यूएन व्यवस्था में कार्बन उत्सर्जन घटाने की दिशा में सार्थक प्रगति

संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था ने वर्ष 2019 में अपने कामकाज से पर्यावरण पर हो रहे असर को कम करने की दिशा में ठोस प्रगति जारी रखी है. मौजूदा प्रयासों के तहत उत्सर्जन में कटौती आँकी गई है और आधुनिक पर्यावरण प्रबन्धन प्रणाली को लागू करने में सफलता मिली है.
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ‘Greening the Blue 2020’ report नामक इस रिपोर्ट के मुताबिक, यूएन संगठन में तीन लाख 10 हज़ार कर्मचारी, लगभग 60 संस्थाओं में कार्यरत हैं. ये संस्थाएँ पर्यावरण अनुकूल इन पहलों के लिये वित्तीय संसाधन जुटाने में, अभिनव समाधानों का सहारा ले रही हैं.
The world needs bold action #ForNature more than ever. Champions of the Earth is the @UN’s highest environmental honour - these are the 2020 laureates: https://t.co/n8mDPvIU6P #EarthChamps pic.twitter.com/q2o0XxIXUw
UNEP
इनमें, उरुग्वे में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) का उदाहरण दिया गया है जहाँ एयर कण्डीशनिंग सिस्टम को उन्नत बनाया गया है और प्रकाश व्यवस्था को पूर्ण रूप से ऊर्जा दक्ष एलईडी के ज़रिये बदल दिया गया है.
इन बदलावों के लिये धनराशि की व्यवस्था तीन फ़ीसदी यात्रा सरचार्ज से की गई है, जिसके ज़रिये पर्यावरणीय परियोजनाओं के लिये वित्तीय इन्तज़ाम किया जाता है.
गुरुवार को जारी रिपोर्ट, वर्ष 2019 के कार्बन उत्सर्जनों पर आधारित है इसलिये कोरोनावायरस महामारी से उत्सर्जन की मात्रा पर हुए असर का आकलन अभी नहीं हो पाया है जिसे वर्ष 2021 के संस्करण में शामिल किया जाएगा.
वर्ष 2019 में, यूएन संगठन में प्रति व्यक्ति साढ़े छह टन कार्बन डाइ ऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन मापा गया, जबकि वर्ष 2018 में यह सात टन था.
यूएन प्रणाली से लगभग 20 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर कार्बन उत्सर्जन हुआ.
मौजूदा प्रणाली के तहत जल संरक्षण की दिशा में काम किया गया है और दूषित जल, पर्यावरण में छोड़े जाने से बचने की कोशिश की जा रही है. वर्ष 2019 में जल की खपत औसतन प्रति कर्मचारी 49 क्यूबिक मीटर आँकी गई.
इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की संस्थाओं ने जैवविविधता को बेहतर बनाने के प्रयास भी शुरू किये हैं. इन प्रयासों के तहत कार्यालयों में मूल स्थान से सम्बन्धित पेड़ लगाए जा रहे हैं और स्थानीय वन्यजीवों की देखभाल की जा रही है.
ऐसा ही एक जन्तु अफ़्रीकी रॉक पायथॉन (साँप) है जिसने नैरोबी में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय परिसर को अपना घर बना लिया है.
वर्ष 2020 की यह रिपोर्ट एक अहम बदलाव की ओर भी इशारा करती है. संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष प्रबन्धन ने एक नई रणनीति का समर्थन किया है जिसमें टिकाऊ विकास सम्बन्धी आवश्यकताओं को व्यवस्थित ढँग से यूएन प्रणाली में एकीकृत करने का प्रयास किया गया है.
इस वर्ष “Greening the Blue” समुदाय ने अपनी सदस्यता को उन अन्तर-सरकारी संगठनों के लिये खोला है जो उत्सर्जन में कटौती के लिये संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के मार्ग पर चलने के लिये तैयार हैं.
हरित जलवायु कोष (Green Climate Fund) जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और कार्बन उत्सर्जन मे कटौती के लिये विकासशील देशों को सहायता प्रदान करता है. ताज़ा रिपोर्ट में उससे सम्बन्धित जानकारी भी प्रदान की गई है.
इस वर्ष के संस्करण में जीवाश्म ईंधन और ओज़ोन परत को नुक़सान पहुँचाने वाले पदार्थों से सम्बन्धित आँकड़े भी पेश किये गए हैं.
रिपोर्टिंग के समय तक, लगभग 70 फ़ीसदी यूएन कार्यालयों को यह अन्दाज़ा नहीं था कि वे किस प्रकार के शीतलन यन्त्रों (Refrigerants) का इस्तेमाल करते हैं.
20 फ़ीसदी कार्यालय ऐसे शीतलन यन्त्रों का उपयोग करते हैं जिनसे ओज़ोन परत को नुक़सान नहीं पहुँचता है, लेकिन 10 फ़ीसदी कार्यालय ऐसे यन्त्रों का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.