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भारत: स्वस्थ बच्चे, सेहतमन्द समुदाय

लुम्सोहपेटबनेंग ग्राम स्वास्थ्य परिषद की बैठक की फोटो में स्कूल से घर जाते कुछ बच्चे.
© WHO India/Sanchita Sharma
लुम्सोहपेटबनेंग ग्राम स्वास्थ्य परिषद की बैठक की फोटो में स्कूल से घर जाते कुछ बच्चे.

भारत: स्वस्थ बच्चे, सेहतमन्द समुदाय

स्वास्थ्य

भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय के दूरदराज़ के इलाक़ों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), भारतीय चिकित्सा अधिकारियों के साथ मिलकर, वैक्सीन के प्रति झिझक मिटाने व सभी बच्चों को समय पर नियमित टीके लगवाने के लिए प्रयासों में जुटा है.

32 वर्षीय सबियान कुर्बाह, मेघालय के री भौई ज़िले के लम्सोहपेटबनेंग गाँव में, अपने पति व चार बच्चों के साथ रहती हैं. उनके पति खेती व मुर्ग़ी पालन करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. उनके सभी बच्चों का जन्म घर पर ही हुआ था. लेकिन टीकाकरण के प्रति झिझक व प्रचलित भ्रान्तियों के कारण बच्चों का टीकाकरण समय पर नहीं हो सका. 

तीन साल पहले जब राज्य की डिस्पेंसरी उमियम के स्वास्थ्यकर्मी, उन्हें बच्चों का टीकाकरण करवाने के लिए मनाने आए, तो सबियान कुर्बाह उनके पीछे डंडा लेकर दौड़ीं और उन्हें भगा दिया. 

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, डॉक्टर मारियाबियांग के डिएंगदोह के नेतृत्व वाली स्वास्थ्यकर्मियों की यह टीम, वापिस लौट तो गई लेकिन उन्होंने कोशिशें नहीं छोड़ीं. अगले कई महीनों तक वो किसी न किसी बहाने उनके घर पर आकर, उनका भरोसा जीतने के प्रयास करते रहे.

समय लगा लेकिन आख़िरकार वो उन्हें मनाने में क़ामयाब रहे. अब सभी चारों बच्चों का टीकाकरण हो चुका है और कभी उन्हें देखकर नाक-भौं सिकोड़ने वाली सबियान कुर्बाह, अब उनका स्वागत पानी व मीठे पान से करती हैं. अपने बच्चों के टीकाकरण के पर्चे देखते हुए वो डॉक्टर डिएंगदोह से पूछती हैं, “अगला सामुदायिक सत्र कब आयोजित किया जाएगा.”  

WHO की टीम बार-बार जाकर सबियान कुर्बाह को अपने बच्चों का टीकाकरण करवाने के लिए मनाती रही.
© WHO India/Sanchita Sharma

सकारात्मक परिणाम

डॉक्टर डिएंगदोह ने बताया, “हमारी सफलता की वजह थी, हमारे पुरज़ोर कोशिशें. हम अफ़वाहें दूर करने व उनकी चिन्ताओं का निदान करने उनके घर जाते रहे. जब उन्होंने कहा कि पोलियो की दवा से बच्चों में नपुंसकता हो जाती है, तो हमने उन गाँववालों के उदाहरण उनके सामने रखे, जिन्होंने बचपन में पोलियो ड्राप्स लिए थे और अब वो माता-पिता बन चुके हैं. उन्हें एक ही सत्र में अनगिनत टीके लगाए जाने से डर था, तो हमने उन्हें थोड़े-थोड़े अन्तराल में लगवाने का विकल्प दिया.”

WHO की शिलॉन्ग यूनिट के राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य समर्थन नेटवर्क (NPSN) के एक निगरानी चिकित्सा अधिकारी भी इस टीम के साथ चलते हैं. WHO NPSN, मेघालय की सरकार को नियमित टीकाकरण व वैक्सीन से रोकथाम-योग्य बीमारियों के लिए तकनीकी व निगरानी समर्थन प्रदान कर रहा है. 

भारत सरकार के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के अन्तर्गत, हर साल 2.67 करोड़ बच्चों व 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं को, वैक्सीन से रोकथाम-योग्य 12 बीमारियों के लिए बिना शुल्क टीकाकरण की सुविधा दी जाती है. 

लम्सोहपेटबनेंग जाने के लिए 6 किलोमीटर खड़े रास्ते से होकर जाना पड़ता है, और यहाँ से सबसे क़रीब डिस्पेंसरी 8 किलोमीटर दूर उमियम में है. मई से अक्टूबर तक वर्षा के मौसम में, लगातार बारिश के कारण आवाजाही पर असर पड़ता है. 

ऐसे में, राज्य के स्वास्थ्य विभाग के मेडिकल अफ़सर और स्टाफ़ नर्सें, स्वास्थ्य आउटरीच सत्र व घर के दौरे करके, यह सुनिश्चित करते हैं कि लोगों को कम से कम प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं से महरूम न होना पड़े. इसके अलावा, बाल विकास सेवा योजना के आशा कार्यकर्ता (गाँव के स्वयंसेवी स्वास्थ्य कर्मी) और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता (ग्रामीण बाल सुविधाकर्मी) समुदाय को एकजुट करके स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करते हैं.  

सम्पर्क समस्या के कारण, घर पर प्रसव के मामले बहुत अधिक होते हैं. सबियान कुर्बाह की तरह ही, 33 वर्षीय इनेजुन्सी सुन ने भी अपने पाँचों बच्चों को घर पर ही जन्म दिया था, और उन्हें भी टीकाकरण के लिए तैयार करने में काफ़ी मान-मनौवल करनी पड़ी थी. उमियम की टीम द्वारा बार-बार उनके घर आकर टीकाकरण के लिए उन्हें मनाने का ही परिणाम है कि सितम्बर 2022 में जन्में उनके सबसे छोटे बेटे को अभी-अभी, बाल तपेदिक से बचाव की BCG वैक्सीन लगी है.

शिलौंग के डब्ल्यूएचओ निगरानी चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर मारियाबियांग के. डिएंगदोह (सबसे दाएँ) और स्टेट डिस्पेंसरी उमियम की उनकी टीम के मासिक सत्र स्थलों पर उपलब्ध प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में इनेजुन्सी सुन को जानकारी दे रहे हैं.
© WHO India/Sanchita Sharma

गाँव की स्वास्थ्य परिषद

डॉक्टर डिएंगदोह कहते हैं, “तीन साल पहले यह एक उच्च-जोखिम वाला क्षेत्र था - टीकाकरण का कवरेज बहुत कम था, चार घरों में टीकों के लिए बिल्कुल मनाही थी और स्वास्थ्य सुविधाओं का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या न के बराबर थी. हमने गाँव के लोगों के बीच जाकर, टीकारण से इनकार करने की वजहों की पहचान की." 

"हमने ग्रामीण स्वास्थ्य परिषद स्थापित करके, समुदाय के साथ बैठकें आयोजित कीं. मार्च 2024 में छोटे बच्चों की माताओं के साथ सम्वाद स्थापित करते के मक़सद से, हमने दो साल से कम उम्र के बच्चों का ‘Baby Show’ भी आयोजित किया. इसमें जानकारी के साथ-साथ, प्रतिभागियों को बच्चों को खाना खिलाने के बर्तन व पात्र भी दिए गए.”

उच्च स्तर पर सामुदायिक सम्वाद के परिणामस्वरूप धीरे-धीरे लोगों का व्यवहार परिवर्तन होने लगा. डॉक्टर डिएंगदोह ने बताया, “2023 में यह बदलाव देखने को मिला और टीकाकरण ने गति पकड़ी.” टीम यह भी सुनिश्चित करती है कि सभी लाभार्थियों को चार प्रमुख सन्देश प्रदान किए जाएँ, जिससे वो आगे की प्रक्रिया को पूरी तरह समझ सकें. 

सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता, बुडलिंग शैबॉन्ग ने बताया, “हम उन्हें बताते हैं कि कौन सी बीमारी की रोकथाम के लिए कौन सा टीका लगाया जा रहा है; टीकाकरण के बाद थोड़ी परेशानी या बुख़ार होने की सम्भावना व उसका निदान; टीकाकरण कार्ड को अपटेड करना; तथा वैक्सीन लगवाने की अगली तारीख़, समय, स्थान व अहमियत पर पूर्ण जानकारी दी जाती है.”

लम्सोहपेटबनेंग गाँव की स्वास्थ्य परिषद में 23 सदस्य हैं - 13 पुरुष और 10 महिलाएँ – जो नियमित रूप से ज़िला स्वास्थ्य अधिकारियों से मिलकर, ज़रूरतों व अन्तराल की पहचान कर, उनकी आपूर्ति करते हैं.  

स्टाफ़ नर्स रिमाया एल मैरांग (बाएँ) 34 वर्षीय शाइदालिन मतलांग के साथ, जो अपने 8 वर्षीय बेटे शिम किबोर को जीभ के थ्रश के इलाज के लिए उमियम की डिस्पेंसरी में लेकर आई हैं.
© WHO India/Sanchita Sharma