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अस्पताल

यूक्रेन की सीमा पार करके परिवारों ने पोलैण्ड में शरण ली है.
© UNICEF/Tom Remp

यूक्रेन: एक महीने से युद्ध जारी, बच्चों की आधी आबादी विस्थापित

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने कहा है कि यूक्रेन में एक महीने से जारी युद्ध के कारण 43 लाख बच्चे विस्थापन का शिकार हुए हैं, जोकि देश में कुल 75 लाख बच्चों की आधी से अधिक आबादी है. इनमें 18 लाख बच्चों ने शरणार्थियों के तौर पर यूक्रेन के पड़ोसी देशों में शरण ली है, जबकि 25 लाख बच्चे घरेलू विस्थापित हैं.

काबुल के मलालाई मातृत्व अस्पताल में, मुख्य दाई एक नवजात शुशि की देखभाल करते हुए.
© UNFPA Afghanistan

अफ़ग़ानिस्तान: संकटग्रस्त देश में, जच्चा-बच्चा के लिये जीवनरक्षक सहायता

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल का मलालाई मातृत्व अस्पताल, देश के व्यस्ततम अस्पतालों में से एक है जो हर दिन, इस दुनिया में क़रीब 85 नवजात शिशुओं का स्वागत करता है. इनमें लगभग 20 बच्चे ऑपरेशन के ज़रिये पैदा होते हैं. मगर देश में मौजूदा संकट, मरीज़ों की देखभाल करने की चिकित्सा स्टाफ़ की क्षमता को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है.

लीबिया में अप्रैल 2021 के दौरान हमलों में तबाह हुए एक क्लीनिक का दौरा करते हुए स्वास्थ्यकर्मी.
© ICRC/André Liohn

WHO: स्वास्थ्य ढाँचों पर हमलों में, 700 से भी ज़्यादा स्वास्थ्यकर्मियों की मौत

अनेक देशों व क्षेत्रों में, दिसम्बर 2017 के बाद से स्वास्थ्य सेवाओं पर किये गए हमलों में 700 से ज़्यादा स्वास्थ्यकर्मियों व मरीज़ों की मौत हुई है और 2000 से ज़्यादा घायल हुए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मंगलवार को जारी किये गए, एक तीन वर्षीय विश्लेषण में ये जानकारी  दी गई है.

भारत में कोविड-19 की रोकथाम के लिये बड़े पैमाने पर टीकाकरण शुरू किया गया था.
© UNICEF/Ruhani Kaur

आपबीती: 'भारत में कोविड-19 ने जैसे सूनामी का रूप ले लिया है'

जब मार्च 2020 में कोविड-19 का फैलाव शुरू हुआ तो किसी ने सोचा भी न था कि आगे क्या मंज़र देखने को मिलेगा. आज, जबकि कोरोनावायरस महामारी को शुरू हुए पूरा साल बीत चुका है, हालात बहुत भयावह हैं. सभी स्तब्ध हैं - हममें से हर एक के जीवन को यह छूकर या फिर छिन्न-भिन्न करके निकल चुका है और हम नि:शब्द हैं.  भारत में कोरोनावायरस के संक्रमण की दूसरी और अत्यन्त भयावह लहर पर, यूएन न्यूज़ - हिन्दी की अंशु शर्मा का ब्लॉग, जो ख़ुद भी कोविड-19 के प्रभावों की भुक्तभोगी हैं...

इराक़ में कोविड-19 महामारी से बचने और स्वास्थ्य नुस्ख़ों के बारे में, बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए गए हैं.
UNAMA

इराक़: कोविड अस्पताल में, आग दुर्घटना के बाद, सख़्त रोकथाम उपायों की पुकार

इराक़ में संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि जिनीन हैनिस प्लेस्शार्ट ने राजधानी बग़दाद के एक कोविड-19 अस्पताल में लगी भीषण आग पर गहरे अफ़सोस और तकलीफ़ का इज़हार किया है. 

यूगाण्डा के एक स्वास्थ्य केन्द्र में एक कर्मचारी फ़र्श की सफ़ाई करते हुए. आबादियों को संक्रमणों और बीमारियों से बचाने के लिये साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता बहुत ज़रूरी है.
UNICEF/Michele Sibiloni

स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों में पानी और स्वच्छता की कमी से अरबों ज़िन्दगियाँ जोखिम में

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों और सुविधाओं में, पानी और स्वच्छता सेवाओं जैसी बुनियादी आवश्यकताओं की कमी के कारण, लगभग 1 अरब 80 करोड़ स्वास्थ्यकर्मी और मरीज़ों के लिये, कोविड-19 महामारी और अन्य बीमारियों का जोखिम पैदा हो गया है.

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल के पास फ़ज़ल बेग ज़िले में एक आश्रय स्थल के बाहर खड़ी एक बच्ची. (फ़ाइल फ़ोटो)
© UNICEF/Asad Zaidi

संघर्षों में फँसे बच्चों और लोगों की सुरक्षा की सख़्त ज़रूरत

बच्चों और सशस्त्र संघर्ष मामलों के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत वर्जीनिया गाम्बा ने कहा है कि हथियारबन्द संघर्षों में शैक्षणिक और स्वास्थ्य ठिकानों पर लगातार हो रहे हमलों के कारण बच्चों और मानवीय सहायता कर्मियों पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है.

ग़ाज़ा के अल रन्तीसी अस्पाल में आपात चिकित्सा केंद्र
OCHA

ग़ाज़ा में गहराते ईंधन संकट से मरीज़ों की मुश्किलें बढ़ीं

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि ग़ाज़ा में ईंधन संकट के चलते अस्पताओं में आपात सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं जिससे मरीज़ों की जान को ख़तरा पैदा हो गया है.  संगठन ने स्थानीय प्रशासन और सभी पक्षों से अपनी ज़िम्मेदारी समझने और ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए हरसंभव प्रयास करने की अपील की है.