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मंगोलिया में चरम मौसम की ‘ज़ुड’ स्थिति क्या है - इंटरव्यू

मंगोलिया में चरम मौसम की ‘ज़ुड’ स्थिति क्या है - इंटरव्यू

मंगोलिया में चरम मौसम की "श्वेत और लौह" ज़ुड स्थिति "गम्भीर" स्तर पर पहुँच गई है जिसने, देश के 90 प्रतिशत से अधिक हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया है, और मवेशियों को चारे की भारी क़िल्लत के जोखिम का सामना करना पड़ रहा है.

सर्द मौसम की ज़ुड स्थिति तब उत्पन्न होती है जब विशेष रूप से बर्फ़ की भारी चादर, पशुओं को चारे तक या पर्याप्त घास पहुँचने से रोक देती है.

मंगोलिया में संयुक्त राष्ट्र रैज़िडेंट कोऑर्डिनेटर के कार्यालय के अनुसार, देश में इस स्थिति के कारण, लगभग एक लाख 90 हज़ार चरवाहे परिवार, अपर्याप्त भोजन, आसमान छूती क़ीमतों और बढ़ती कमज़ोरियों से जूझ रहे हैं.

यूएन न्यूज़ के विभु मिश्र ने, संयुक्त राष्ट्र के एशिया-प्रशान्त आर्थिक-सामाजिक आयोग (UNESCAP) में आपदा न्यूनीकरण और ज़ुड परिस्थिति मामलों के प्रमुख संजय श्रीवास्तव से बात करके, इस आपदा और इसके प्रभावों के बारे में और जानकारी हासिल की...

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मंगोलिया में चरम मौसम की "श्वेत और लौह" ज़ुड स्थिति "गम्भीर" स्तर पर पहुँच गई है जिसने, देश के 90 प्रतिशत से अधिक हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया है, और मवेशियों को चारे की भारी क़िल्लत के जोखिम का सामना करना पड़ रहा है.

सर्द मौसम की ज़ुड स्थिति तब उत्पन्न होती है जब विशेष रूप से बर्फ़ की भारी चादर, पशुओं को चारे तक या पर्याप्त घास पहुँचने से रोक देती है.

मंगोलिया में संयुक्त राष्ट्र रैज़िडेंट कोऑर्डिनेटर के कार्यालय के अनुसार, देश में इस स्थिति के कारण, लगभग एक लाख 90 हज़ार चरवाहे परिवार, अपर्याप्त भोजन, आसमान छूती क़ीमतों और बढ़ती कमज़ोरियों से जूझ रहे हैं.

यूएन न्यूज़ के विभु मिश्र ने, संयुक्त राष्ट्र के एशिया-प्रशान्त आर्थिक-सामाजिक आयोग (UNESCAP) में आपदा न्यूनीकरण और ज़ुड परिस्थिति मामलों के प्रमुख संजय श्रीवास्तव से बात करके, इस आपदा और इसके प्रभावों के बारे में और जानकारी हासिल की...

अवधि
10'24"
Photo Credit
© UNICEF/Andrew Cullen