धूप हो या बारिश, सर्वजन तक स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँचाने की प्रतिबद्धता
भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय के दुर्गम इलाक़ों में स्थित गाँवों में स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को अक्सर बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. वे भारी बरसात के मौसम में खड़ी पहाड़ी वाले इलाक़ों में गाड़ी में ख़तरनाक सफ़र करके या फिर पैदल लम्बी सीढ़ियाँ, पुल पार करके लोगों तक टीकाकरण व अन्य स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), इन प्रयासों में राज्य सरकार का एक अहम सहयोगी है.
मेघालय राज्य में पूर्वी खासी पहाडी ज़िले की सबडिवीज़न माओसिनराम के कैनमिसौ गाँव के सामुदायिक केन्द्र में बहुत चहल-पहल है. लेकिन यहाँ कोई शादी-ब्याह, नाटक या फ़िल्म नहीं चल रही है, जिसकी वजह से गाँववासी अपने घरों व खेतों को छोड़कर यहाँ आ पहुँचे हैं. बल्कि इस चहल-पहल की वजह है, राज्य सरकार द्वारा संचालित मासिक स्वास्थ्य क्लीनिक.
माओसिनराम सामुदायिक केन्द्र (CHC) के स्वास्थ्यकर्मियों के आने की ख़बर फैलते ही, 1,389 लोगों की आबादी वाले इस गाँव की आधी आबादी को जगह देने में सक्षम, इसका हॉल खचाखच भर गया. स्वास्थ्यकर्मियों की यह टीम, दवाइयाँ, टीके व निगरानी यंत्र लेकर आती है और समुदाय को उनके गाँव के भीतर मुफ़्त बुनियादी चिकित्सा सुविधाएँ मुहैया करवाई जाती हैं.
![स्वास्थ्यकर्मियों के आने की ख़बर फैलते ही, कैनमिसौ सामुदायिक केन्द्र का हॉल मरीज़ों से भर गया. स्वास्थ्यकर्मियों के आने की ख़बर फैलते ही, कैनमिसौ सामुदायिक केन्द्र का हॉल मरीज़ों से भर गया.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production%20Library/24-06-24_WHO_India_Health_team-1.jpg/image770x420cropped.jpg)
पहुँचने के लिए कठिन रास्ता
माओसिनराम, बरसाती इलाक़ा है, जहाँ सालाना औसतन 11,872 मिमी वर्षा होती है. लगातार होती यह बारिश, ख़ासतौर पर मई से अक्टूबर तक चलने वाले वर्षा के मौसम अधिक तेज़ होती है, जिससे इस पहाड़ी इलाक़े में रहने वाले समुदाय अक्सर लम्बे समय के लिए अलग-थलग पड़ जाते हैं.
स्वास्थ्य टीम का नेतृत्व करने वाले, माओसिनराम केन्द्र CHC के चिकित्सा अधिकारी, डॉक्टर आर सुचियाँग ने बताया, “माओसिनराम स्वास्थ्य केन्द्र की टीम, दुर्गम इलाक़ों में स्थित इन पाँच गाँव समूहों में मासिक आउटरीच सत्र आयोजित करते हैं, और एक अतिरिक्त सत्र डॉमस्काँग के उप केन्द्र में आयोजित किया जाता है."
"हालाँकि ये सभी गाँव CHC के 5 किलोमीटर के दायरे में हैं, लेकिन पहाड़ी इलाक़ा होने के कारण आवाजाही धीमी हो जाती है. क्लीनिक की हर एक साइट पर गाड़ी से व चढ़ाई करके जाना पड़ता है, जिसमें एक से दो घंटे लगते हैं और वो भी बारिश पर निर्भर करता है.”
![माओसिनराम के रास्ते में, महिला स्वास्थ्य सहायक, बी लिंगडौ बाँस की टोकरियाँ बुन रही महिलाओं से बात करने रुकी हैं. माओसिनराम के रास्ते में, महिला स्वास्थ्य सहायक, बी लिंगडौ बाँस की टोकरियाँ बुन रही महिलाओं से बात करने रुकी हैं.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production%20Library/24-06-24_India_Meghalaya_basket_weaving.jpg/image770x420cropped.jpg)
बल खाती हुई सड़कों के कारण, कैनमिसौ गाँव तक का सफ़र ख़ासतौर पर बेहद चुनौतीपूर्ण है. दुर्गम क्षेत्र होने के कारण, CHC के कार्यबल को अपनी कारें गाँव से तीन किलोमीटर पहले छोड़कर, गाँव के ड्राइवरों द्वारा चलाई जाने वाली छोटी टैक्सियाँ लेनी पड़ती हैं, जो खड़ी, लहराती सड़कों पर गाड़ी चलाने में माहिर होते हैं.
आख़िर में सामुदायिक केन्द्र तक पहुँचने के लिए, लगभग 100 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, जो गाँव के बीच से गुज़रती हैं. इस रास्ते पर, स्थानीय बाँस से झाड़ू व टोकरियाँ बुनते, अपने कुटीर उद्योगों में व्यस्त या परिवारों को साथ बैठे हुए लोगों को देखा जा सकता है.
अधिकतर गाँववालों के पास छोटे खेत हैं, जहाँ वो सुपारी के पेड़, कटहल, काली मिर्त, पान के पत्ते, झाड़ू घास व बाँस के पेड़ उगाते हैं.
![माओसिनराम समुदाय स्वास्थ्य केन्द्र की टीम, वैक्सीन व दवाइयाँ लेकर, अनगिनत सीढ़ियाँ चढ़कर, कैनमिसौ सामुदायिक हॉल पहुँचती है. माओसिनराम समुदाय स्वास्थ्य केन्द्र की टीम, वैक्सीन व दवाइयाँ लेकर, अनगिनत सीढ़ियाँ चढ़कर, कैनमिसौ सामुदायिक हॉल पहुँचती है.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production%20Library/24-06-24_WHO_India_Health_team-3.jpg/image770x420cropped.jpg)
सेहत सुविधाओं की उपलब्धता
कैनमिसौ गाँव में बसने वाला खासी समुदाय, दुनिया के उन मातृवंशी समुदायों में से है, जहाँ धन-सम्पत्ति की विरासत महिलाओं को मिलती है.
बाह होपिंग, अपनी पत्नी व बच्चों के साथ अपनी सास के घर में रहते हैं और टोकरियाँ बनाने में घर की महिलाओं की मदद करते हैं. वो कहते हैं कि, ”हमारे परिवार में सभी लोग बाँस का काम करते हैं – मेरी सास, मेरी पत्नी, उसकी बहन और मैं.”
माओसिनराम CHC की महिला स्वास्थ्य सहायक, बी लिंगडौ ने बताया, “टीकाकरण समेत मातृ व बाल सेवाओं के अलावा, अधिकतर शिक़ायतें संक्रमण, पाचन समस्याओं और उच्च रक्तचाप जैसे ग़ैर-संक्रामक रोगों की होती हैं.”
साथ ही, स्वास्थ्यकर्मी सेहत से जुड़ी कुछ ख़ास चिन्ताओं को भी दूर करने की करते हैं, जैसेकि कैंसर की वजह बनने वाली सुपारी की लत, जो कि इस इलाक़े में व्यापक रूप से उगाई व खाई जाती है.
![चिकित्सा अधिकारी, डॉक्टर आर सुचियाँग, थियांगहुन लंगपेन की जाँच कर रहे हैं. चिकित्सा अधिकारी, डॉक्टर आर सुचियाँग, थियांगहुन लंगपेन की जाँच कर रहे हैं.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production%20Library/24-06-24_WHO_India_Health_team-2.jpg/image770x420cropped.jpg)
35 वर्षीय थियांगहुन लंगपेन, छह बच्चों की माँ हैं, जिनमें से सबसे बड़ा केवल 10 साल का है और सबसे छोटा, 22 महीने का. उनके सभी बच्चों का जन्म घर पर ही पारम्परिक दाईयों के ज़रिए हुआ है. लेकिन इसके बावजूद वो सुनिश्चित करती हैं कि इस स्वास्थ्य आउटरीच क्लीनिक पर उनके परिवार की नियमित स्वास्थ्य जाँच हो.
पूर्वी खासी पहाडी ज़िले में स्वास्थ्य केन्द्र या क्लीनिक में जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या बहुत कम है, राष्ट्रीय स्तर पर 88.6 प्रतिशत की औसत की तुलना में केवल 63.4 फ़ीसदी ही है. लेकिन 2019-2020 के राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है.
थियांगहुन लंगपेन, घर के पास ही विस्तृत स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराए जाने की सराहना करते हुए कहती हैं, “यहाँ मुझे अपने पूरे परिवार के लिए, दवाओं समेत सभी कुछ मिल जाता है.”
यहाँ आकर उन्होंने अपने बच्चों का टीकाकरण करवाया और सहायक मिडवाइफ़ नर्स को अपनी थकान के लक्षण भी बताए. नर्स ने उनके रक्तचाप व रक्त शर्करा की जाँच करके, आगे की जाँच के लिए डॉक्टर क पास भेज दिया.
![बच्चों के टीकाकरण के बाद माताएँ आपस में बात करते हुए. बच्चों के टीकाकरण के बाद माताएँ आपस में बात करते हुए.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production%20Library/24-06-24_WHO_India_Health_team-4.jpg/image770x420cropped.jpg)
WHO के साथ सहयोग
विश्व स्वास्थ्य संगठन के राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य समर्थन नैटवर्क (NPSN) ने कैनमिसौ व निकटवर्ती इलाक़ों में ख़सरे के प्रकोप के विरुद्ध कार्रवाई में अहम भूमिका निभाई और मेघालय की सरकार को तकनीकी व निगरानी समर्थन प्रदान किया. इसमें ख़ासतौर पर दुर्गम क्षेत्रों में टीकाकरण सेवाओं का विस्तार शामिल था.
यह समर्थन, कोविड-19 की रोकथाम समेत अन्य नियमित टीकाकरण का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करवाने के नज़रिये से बेहद महत्वपूर्ण रहा.
भारत सरकार के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत, लगभग 2.67 करोड़ बच्चों व 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं का, रोकथाम-योग्य 12 बीमारियों से बचाव के लिए नि:शुल्क टीकाकरण किया जा चुका है.
यह कार्यक्रम, विश्व की सबसे विशाल स्वास्थ्य पहलों में से है, जिसमें टीकाकरण के ज़रिए, बाल मृत्यु दर घटाने व बीमारियों की रोकथाम के प्रयास किए जा रहे हैं.
![कैनमिसौ गाँव में रहने वाली वाला खासी समुदाय, दुनिया के बचे-खुचे मातृवंशी समुदायों में से एक है. कैनमिसौ गाँव में रहने वाली वाला खासी समुदाय, दुनिया के बचे-खुचे मातृवंशी समुदायों में से एक है.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production%20Library/24-06-24_INDIA_Meghalaya_Khasi_women.jpg/image770x420cropped.jpg)