यूएन न्यूज़ हिन्दी बुलेटिन, 15 मार्च 2024
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...
इस सप्ताह के बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...
इस सप्ताह के बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...
ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े – रफ़ाह में, इसराइली हमले होने की सम्भावनाओं पर गम्भीर चिन्ता. इस बीच ग़ाज़ा के अन्य इलाक़ों में, युद्ध के कारण, ज़रूरतमन्द लोगों तक मानवीय सहायता पहुँचाना बेहद कठिन.
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...
- ग़ाज़ा में भीषण लड़ाई, बमबारी के बीच, हर दिन गहरा रही है आम फ़लस्तीनियों की पीड़ा
- धन की क़िल्लत से सहायता अभियान जोखिम में, यूएन एजेंसी को वित्तीय समर्थन जारी रखने की पुकार
- म्याँमार में सैन्य तख़्तापलट के तीन साल, आम नागरिकों पर हुआ है गहरा असर, यूएन प्रमुख ने कहा, हिंसा व राजनैतिक दमन का अन्त ज़रूरी
- दुनिया पर बढ़ रहा है कैंसर बीमारी का बोझ, मगर हर किसी को नहीं मिल पा रहा है उपचार
- और, भूमध्यसागर मार्ग पर 2024 की घातक शुरुआत, पहले महीने में क़रीब 100 लोगों ने गँवाई जान या हुए लापता
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...
अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय – ICJ का, इसराइल को, ग़ाज़ा में जनसंहारक कृत्य रोकने के लिए भरसक उपाय करने का निर्णय.
बांग्लादेश की नवनिर्वाचित सरकार से, दमनकारी प्रवृत्तियों को उलटने के लिए, सुधार लागू करने की पुकार.
अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान प्रशासन द्वारा, महिलाओं को उनके मानवाधिकारों से वंचित किए जाने पर चिन्ता.
इस सप्ताह के बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...
यूएन एजेंसियों के अनुसार, फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में शिशुओं के लिए नरक जैसे हालात, यूएन प्रमुख ने फिर कहा – दो-राष्ट्र की स्थापना ही है स्थाई समाधान.
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने, पाकिस्तान-ईरान के बीच युद्धक झड़पों पर, जताई गम्भीर चिन्ता.
अफ़ग़ानिस्तान में आर्थिक पुनर्बहाली के लिए, महिला अधिकार सुनिश्चित किए जाने पर ज़ोर.
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...
ग़ाज़ा में इसराइल के तथाकथित जनसंहारक इरादों पर, अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय – ICJ में मुक़दमे की सुनवाई, इस बीच ग़ाज़ा में तत्काल युद्धविराम की फिर पुकार.
नया वर्ष शुरू होने पर भी, यूक्रेन में, युद्ध से कोई राहत नहीं.
बांग्लादेश में हाल के चुनावों में हिंसा की ख़बरों के मद्देनज़र, लोकतंत्र को समावेशी बनाने की पुकार.