वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

भेदभाव

ईरान की मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगेस मोहम्मदी को नोबेल शान्ति पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है.
© VOA

नोबेल पुरस्कार विजेता, नरगिस मोहम्मदी को जेल से जल्द रिहा किए जाने की मांग

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने मृत्युदंड दिए जाने की विरोधी, महिला अधिकारों की पैरोकार, ईरानी मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को जेल से तत्काल रिहा किए जाने की मांग की है, जिन्हें पिछले सप्ताह ही नोबेल शान्ति पुरस्कर 2023 से सम्मानित किया गया था.

ईरान की राजधानी तेहरान की एक सड़क पर हिजाब पहने हुए एक महिला.
Unsplash/Amir Hosseini

ईरान: नया हिजाब विधेयक, 'अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का मखौल', वापिस लेने की मांग

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने ईरान की संसद द्वारा, लड़कियों व महिलाओं के लिए अनिवार्य पोशाक संहिता वाले विधेयक को पारित किए जाने पर गहरा खेद व्यक्त किया है. इस विधेयक में हिजाब नहीं पहनने और अन्य उल्लंघन मामलों में दोषी पाए जाने पर, 10 साल तक की सज़ा का प्रावधान है. 

लीबिया की राजधानी त्रिीपोली के एक मुख्य चौराहे का दृश्य.
© UN Photo/Abel Kavangh

लीबिया: महिलाओं के लिए 'भेदभावपूर्ण यात्रा नीति' पर चिन्ता, वापिस लिए जाने की मांग

संयुक्त राष्ट्र के स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने लीबिया में राष्ट्रीय एकता सरकार की उस भेदभावपूर्ण नीति पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है, जिसमें महिलाओं और लड़कियों के पुरूष अभिभावक या संरक्षण के बिना विदेश यात्रा करने पर मोटे तौर पर पाबन्दी लगा दी गई है.

अफ़ग़ानिस्तान की एक मस्जिद में नमाज़ का दृश्य.
UNAMA/Barat Ali Batoor

स्वीडन में क़ुरआन की प्रति जलाए जाने की घटना पर अहम मानवाधिकार बैठक

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के प्रमुख वोल्कर टर्क ने जिनीवा में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए, धार्मिक सहिष्णुता के लिए सम्मान सुनिश्चित किए जाने का आग्रह किया है. स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में, मुसलमानों की पवित्र धार्मिक पुस्तक क़ुरआन की प्रति जलाए जाने की घटना पर, पाकिस्तान के अनुरोध पर मंगलवार को मानवाधिकार परिषद की एक बैठक बुलाई गई.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदासानी.
UN News

फ्राँस: पुलिस व्यवस्था में 'नस्लवाद व भेदभाव' के मुद्दों से निपटने का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने शुक्रवार को जारी अपने एक वक्तव्य में फ्राँस से पुलिस व्यवस्था में कथित तौर पर व्याप्त नस्लवाद और भेदभाव के मुद्दों से निपटे जाने का आग्रह किया है.

अफ़ग़ानिस्तान के एक गाँव में एक नर्स एक सचल स्वास्थ्य केन्द्र में परिवारों को पोषण सहायता प्रदान कर रही है.
© UNOCHA/Charlotte Cans

अफ़ग़ानिस्तान: महिला अधिकारों के लिए भेदभावपूर्ण माहौल व सख़्त पाबन्दियों पर चिन्ता

अफ़ग़ानिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति पर जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार देश में महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों के लिए हालात विश्व में सबसे ख़राब है और उन्हें व्यवस्थागत ढंग से लैंगिक आधार पर भेदभाव व उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है.

अमेरिका के कोलोराडो में नस्लवाद के विरोध में प्रदर्शन. (फ़ाइल)
© Unsplash/Colin Lloyd

नस्लभेद के लिए हमारी दुनिया में कोई जगह नहीं, यूएन प्रमुख

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि जातिवाद और नस्लीय भेदभाव का हमारी दुनिया में कोई स्थान नहीं है – ख़ासतौर पर संयुक्त राष्ट्र में तो बिल्कुल भी नहीं. नस्लवाद विरोधी रणनीति पर संयुक्त राष्ट्र कर्मचारियों के लिए एक वीडियो सन्देश में उन्होंने कहा कि इस संकट को ख़त्म करना हमारी पहचान का आधार है - और विश्व में अपने मिशन की पूर्ति के लिए आवश्यक है. (वीडियो)

अफ़्रीकी मूल के लोगों पर स्थाई फ़ोरम के दूसरे सत्र के दौरान, यूएन महासभागार में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम (30 मई 2023).
UN Photo/Loey Felipe

नस्लभेद: समाजों के इस गहरे दाग़ को जड़ से मिटाने की ज़रूरत

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने मंगलवार को कहा है कि नस्लभेद एक वैश्विक समस्या है, और हर एक देश को, इसके विरुद्ध कड़ा रुख़ अपनाना होगा. उन्होंने दुनिया भर में अफ़्रीकी मूल के लोगों की सुरक्षा और जीवन की गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए यूएन मंच की नवीनतम बैठक को सम्बोधित करते हुए ये बात कही है.

भारत में यूएन एड्स और यूएनडीपी कार्यालयों ने, ट्रान्सजेंडर व्यक्तियों के लिए आयोजित रोज़गार  मेले का समर्थन किया.
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भारत: ट्रांसजैंडर व्यक्तियों को रोज़गार में समानता देने के प्रयास

भारत में ट्रांसजैंडर व्यक्तियों को मुख्य धारा में बेहतर रोज़गार अवसर देने व समावेशन के लिए, यूएनएड्स और यूएनडीपी समर्थित ट्रांस रोज़गार मेले जैसी पहलों के ज़रिए प्रयास किए जा रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोशष (UNFPA) की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में, लगभग आधी महिलाएँ अपने शरीरों पर ख़ुद के अधिकारों से वंचित हैं.
© UNICEF/Albert Gonzalez Farran

कामकाज व वंश के आधार पर भेदभाव चिन्ताजनक, समावेश पर बल

विश्व भर में, कामकाज और वंश के आधार पर किए जाने वाले भेदभाव से 26 करोड़ लोग प्रभावित हैं. इनमें बोराकोमिन, दलित, उरु, ओसु, क़िलोओम्बो, रोमानी समेत अन्य समुदाय हैं. ये समुदाय समस्त विश्व आबादी के चार फ़ीसदी से भी कम हैं, जिनमें से अधिकांश, 21 करोड़ दक्षिण एशिया में रहते हैं. एक वीडियो रिपोर्ट...