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नेलसन मण्डेला: न्याय व समानता के लिये संघर्ष का पर्याय

नेलसन मण्डेला अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर आयोजित, यूएन महासभा की एक अनौपचारिक बैठक को सम्बोधित करते हुए, दक्षिण अफ़्रीका की, अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों और सहयोग मंत्री नलेडी पैण्डॉर.
UN Photo/Loey Felipe
नेलसन मण्डेला अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर आयोजित, यूएन महासभा की एक अनौपचारिक बैठक को सम्बोधित करते हुए, दक्षिण अफ़्रीका की, अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों और सहयोग मंत्री नलेडी पैण्डॉर.

नेलसन मण्डेला: न्याय व समानता के लिये संघर्ष का पर्याय

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने नेलसन मण्डेला की 102वीं जयन्ती के अवसर पर, उन्हें साहस, करुणा और सामाजिक न्याय व समानता को बढ़ावा देने वाला एक ऐसा व्यक्ति क़रार दिया जिसने दक्षिण अफ़्रीका में नस्लवादी रंगभेद व्यवस्था का ख़ात्मा करने वाले आन्दोलन का नेतृत्व किया. 

नेलसन मण्डेला अन्तरराष्ट्रीय दिवस, हर वर्ष 18 जुलाई को मनाया जाता है. 

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यूएन उप प्रमुख आमिना जे मोहम्मद ने इस दिवस के मौक़े पर बुधवार को आयोजित, संयुक्त राष्ट्र महासभा की विशेष बैठक में कहा कि नेलसन मण्डेला संयुक्त राष्ट्र और मानव परिवार की सर्वोच्च आकांक्षाओं की प्रतिमूर्ति थे.

सच को धुँधला किया जाना

यूएन उप महासचिव ने कहा कि नफ़रत भरी भाषा और तथ्यों को नकारने का चलन, उदार लोकतांत्रिक देशों और सर्वसत्तावादी व्यवस्थाओं, दोनों में ही मुख्य धारा में जगह बना रहा है.

इससे सच धुँधला पड़ रहा है, विज्ञान पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं और लोकतांत्रिक संस्थाओं की अहमियत कम हो रही है.

उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि “ऐतिहासिक तथ्यों की बहुत कम या बिल्कुल भी जानकारी नहीं रखने वाले लोग, दुष्प्रचार और सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के वायरस से संक्रमित हैं और हिंसक विचारधाराएँ अपना रहे हैं.”

आमिना जे मोहम्मद ने कहा कि इस स्थिति को, कोविड-19 महामारी ने और भी विकट बना दिया है, और निर्धनता व अन्याय के ख़िलाफ़ लड़ाई में वर्षों के दौरान हासिल की गई प्रगति को पीछे की ओर मोड़ दिया है.

इससे हाशिये पर रहने वाले और वंचित लोगों को सबसे ज़्यादा तकलीफ़ों का सामना करना पड़ रहा है, और अक्सर उन्हें ऐसी समस्याओं के लिये ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है जो उन्होंने उत्पन्न नहीं की हैं.

संयुक्त राष्ट्र की वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अफ़्रीकी मूल के लोगों, आदिवासियों, नस्लीय व धार्मिक अल्पसंख्यकों और जिन लोगों को शरणार्थियों के रूप में अपने घर छोड़ने के लिये मजबूर होना पड़ा है, इन सबको नस्लवाद, घृणा, पूर्वाग्रह और उससे सम्बन्धित असहिष्णुता का सामना करना पड़ता है.

“ये ऐसी बुराइयाँ हैं जिनके ख़िलाफ़ नेलसन मण्डेला खड़े हुए और अपनी लम्बी विरासत छोड़ी.”

शान्ति का दशक

सितम्बर 2018 में, संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में, नेलसन मण्डेला शान्ति सम्मेलन हुआ था जिसमें सरकारों व सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों ने एक समृद्ध, समावेशी और न्यायपूर्ण दुनिया बनाने के प्रयास दोगुने करने का संकल्प लिया.

वर्ष 2019 से 2028 के समय को नेलसन मण्डेला शान्ति दशक भी घोषित किया गया.

संयुक्त राष्ट्र उप प्रमुख आमिना जे मोहम्मद ने कहा, “ये हमारी वैयक्तिक ज़िम्मेदारी है कि हम दुनिया भर में लोकतंत्र व शान्ति की हिमायत करते समय, मदीबा द्वारा पेश किये गए विनम्रता, क्षमा दान और करुणा के उदाहरणों पर अमल करें.”

“कोविड-19 महामारी ने हमें मानवीय एकता और एकजुटता की अति महत्ता दिखा दी है. ये ऐसे मूल्य हैं जिन्हें मदीबा ने, न्याय के लिये अपने जीवन पर्यन्त संघर्ष के दौरान अपनाया, उनकी हिमायत की और आगे बढ़ाया.”

यूएन उप महासचिव ने इस मौक़े पर बैठक में शिरकत करने वालों से, नेलसन मण्डेला के इस सन्देश से प्रेरणा लेने का आग्रह किया, “शान्ति, मानवाधिकारों, प्रकृति के साथ सदभाव और सभी के लिये गरिमा को प्रोत्साहित करने के लिये, हम में से हर की एक महत्वपूर्ण भूमिका है.”

मदीबा के आदर्श

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष वोल्कान बोज़किर ने कहा कि नेलसन मण्डेला ने अपने जीवन और विरासत में, देशों के भीतर व उनके बीच, सभी लोगों के लिये अन्तर्निहित गरिमा और समानता की हिमायत की, और इसमें नस्ल, राष्ट्रीयता या आस्था के आधार पर कोई भेद ना हो. ये सब ऐसे वैश्विक मूल्य हैं जो संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और मानवाधिकार सन्धियों में उल्लिखित हैं.

वोल्कान बोज़किर ने कहा कि मण्डेला नाम ही न्याय और समानता के लिये संघर्ष का पर्याप बन चुका है और इस नाम को दुनिया भर में लगभग 8 करोड़ 24 लाख लोगों की तकलीफ़ों पर ग़ौर करने के लिये याद किया जाए जिन्हें जबरन विस्थापित होना पड़ा है.

इनमें वो महिलाएँ व लड़कियाँ भी हैं जिन्हें यौन व लिंग आधारित हिंसा का सामना करना पड़ता है, और ऐसे असहिष्णुता व नस्लीय भेदभाव भी हैं जो उस प्रगति को ख़त्म करने का जोखिम पैदा करते हैं जिनके लिये मण्डेला ने संघर्ष किया.

यूएन महासभा के अध्यक्ष ने कहा, “अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के रूप में, हम सभी को सामूहिक कार्रवाई करनी होगी. जब तक नस्लभेद और और किसी भी तरह का भेदभाव मौजूद है, हम 2030 एजेण्डा के लक्ष्य हासिल नहीं कर सकते.”

अन्य का जीवन बेहतर बनाएँ

दक्षिण अफ़्रीका की, अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों व सहयोग मामलों की मंत्री नलेडी पैण्डॉर ने इस बैठक में कहा कि व्यवस्थागत नस्लभेद ने, सभी जगह समुदायों पर बहुत बुरा असर छोड़ा है.

उन्होंने याद करते हुए कहा कि नेलसन मण्डेला ने स्वाहिली भाषा का एक ऐसा शब्द (Ubunti) इस्तेमाल किया जिसका अर्थ होता है, “आज़ाद होने का मतलब केवल किसी की बेड़ियाँ तोड़ देना भर नहीं है” बल्कि इस तरह से जीवन जीना है, जिसमें अन्य लोगों की ज़िन्दगियों में भी सुधार हो.

उन्होंने कहा, “हम सभी आपस में एक दूसरे से सम्बद्ध हैं, और किसी एक व्यक्ति की बढ़त व प्रगति, अन्य लोगों की प्रगति व बढ़त के ज़रिये ही हो सकती है.”