वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

साक्षात्कार

© Anshu Sharma

भारत: यूएन के अन्दर और बाहर, महिला अधिकार सुनिश्चित करने के प्रयास

संयुक्त राष्ट्र, अपनी विभिन्न संस्थाओं के ज़रिए, महिलाओं के किसी भी तरह के शोषण व दुर्व्यवहार से निपटने के प्रयास करता है, वहीं कई बार ऐसे भी मामले सामने आते हैं, जहाँ ख़ुद यूएन से जुड़े व्यक्ति, अपने पद का दुरुपयोग करते हुए, महिला अधिकारों के हनन व यौन उत्पीड़न में संलिप्त पाए जाते हैं. ऐसे में, विश्व भर में और भारत में स्थित संयुक्त राष्ट्र में भी, यौन उत्पीड़न व दुर्व्यवहार की रोकथाम के लिए कई क़दम उठाए गए हैं. 

Shimona Mohan

कृत्रिम बुद्धिमता का बढ़ता इस्तेमाल, मगर मानव निगरानी बेहद अहम

कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) टैक्नॉलॉजी का इस्तेमाल व्यापक क्षेत्रों में तेज़ी से हो रहा है, विशेष रूप से सैन्य उद्देश्यों के लिए. मगर, सिविल उद्देश्यों और रणभूमि व हथियार प्रणालियों में एआई टैक्नॉलॉजी के उपयोग को मानव देखरेख के दायरे में लाया जाना ज़रूरी है.  

संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण शोध संस्थान (UNIDIR) में एसोसिएट रिसर्चर शिमोना मोहन ने यूएन न्यूज़ के साथ एक बातचीत में बताया कि कुछ ही सालों में टैक्नॉलॉजी में निरन्तर बदलाव आ रहे हैं, और इसलिए उन्हें परिभाषित करने के बजाय उनकी चारित्रिक विशेषताओं (characteristics) को देखकर ही नीतिगत व नियामन समाधान तैयार किए जाने होंगे.

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UN News

#CSW68: महिला मज़बूती पर, भारत में प्रगति की रफ़्तार तेज़, UN Women

महिलाओं की स्थिति पर आयोग (CSW68) की वार्षिक 68वीं बैठक, यूएन मुख्यालय में 11 से 22 मार्च तक आयोजित हुई, जिसमें दुनिया भर से, महिला मज़बूती और लैंगिक समानता के पैरोकारों ने शिरकत की. भारत में यूएन वीमैन की उप प्रतिनिधि कान्ता सिंह भी इस बैठक में शिरकत करने के लिए, यूएन मुख्यालय में मौजूद थीं. हमने उनसे बात की और जानना चाहा कि यूएन मुख्यालय में, लैंगिक समानता और महिला मज़बूती के लिए, इस वैश्विक पंचायत में उनका अनुभव कैसा रहा और भारत में इस क्षेत्र में हो रही प्रगति का स्तर क्या है...

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© UNICEF/Andrew Cullen

मंगोलिया में चरम मौसम की ‘ज़ुड’ स्थिति क्या है - इंटरव्यू

मंगोलिया में चरम मौसम की "श्वेत और लौह" ज़ुड स्थिति "गम्भीर" स्तर पर पहुँच गई है जिसने, देश के 90 प्रतिशत से अधिक हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया है, और मवेशियों को चारे की भारी क़िल्लत के जोखिम का सामना करना पड़ रहा है.

सर्द मौसम की ज़ुड स्थिति तब उत्पन्न होती है जब विशेष रूप से बर्फ़ की भारी चादर, पशुओं को चारे तक या पर्याप्त घास पहुँचने से रोक देती है.

मंगोलिया में संयुक्त राष्ट्र रैज़िडेंट कोऑर्डिनेटर के कार्यालय के अनुसार, देश में इस स्थिति के कारण, लगभग एक लाख 90 हज़ार चरवाहे परिवार, अपर्याप्त भोजन, आसमान छूती क़ीमतों और बढ़ती कमज़ोरियों से जूझ रहे हैं.

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Unsplash/Jason Leung

वैश्विक आर्थिक प्रगति की गति धीमी रहने के आसार

आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के यूएन विभाग (UN DESA) की नवीनतम ‘विश्व आर्थिक स्थिति एवं सम्भावनाएँ 2024’ नामक रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष वैश्विक आर्थिक प्रगति की रफ़्तार धीमी रहने की सम्भावना है, और यह 2023 के अनुमान 2.7 प्रतिशत से घटकर 2.4 प्रतिशत पर लुढ़क सकती है. 

एशिया व प्रशान्त क्षेत्र के लिए यूएन आर्थिक व सामाजिक आयोग (UNESCAP) के पूर्व निदेशक, नागेश कुमार का कहना है कि मुद्रास्फीति, निवेश में कमी, भूराजनैतिक हालात और मौजूदा हिंसक टकराव समेत ऐसे कई कारण हैं, जिनसे विश्व आर्थिक परिदृश्य पर गम्भीर असर हुआ है. 

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