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स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों में पानी और स्वच्छता की कमी से अरबों ज़िन्दगियाँ जोखिम में

यूगाण्डा के एक स्वास्थ्य केन्द्र में एक कर्मचारी फ़र्श की सफ़ाई करते हुए. आबादियों को संक्रमणों और बीमारियों से बचाने के लिये साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता बहुत ज़रूरी है.
UNICEF/Michele Sibiloni
यूगाण्डा के एक स्वास्थ्य केन्द्र में एक कर्मचारी फ़र्श की सफ़ाई करते हुए. आबादियों को संक्रमणों और बीमारियों से बचाने के लिये साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता बहुत ज़रूरी है.

स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों में पानी और स्वच्छता की कमी से अरबों ज़िन्दगियाँ जोखिम में

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों और सुविधाओं में, पानी और स्वच्छता सेवाओं जैसी बुनियादी आवश्यकताओं की कमी के कारण, लगभग 1 अरब 80 करोड़ स्वास्थ्यकर्मी और मरीज़ों के लिये, कोविड-19 महामारी और अन्य बीमारियों का जोखिम पैदा हो गया है.

इन दोनों यूएन एजेंसियों की सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि दुनिया भर में, स्वास्थ्य सेवाओं की बहुत बड़ी संख्या ऐसी है, जहाँ हाथ धोने और चिकित्सा कूड़े को सुरक्षित तरीक़े से फेंकने के लिये समुचित व्यवस्था नहीं है. 

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस का कहना है, “किसी स्वास्थ्य सुविधा या केन्द्र में, पानी, साफ़-सफ़ाई और सच्छता के साधनों के बिना काम करना, वैसे ही है जैसे, नर्सों और डॉक्टरों को निजी बचाव उपकरणों (PPE) के बिना काम करने के लिये भेजना.”

“स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों व सुविधाओं में, जल आपूर्ति, स्वच्छता व साफ़-सफ़ाई का होना, कोविड-19 की रोकथाम क लिये आधारभूत ज़रूरत है. मगर इस क्षेत्र में, अब भी बहुत कमियाँ है, ख़ासतौर से, कम विकसित देशों में.”

रिपोर्ट के अनुसार, कम विकसित देशों में हर 2 में से 1, यानि लगभग 50 प्रतिशत स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में पीने के पानी की बुनियादी सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. 4 में से 1, यानि लगभग 25 प्रतिशत स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों में हाथ धोने की सुविधा नहीं है, और 5 में 3 स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों में, बुनियादी स्वच्छता सेवाएँ नहीं हैं.

कमियाँ छुप नहीं सकतीं

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेश हेनरिएटा फ़ोर का कहना है कि, अलबत्ता, स्वास्थ्य सेवाओं में इस तरह की ख़ामियाँ कोरोनावायरस महामारी का फैलाव शुरू होने से पहले भी मौजूद थीं, लेकिन वर्ष 2020 ने इन कमियों और ख़ामियों को इस तरह सामने ला दिया है जिन्हें नज़रअन्दाज़ करना मुश्किल है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “अब जबकि हम सभी, कोविड-19 महामारी के बाद की दुनिया की कल्पना करने के साथ-साथ उसे आकार देने की कोशिशें में लगे हैं, तो ये सुनिश्चित करने की भी ज़रूरत है कि हम बच्चों और माताओं को स्वास्थ्य देखभाल के ऐसे स्थानों पर भेजें जहाँ समुचित पानी, स्वच्छता और साफ़-सफ़ाई की सुविधाएँ (WASH) और उपकरण उपलब्ध हों. ये हर हाल में ज़रूरी है.”

इन स्वास्थ्य ज़रूरतों की पूर्ति किया जाना, ख़ासतौर से, माताओं, नवजात शिशुओं और बच्चों सहित, नाज़ुक हालात का सामना करने वाली आबादियों के लिये बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उन्हें जीवन के लिये घातक अनेक बीमारियों से बचाया जाना बहुत ज़रूरी है.

ये रिपोर्ट लगभग 165 देशों में, क़रीब 7 लाख 60 हज़ार स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं और केन्द्रों से एकत्र किये गए आँकड़ों पर आधारित है. 

स्वच्छता में बेहतरी सर्वश्रेष्ठ उपाय

प्रारम्भिक अनुमानों के अनुसार, 47 कम विकसित देशों में, स्वास्थ्य केन्द्रों में बुनियादी जल आपूर्ति मुहैया कराने के लिये लगभघ 1 डॉलर प्रति व्यक्ति की लागत आएगी. और ये सेवाएँ जारी रखने के लिये, औसतन, हर वर्ष लगभग $0.20 प्रति व्यक्ति का ख़र्च आएगा.

रिपोर्ट में पाया गया है कि जल आपूर्ति, साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता सुविधाओं में तत्काल संसाधन निवेश करने के बड़े फ़ायदे हैं., क्योंकि ऐसा करना, एंटीबायोटिक दवाओं का असर ख़त्म होने की स्थिति से निपटने के लिये सर्वश्रेष्ठ उपाय है.

दोनों यूएन स्वास्थ्य एजेंसियों का कहना है, “इससे स्वास्थ्य देखभाल पर आने वाले ख़र्च में कमी आती है क्योंकि इससे ऐसे संक्रमणों से सम्बन्धी ख़र्चे कम होते हैं जिनका इलाज बहुत महँगा होता है."

"इससे समय की बचत होती है क्यंकि स्वास्थ्यकर्मियों को अपने हाथ साफ़ रखने के लिये पानी की तलाश नहीं करनी पड़ती है. बेहतर स्वच्छता और साफ़-सफ़ाई से कुल मिलाकर सेवाओं में भी बेहतरी होती है.”

एजेंसियों का कहना है कि अगर इन सबको वित्तीय फ़ायदों में तब्दील किया जाए तो हर 1 डॉलर का निवेश करने के बदले डेढ़ डॉलर का फ़ायदा है.