा जारी डाक-टिकट.
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नस्लवाद के ख़िलाफ़, यूएनपीए द्वारा जारी डाक-टिकट.

सहिष्णुता के लिये रोड मैप

मानवाधिकार

बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका के लिये यूनेस्को नई दिल्ली कार्यालय में निदेशक और प्रतिनिधि, एरिक फ़ॉल्ट का मानना है कि नस्लवाद दूर करने के लिये केवल अच्छी नीयत ही काफ़ी नहीं हैं, बल्कि नस्ल-विरोधी कार्रवाई भी ज़रूरी है.

हर साल 21 मार्च को, पूर्वाग्रह और असहिष्णुता से लड़ने और एक वैश्विक एकजुटता आन्दोलन के लिये नस्लीय भेदभाव के उन्मूलन का अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है.  

यह पूरा सप्ताह, आधुनिक नस्लवाद के अति सूक्ष्म कारणों और परिणामों का पता लगाने और विश्व स्तर पर व भारत में भेदभाव का मुक़ाबला करने के लिये एक महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने का अवसर प्रदान करता है. मानवाधिकारों के उल्लंघन के अलावा, नस्लीय भेदभाव का मानव स्वास्थ्य और कल्याण पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, और इससे सामाजिक सामंजस्य में व्यापक व्यवधान का जोखिम होता है.

संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफ़ी अन्नान के शब्द इस लड़ाई में बेहद प्रासंगिक हैं: “हमारा मिशन है - ज्ञान के ज़रिये अज्ञानता का सामना करना, सहिष्णुता के साथ कट्टरता और उदारता का हाथ बढ़ाकर, अलगाववाद का सामना करना. नस्लवाद को पराजित किया जा सकता है और उसे पराजित होना होगा.”

नस्लवाद और भेदभाव के वर्तमान रूप जटिल और अक्सर गुप्त रहते हैं. नस्लवाद विरोधी सार्वजनिक दृष्टिकोण में भी सुधार हुआ है, क्योंकि नस्लवादी विचारधारा की अभिव्यक्तियाँ सामाजिक रूप से कम स्वीकार्य हो गई हैं. फिर भी, इण्टरनेट पर गुमनामी के कारण नस्लवादी रूढ़ियों और ग़लत सूचनाओं का ऑनलाइन प्रसार बढ़ रहा है.

2020 में कोविड-19 महामारी की शुरुआत में, अमेरिका में नफ़रत फैलाने वाली वेबसाइटों पर एशियाई मूल के लोगों को लक्ष्य बनाते सन्देशों में 200% का इज़ाफा हुआ.  

भारत और श्रीलंका में, सोशल मीडिया ग्रुप और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल धार्मिक अल्पसंख्यकों के सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार के लिये किया गया, जिसमें वायरस फैलाने का आरोप लगाते हुए झूठी जानकारी दी गई.

छोटी-छोटी बातों पर आक्रामक बर्ताव और रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में अपमानित करने जैसे, भेदभाव के संरचनात्मक रूप सभी जगह व्यापक हैं.

सुरक्षा की नई तकनीकों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग से ‘टेक्नो-रेसिज्‍म’ बढ़ता है, क्योंकि चेहरे की पहचान जैसे कार्यक्रमों के ग़लत इस्तेमाल से नस्लीय समुदायों को लक्षित किया जा सकता है.

पक्षपातपूर्ण व्यवहार और भेदभावपूर्ण कार्य, चाहे छोटे-मोटे हों या बड़े, समाज में विद्यमान असमानताओं को बढ़ाते हैं, और अन्तर्विरोधी कमज़ोरियों को उजागर करते हैं.

लैंसेट द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में कोविड-19 महामारी के सामाजिक आयाम और जातीय अल्पसंख्यकों की सम्वेदनशीलता की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है, जिनपर इसका असमान रूप से असर पड़ा हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी समुदायों को कलंकित करती प्रोफ़ाइलिंग के ख़तरों के बारे में चेतावनी दी है, क्योंकि इससे दहशत और डर फैलते हैं और कोविड के मामलों का पता लगाने में देरी हो सकती है.

महिलाएँ और लड़कियाँ भी नस्लीय और लिंग आधारित पूर्वाग्रहों का दोहरा बोझ झेलती हैं. नस्लीय भेदभाव हमारे समाजों में असमानता को और ज़्यादा गहरा करता है.

वैश्विक फ़ोरम 

इस महत्वपूर्ण चर्चा में योगदान देने और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता की और ध्यान दिलाने के लिये, पेरिस में यूनेस्को के मुख्यालय ने 22 मार्च 2021 को कोरिया गणराज्य के साथ साझेदारी में नस्लवाद और भेदभाव के ख़िलाफ़ एक वैश्विक फ़ोरम की मेज़बानी की.

फ़ोरम में शिक्षाविद और भागीदार, एक नई बहु-हितधारक नस्लभेद विरोधी भागीदारी शुरू करने के लिये एकजुट हुए थे.

सहिष्णुता के नए प्रस्तावित रोडमैप में, नस्लवाद-विरोधी क़ानूनों और नीतियों के ज़रिये, नस्लवाद व भेदभाव के मूल कारणों से निपटने हेतु बहु-क्षेत्रीय प्रयास करने का आहवान किया गया है.

शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और संचार के माध्यम से नस्लवाद के ख़िलाफ़ यूनेस्को की कार्रवाई, भविष्य की राह का एक उदाहरण है.

यूनेस्को - शिक्षा के माध्यम से, युवाओं द्वारा, नस्लवाद को बढ़ावा देवे वाली प्रक्रियाओं को समझने, अतीत से सीखने और मानवाधिकारों के लिये खड़े होने के लिये प्रेरित करता है.

'वैश्विक नागरिकता शिक्षा और मीडिया सूचना साक्षरता' जैसे अन्तर-सांस्कृतिक विचार-विमर्श और सीखने के नए तरीक़ों के ज़रिये, युवाओं और समुदायों को हानिकारक रूढ़ियों को ख़त्म करने और सहनशीलता को बढ़ावा देने के लिये, कौशल और दक्षताओं से युक्त बनाया जा सकता है.

यूनेस्को, छात्रों को अपने स्कूलों व समुदायों में नस्लवाद का विरोध करने के लिये सशक्त बनाने हेतु प्रशिक्षण भी प्रदान करता है. समावेशी और सतत शहरों का अन्तरराष्ट्रीय गठबंन्धन, शहरी स्तर की योजना के लिये एक अतिरिक्त मंच प्रदान करता है और नस्लवाद व भेदभाव के ख़िलाफ़ लड़ाई में उत्कृष्ट प्रथाओं पर अमल करने का माध्यम बनता है.

नस्लवाद और भेदभाव की हाल की नई अभिव्यक्तियाँ, नए सिरे से समानता के लिये लामबन्द होने और असहिष्णुता के ख़िलाफ़ खड़े होने के लिये प्रतिबद्धताओं का आहवान करती हैं.

नस्लवाद को केवल अच्छी नीयत रखने मात्र से ख़त्म नहीं किया जा सकता, बल्कि हमारे समाजों में व्याप्त अति और सूक्ष्म असमानताओं को उजागर करके, सक्रिय रूप से नस्लवाद विरोधी कार्रवाई के ज़रिये, ही उनका निवारण किया जा सकता है.

सहिष्णुता, समानता और भेदभाव विरोधी वैश्विक संस्कृति, सबसे पहले महिलाओं और पुरुषों के हृदय में बननी बेहद महत्वपूर्ण है.