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मण्डेला दिवस: गरिमा, समानता, न्याय और मानवाधिकारों के लिये पुकार की घण्टी

नेलसन मण्डेला अन्तरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर, दुनिया भर में लोकतंत्र और शान्ति की संस्कृति के लिये उनके संघर्ष को पहचान दी जाती है.
Unsplash/John-Paul Henry
नेलसन मण्डेला अन्तरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर, दुनिया भर में लोकतंत्र और शान्ति की संस्कृति के लिये उनके संघर्ष को पहचान दी जाती है.

मण्डेला दिवस: गरिमा, समानता, न्याय और मानवाधिकारों के लिये पुकार की घण्टी

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने रविवार को कहा है कि नेलसन मण्डेला अन्तरराष्ट्रीय दिवस, गरिमा, समानता, न्याय और मानवाधिकारों के एक इस महान वैश्विक पैरोकार के जीवन और उनकी विरासत पर फिर से ग़ौर करने और ध्यान देने का एक अवसर है.

अन्तरराष्ट्रीय नेलसन मण्डेला दिवस, हर वर्ष 18 जुलाई को, उनके जन्म दिवस के मौक़े पर मनाया जाता है. नेलसन मण्डेला, दक्षिण अफ़्रीका के पहले काले राष्ट्रपति रहे थे.

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यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस दिवस पर अपने सन्देश में कहा है, “हर वर्ष इस दिन, नेलसन मण्डेला के जन्म दिवस पर, हम इस असाधारण व्यक्ति को श्रद्धांजलि व्यक्त करते हैं जिसके भीतर संयुक्त राष्ट्र और मानव परिवार की सर्वोच्च अपेक्षाएँ समाहित थीं.”

सन्देश आज भी प्रासंगिक

नेलसन मण्डेला को प्रेम और श्रद्धा भाव से मदीबा भी कहा जाता है. नस्लवाद का ख़ात्मा करने और एकजुटता के लिये उनकी पुकारें, विशेष रूप से, आज भी प्रासंगिक हैं, क्योंकि दुनिया भर में सामाजिक समरसता, विभाजन के जोखिम का सामना कर रही है. 

यूएन प्रमुख ने कहा कि नफ़रत भरी भाषा यानि ‘हेट स्पीच’ और झूठ की चमक को धुँधला करने की कोशिश करने वाली झूठी जानकारियाँ फैलाने के कुकृत्य जारी हैं.

इनमें विज्ञान पर सवाल उठाए जाते हैं और लोकतांत्रिक संस्थानों की महत्ता को कम किया जाता है, समाजों में और ज़्यादा ध्रुवीकरण हो रहा है.

कोविड-19 महामारी ने इन बुराइयों को ना केवल और ज़्यादा गम्भीर और भीषण बना दिया है, बल्कि निर्धनता का उन्मूलन करने के लिये, वर्षों के दौरान हासिल की गई प्रगति को भी उलट दिया है.

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “जैसाकि संकटों के हालात में, सदैव होता है, सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वालों और तकलीफ़ उठाने वालों में, हाशियें पर रहने वाले और वो लोग होते हैं जिनके साथ भेदभाव किया जा रहा होता है. उन्हीं पर अक्सर ऐसी समस्याओं का आरोप मढा जाता है जिनमें उनका कोई हाथ नहीं होता है.”

कोविड कारक

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने इनसानों की एकजुटता और एकता की अति महत्ता को उजागर किया है. नेलसन मण्डेला ने जीवन भर न्याय की ख़ातिर अपने संघर्ष के दौरान, इन मूल्यों को ना केवल आगे बढ़ाया बल्कि उनकी महत्ता को ज़ोरदार तरीक़े से पेश किया. 

उन्होंने कहा कि जब तक सभी लोग सुरक्षित नहीं है, तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है, और हर किसी की अपनी भूमिका है.

यूएन महासचिव ने विश्व से, निर्धनता, निरक्षरता और खाद्य क़िल्लत का ख़ात्मा करने के लिये कार्रवाई करने की नेलसन मण्डेला की पुकार का सम्मान करने और उनकी विरासत से सशक्त होने का आग्रह किया.

“आइये, हम सभी मदीबा के इस सन्देश से प्रेरणा हासिल करें कि हम में से हर कोई, शान्ति, मानवाधिकारों, प्रकृति के साथ सदभावना और सभी के लिये गरिमा को प्रोत्साहित करने में, अपनी-अपनी भूमिका निभाकर अहम योगदान कर सकते हैं.” 

मण्डेला नियम

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2015 में, नेलसन मण्डेला दिवस का दायरा बढ़ाकर, कारावासों में मानवीय परिस्थितियाँ प्रोत्साहित करने, जेलों में बन्द क़ैदियों को भी समाज का हिस्सा बनाए रखने की ज़रूरत सुनिश्चित करने के बारे में जागरूकता बढ़ाने, और जेल कर्मचारियों द्वारा किये जाने वाले कामकाज को, विशेष महत्ता वाली सामाजिक सेवा के रूप में अहमियत दिये जाने, को भी शामिल किया था.

यूएन महासभा ने अपने प्रस्ताव A/RES/70/175 के ज़रिये, संयुक्त राष्ट्र के संशोधित न्यूनतम मानक पारित किये जो क़ैदियों के साथ होने वाले बर्ताव के बारे में थे.

साथ ही यह भी मंज़ूरी दी कि इन मानकों को, दक्षिण अफ़्रीका के पूर्व राष्ट्रपति की विरासत को सम्मान देने के लिये, नेलसन मण्डेला नियमों के नाम से जाना जाए.

ग़ौरतलब है कि नेलसन मण्डेला को रंगभेद ख़त्म करने के लिये उनके संघर्ष के दौरान 27 वर्ष जेलों में बिताने पड़े थे.