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स्वच्छता के संकट का सामना करने के लिये बना एक कोष

कम्बोडिया के एक स्कूल में यूनीसेफ़ द्वारा उपलब्ध कराई गई एक जल सुविधा में हाथ धोते बच्चे.
© UNICEF/Antoine Raab
कम्बोडिया के एक स्कूल में यूनीसेफ़ द्वारा उपलब्ध कराई गई एक जल सुविधा में हाथ धोते बच्चे.

स्वच्छता के संकट का सामना करने के लिये बना एक कोष

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को एक ऐसा कोष शुरू किया है जिसके ज़रिये स्वच्छता, साफ़-सफ़ाई और लड़कियों व महिलाओं के मासिक धर्म के इर्द-गिर्द सदियों पुरानी हानिकारक अवधारणाएँ बदलने पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा जिनसे इस समय दुनिया भर में 4 अरब से भी ज़्यादा लोग प्रभावित होते हैं.

यूएन उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने इस कोष के उदघाटन के मौक़े पर एक वीडियो सन्देश में सुरक्षित स्वच्छता व साफ़-सफ़ाई को इच्छित परिणामों के लिये बहुत अहम बताया, क्योंकि प्रथम, ये मानवीय गरिमा का मुद्दा है, और द्वितीय, ये इनसानों के स्वास्थ्य से भी जुड़ा मुद्दा है. 

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दुनिया की कुछ गम्भीरतम बीमारियाँ ख़राब स्वच्छता और साफ़-सफ़ाई के कारण होती हैं, कोरोनावायरस ने इस सच्चाई से पर्दा उठा दिया है.

दुनिया भर में 3 अरब से भी ज़्यादा लोगों के पास हाथ दोने के लिये बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हैं, जबकि वायरस को दूर रखने के लिये हाथों की सफ़ाई एक कारगर उपाय है.

उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने ज़ोर देकर कहा, “स्वच्छ हाथ रख पाने की सुविधा और ऐसे शौचालय जो ज़रूरत पड़ने पर उपलब्ध हों, लम्बी अवधि में समुदायों को स्वस्थ रखने की दिशा में कारगर साधन हैं.”

परियोजना सेवाओं के लिये यूएन कार्यालय, स्वच्छता व स्वास्थ्यप्रद कोष की मेज़बान एजेंसी है. ये एजेंसी दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र और उसकी साझीदार एजेंसियों की परियोजनाओं को लागू करने के लिये सेवाएँ व तकनीकी सलाह मुहैया कराने वाली इकाई है.

ये कोष एक वैश्विक वित्तीय प्रणाली के रूप में शुरू किया गया है जो ज़्यादा बोझ वाले देशों को धन मुहैया कराने में तेज़ी लाएगा.

इस कोष के ज़रिये उन देशों में चार रणनैतिक उद्देश्यों पर ध्यान केन्द्रित करने में मदद की जाएगी: घरों में स्वच्छता का दायरा बढ़ाना; लड़कियों व महिलाओं में मासिक धर्म व स्वच्छता सुनिश्चित करना; स्कूलों व स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में स्वच्छता व स्वास्थ्यप्रद परिस्थितियाँ सुनिश्चित करना; और स्वच्छता के क्षेत्र में नवाचार वाले समाधानों को प्रोत्साहन देना.

इन स्वच्छता प्रयासों को समर्थन व सहायता देने के लिये अगले पाँच वर्षों के दौरान 2 अरब डॉलर की रक़म जुटाने का लक्ष्य रखा गया है.

एक महत्वपूर्ण समकारक

वैसे तो स्वच्छता, किसी भी समुदाय, परिवार या व्यक्तियों के विकास के लिये बहुत अहम कारक है, मगर दुनिया भर में लगभग 60 करोड़ स्कूलों और अनगिनत घरों में शौचालय की व्यवस्था नहीं है, और बहुत से शौचालयों में तो स्वच्छता की बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – UNICEF की कार्यकारी निदेशक हैनरिएटा फ़ोर ने स्वच्छता व स्वास्थ्यप्रद परिस्थितियों को बच्चों के लिये महत्वपूर्ण समकारक क़रार देते हुए तमाम देशों से स्वच्छता को एक सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सुविधा का दर्जा देने का आहवान किया है.

उन्होने कहा, “तालाबन्दी के दौरान कोई इस सच्चाई से कैसे निपटे कि उनके घरों में शौचालय ही नहीं है? ये स्थिति विशेष रूप में लड़कियों व महिलाओं के लिये बहुत कठिन है.”

“अगर सभी को उनके घरों में, स्कूलों में, स्वास्थ्य सेवाओं और समुदायों में, स्वच्छता व स्वास्थ्यप्रद साधन हासिल हों, तो इससे पूरी दुनिया में बहुत बड़ा बदलाव आ जाए.”

हैनरिएटा फ़ोर ने कहा कि सुलभ स्वच्छता को आम लोगों के लिये सुलभ होना होगा. सरकारों को ये स्वीकार करना होगा कि स्वच्छता के साधनों व सुविधाओं का अभाव, एक ऐसी समस्या है जिसका समाधान उन्हें तलाश करना होगा, और ये भी सही है कि सरकारों के पास ये समाधान तलाश करने के रास्ते मौजूद हैं.