जलवायु परिवर्तन के बारे में ठोस कार्रवाई करने के इरादे से, देशों ने वर्ष 2015 में पेरिस जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किये थे. वर्ष 2020 में उस समझौते को 5 पाँच वर्ष पूरे हो रहे हैं. ये देखना दिलचस्प है कि दुनिया ने, जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने के बारे में, इन 5 वर्षों के दौरान क्या क़दम उठाए हैं, या संकल्प व्यक्त किये हैं. इसी मुद्दे पर 12 दिसम्बर को "जलवायु महत्वाकाँक्षा सम्मेलन-2020" हो रहा है. कुछ प्रासंगिक सामग्री यहाँ संकलित है...
Climate Ambition Summit 2020
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये सभी को साथ लेकर चलना होगा
पेरिस समझौते की पाँचवी वर्षगाँठ से ठीक पहले संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की एक नई रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि कोविड-19 के कारण वैश्विक स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कुछ गिरावट हुई है, लेकिन संकेत यही हैं कि वर्तमान स्थिति से, जलवायु परिवर्तन की बड़ी चुनौती का सामना करने में कोई ख़ास फर्क़ नहीं पड़ा है, और इस सदी के अन्त तक, वैश्विक तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है.
पेरिस समझौता उपलब्धिपूर्ण, लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं
भारत में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम में कार्यक्रम अधिकारी, करण मंगोत्रा ने यूएन न्यूज़ के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि पाँच साल पहले हुए पेरिस समझौते के कई सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन की रोकथाम की ख़ातिर, ज़रूरी तकनीकी बदलाव करने के लिये, कम लागत वाली तकनीकें उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती रहेगी.
करण मंगोत्रा के साथ ये बातचीत की यूएन न्यूज़ हिन्दी की अंशु शर्मा ने...
हरित तकनीकों में निवेश की आवश्यकता पर बल
भारत में ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (Council on Energy, Environment and Water) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरूणभा घोष का मानना है कि 12 दिसम्बर को आयोजित जलवायु महत्वाकाँक्षी सम्मेलन से अगले वर्ष होने वाले संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन कॉप-26 की नींव रखने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि विशेष रूप से बिजली और जल क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिये सार्थक नीतियाँ बनानी ज़रूरी होंगी और भारत के जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिये हरित निवेश बढ़ाना बेहद आवश्यक होगा.
सुनिए यूएन न्यूज़ की अंशु शर्मा के साथ उनकी ख़ास बातचीत.
जलवायु महत्वाकाँक्षा सम्मेलन-2020
ऐतिहासिक पेरिस समझौता वजूद में आने के पाँच वर्ष बाद, विश्व नेताओं ने जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये, और अब तक हुई प्रगति को आगे बढ़ाने के लिये, जलवायु महत्वाकाँक्षा सम्मेलन-2020 में, नए संकल्प व्यक्त किये. कुछ झलकियाँ... (वीडियो)
CAS-20: नए महत्वाकाँक्षी लक्ष्य, जलवायु आपदा घोषित करने की पुकार भी
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने जलवायु महत्वाकाँक्षा सम्मेलन-2020 में विश्व नेताओं से अपील की है कि वो अपने यहाँ तब तक जलवायु आपदा घोषित कर दें जब तक कि कार्बन निष्पक्षता का लक्ष्य नहीं हासिल कर लिया जाता है. विभिन्न देशों ने कार्बन उत्सर्जन निष्पक्षता की स्थिति हासिल करने के लिये नई योजनाओं, नीतियों और समय सीमा के महत्वाकाँक्षी लक्ष्यों की घोषणा की है.
यूएन न्यूज़ हिन्दी बुलेटिन 11 दिसम्बर 2020
इस साप्ताहिक बुलेटिन में शामिल हैं...
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये अधिक प्रयास करने होंगे
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूनेप) के न्यूयॉर्क कार्यालय के प्रमुख और सहायक महासचिव, सत्या त्रिपाठी का मानना है कि हालाँकि बहुत से देश, जलवायु आपातस्थिति से निपटने के लिये अनेक सार्थक क़दम उठा रहे हैं, लेकिन अब भी बहुत कुछ किया जाना बाक़ी है. सत्या त्रिपाठी ने, यूएन न्यूज़-हिन्दी की प्रतिष्ठा जैन के साथ एक ख़ास बातचीत में, शनिवार को होने वाले वर्चुअल जलवायु सम्मेलन के बारे में विस्तार से बातचीत की...
यूएन व्यवस्था में कार्बन उत्सर्जन घटाने की दिशा में सार्थक प्रगति
संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था ने वर्ष 2019 में अपने कामकाज से पर्यावरण पर हो रहे असर को कम करने की दिशा में ठोस प्रगति जारी रखी है. मौजूदा प्रयासों के तहत उत्सर्जन में कटौती आँकी गई है और आधुनिक पर्यावरण प्रबन्धन प्रणाली को लागू करने में सफलता मिली है.
कोविड-19 महामारी से उबरने में महत्वाकाँक्षी जलवायु कार्रवाई पर ज़ोर
विकासशील देश जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबल करने के लिये ज़्यादा महत्वाकाँक्षी योजनाओं पर काम कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के मुताबिक इन प्रयासों के तहत कोविड-19 से उबरने और हरित पुनर्बहाली की दिशा में आर्थिक स्फूर्ति पैकेजों का सहारा लिया जा रहा है.
स्वच्छ ऊर्जा ही उज्जवल भविष्य का मूल मन्त्र
पेरिस जलवायु समझौते को इस वर्ष पाँच साल पूरे हो गए हैं. 2015 में इस ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले सभी देश शनिवार, 12 दिसम्बर को एक वर्चुअल जलवायु महत्वाकाँक्षी शिखर सम्मेलन में एकजुट हो रहे हैं.
इस सम्मेलन में, आने वाले पाँच वर्षों के लक्ष्य परिभाषित किये जाएँगे, जो संभवत: अगले साल नवम्बर में स्कॉटलैण्ड के ग्लास्गो शहर में होने वाले कॉप26 सम्मेलन के लिये भविष्य का रास्ता तय करने में मदद करेंगे.
शून्य उत्सर्जन की दिशा में विकासशील देश भी बहुत अहम क़दम उठा रहे हैं, जो कोविड-19 के पुनर्बहाली के लिये आबण्टित प्रोत्साहन पैकेजों में स्पष्ट दिखाई देते हैं.
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