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नागालैण्ड के एक स्कूल में कोविड के टीके की पहली ख़ुराक़ प्राप्त करने के बाद, 15 साल की यिमा ने बताया कि वो सुरक्षित महसूस कर रही है.

भारत: कोविड-19 टीकाकरण अभियान के लिये यूएन सहयोग

© UNICEF/Jamir
नागालैण्ड के एक स्कूल में कोविड के टीके की पहली ख़ुराक़ प्राप्त करने के बाद, 15 साल की यिमा ने बताया कि वो सुरक्षित महसूस कर रही है.

भारत: कोविड-19 टीकाकरण अभियान के लिये यूएन सहयोग

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र ने भारत में कोविड-19 वैक्सीन के टीकाकरण अभियान के लिये हरसम्भव सहायता सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया है. भारत सरकार का कहना है कि 30 जनवरी, 2022 को देश की 75 प्रतिशत वयस्क आबादी को कोविड-19 टीकों की दो ख़ुराक़ें दिये जाने, यानि उनके पूर्ण टीकाकरण का कार्य पूरा कर लिया गया है. यूएन एजेंसियों और भारत सरकार के साझा प्रयासों से जुड़ी अहम जानकारी...

कोविड-19 से बचाव के लिये जिस बड़े पैमाने पर यह कार्य सम्भव हुआ, वह वाक़ई चौंका देने वाला है. केवल एक वर्ष में, भारत ने टीकों की लगभग एक अरब 70 करोड़ ख़ुराक़े देने का काम पूरा किया - यानि 72 करोड़ से अधिक लोगों का कोविड-19 के ख़िलाफ़ पूर्ण टीकाकरण हो चुका है.

भारत के 10 लाख से अधिक स्वास्थ्यकर्मी कथित रूप से दुनिया के इस सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में सबसे आगे रहे हैं. साथ ही, भारत ने कोविड-19 से मुक़ाबले में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग में अहम योगदान भी किया है.

न्यायसंगत वैक्सीन वितरण के लिये स्थापित 'कोवैक्स' प्लैटफॉर्म के ज़रिये, शान्तिरक्षा अभियानों और लगभग 100 ज़रूरतमन्द देशों को टीके दान किये गए हैं.

भारत में यूएन कार्यालय ने वैश्विक महामारी से निपटने में सरकार के साथ मिलकर काम करते हुए हरसम्भव सहयोग सुनिश्चित किया है.   

इन प्रयासों के तहत, अग्रिम मोर्चे पर डटे स्वास्थ्यकर्मियों को समर्थन प्रदान किया गया, तंत्रों को म़जबूत बनाया गया, आवश्यक उपकरणों और चिकित्सा आपूर्ति का प्रबन्धन किया गया.

इसके अलावा, समुदायों के साथ मिलकर कार्य किया गया, आजीविकाओंं की रक्षा की गई, भ्रामक सूचनाओं के प्रसार से निपटा गया, और महामारी के फैलाव पर क़ाबू पाने के साथ-साथ यह सुनिश्चित किया गया कि जीवनरक्षक टीकों को, तेज़ी से बड़े पैमाने पर वितरित किया जा सके.

कुछ अहम बिन्दुओं पर एक नज़र...

कोविड पर नियंत्रण पाना - CoWIN

भारत सरकार द्वारा विकसित CoWIN ऐप की मदद से, टीकाकरण अभियान के संचालन में मदद मिली है.
UNDP India
भारत सरकार द्वारा विकसित CoWIN ऐप की मदद से, टीकाकरण अभियान के संचालन में मदद मिली है.

भारत सरकार द्वारा विकसित CoWIN (Winning Over Covid-19) डिजिटल प्लैटफॉर्म, देश के सफल टीकाकरण अभियान की आधारशिला है.

इस प्लैटफ़ॉर्म के ज़रिये, टीकाकरण की निगरानी, टीके लगवाने के लिये पंजीकरण और टीकाकरण प्रमाण पत्र जारी किया जाता है.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) देश भर में CoWIN प्लैटफ़ॉर्म के संचालन के लिये, भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को तकनीकी और कार्यान्वयन सहायता प्रदान कर रहा है.

वर्ष 2015 से यूएन एजेंसी, इलैक्ट्रॉनिक वैक्सीन इन्टैलीजेंस नैटवर्क, यानि eVIN का उपयोग करने के लिये, वैक्सीन और कोल्ड चेन के काम से जुड़े कर्मचारियों को प्रशिक्षित करता रहा है.

भारत सरकार द्वारा शुरू की गई इस डिजिटल तकनीक द्वारा, वैक्सीन भण्डार का डिजिटलीकरण करने और कोल्ड चेन के तापमान की निगरानी की जाती है. 

एक स्वास्थ्यकर्मी , eVIN ऐप के ज़रिये अपने स्मार्टफ़ोन पर टीकों की निगरानी कर रही हैं.
UNDP India
एक स्वास्थ्यकर्मी , eVIN ऐप के ज़रिये अपने स्मार्टफ़ोन पर टीकों की निगरानी कर रही हैं.

50 हज़ार से अधिक सार्वजनिक स्वास्थ्यकर्मी, पहले से ही देश में सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में वैक्सीन सम्बन्धी कार्यों के लिये, डिजिटल तकनीक का उपयोग कर रहे थे.

इस वजह से, CoWIN की तैनाती में बहुत मदद मिली. 

भारत के कोविड-19 टीकाकरण अभियान को सामर्थ्य प्रदान करने में, CoWIN कार्यक्रम की अहम भूमिका है.

इसके ज़रिये, प्रबन्धकों और टीकाकरण के काम में जुटे कर्मचारियों को टीकाकरण के लिये विभिन्न सत्र तय करने, उनकी रिपोर्ट तैयार करने और प्रगति की निगरानी में मदद मिलती है.

यूएन एजेंसी ने, कोविड टीकाकरण अभियान से जुड़े और अग्रिम मोर्चे पर तैनात 12 लाख से अधिक कर्मचारियों को प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन दिया है, जिनमें स्वास्थ्यकर्मी, सरकारी कर्मचारी, चिकित्सा अधिकारी और अन्य लोग हैं.

मध्य प्रदेश के झाबुआ के एक गाँव में एक कर्मचारी अनिल पचाया, कोविन प्लैटफ़ॉर्म पर एक युवती के पंजीकरण में मदद कर रहे हैं.
UNICEF/Sujay Reddy
मध्य प्रदेश के झाबुआ के एक गाँव में एक कर्मचारी अनिल पचाया, कोविन प्लैटफ़ॉर्म पर एक युवती के पंजीकरण में मदद कर रहे हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टीकाकरण कार्य में जुटे 3 लाख 70 हज़ार कर्मियों के लिये, सुरक्षित टीकाकरण पर प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये.

टीकाकरण की नाम-आधारित रिपोर्टिंग के लिये, टीकाकरण दल के लगभग 4 लाख सदस्यों को, CoWIN का उपयोग करना सिखाया गया.

कोल्ड-चेन प्रबन्धन

महाराष्ट्र में सरकारी कर्मचारी, ज़िला कोल्ड-चेन केन्द्र पर टीकों के डिब्बे शीतलक यंत्रों में स्थानान्तरित कर रहे हैं.
UNICEF/Singh
महाराष्ट्र में सरकारी कर्मचारी, ज़िला कोल्ड-चेन केन्द्र पर टीकों के डिब्बे शीतलक यंत्रों में स्थानान्तरित कर रहे हैं.

तापमान नियन्त्रित वातावरण में वैक्सीन वितरण और टीकों को विभिन्न स्थानों तक पहुँचाने के लिये सटीक समन्वय की आवश्यकता होती है.

इन जीवनरक्षक उत्पादों का कारख़ानों से, उचित तरीक़े से भण्डारण, प्रबन्धन और स्थानान्तरण अहम है.

इसे कोल्ड-चेन कहा जाता है और इस प्रणाली में आवश्यकता अनुरूप बदलाव करना, कोविड-19 टीकाकरण की भारत की क्षमता मज़बूत करने के साथ-साथ, लम्बी अवधि में टीकाकरण वितरण सेवा को पुख़्ता करने के लिये भी ज़रूरी था.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) ने जर्मनी के सहयोग से, कोल्ड-चेन को मज़बूत करने के लिये ज़रूरी उपकरण की आपूर्ति की.

कोविड-19 टीकाकरण अभियान के साथ-साथ, बच्चों के लिये नियमित टीकाकरण में सहयोग के लिये, यूनीसेफ़ ने भारत को दो लाख 38 हज़ार से अधिक कोल्ड-चेन उपकरणों की ख़रीद व आपूर्ति की, जिससे 31 करोड़ लोग लाभान्वित हुए.

गुजरात में एक दाई नीलम बामनिया, एक सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्र के कोविड-19 टीकाकरण सत्र के लिये टीके लेने के लिये एम्बुलेन्स में जा रही हैं. कोविड टीकों को वैक्सीन के नीले डब्बों में ले जाया जाता है.
UNICEF India/Srishti Bhardwaj
गुजरात में एक दाई नीलम बामनिया, एक सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्र के कोविड-19 टीकाकरण सत्र के लिये टीके लेने के लिये एम्बुलेन्स में जा रही हैं. कोविड टीकों को वैक्सीन के नीले डब्बों में ले जाया जाता है.

अग्रिम पाँत के स्वास्थ्यकर्मियों को मदद

भारत में अग्रिम पंक्ति पर डटे स्वास्थ्यकर्मी, कोविड-19 महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई के नायक हैं.

उन्होंने अभूतपूर्व कार्यभार और मानव सम्पर्क के कारण संक्रमण जोखिम का सामना करने के बावजूद, महामारी के दौरान, आवश्यक स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को जारी रहने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने यूनीसेफ़ के सहयोग से एक फ़ोटो बुक, ‘सेन्टिनल्स ऑफ द सॉयल यानि ‘मिट्टी के प्रहरी’ प्रकाशित की है.
UNICEF/MoHFW
भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने यूनीसेफ़ के सहयोग से एक फ़ोटो बुक, ‘सेन्टिनल्स ऑफ द सॉयल यानि ‘मिट्टी के प्रहरी’ प्रकाशित की है.

इनमें लाखों स्वैच्छिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं, जिन्होंने जागरूकता बढ़ाने और कोविड-उपयुक्त व्यवहारों, उपचारों और टीकों के प्रति भरोसा बढ़ाने के सन्देश फैलाने के लिये देश भर में अथक परिश्रम किया.

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने, भारत के अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के साथ सहयोग किया – उन्हें सुरक्षित रखने के लिये लाखों निजी बचाव किटों (पीपीई किट) की ख़रीद की गई, संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण हेतु प्रशिक्षण प्रदान किया गया.

साथ ही, अपने समुदायों को सुरक्षित रखने में मदद करने के लिये कोविड-19 फैलाव का जोखिम करने के उपायों पर जानकारी साझा की गई.

मध्य प्रदेश के नरसिंह रुण्डा के एक गाँव में, 19 वर्षीय स्वैच्छिक कार्यकर्ता, हर्षाली पचाया.
UNICEF India/Sujay Reddy
मध्य प्रदेश के नरसिंह रुण्डा के एक गाँव में, 19 वर्षीय स्वैच्छिक कार्यकर्ता, हर्षाली पचाया.

कोई भी पीछे न छूट जाए

वैश्विक महामारी का ख़ात्मा करने और ज़िन्दगियों की रक्षा करने के लिये, हर जगह पर हर किसी को टीके मुहैया कराए जाने पर निर्भर है, जिनमें हाशिये पर रहने वाले समूह, शरणार्थी और दूरस्थ आबादी भी शामिल हैं.

भारत ने समानता और समावेशिता का प्रदर्शन करते हुए, अपने राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शरणार्थियों और आश्रय की तलाश कर रहे लोगों को भी शामिल किया है.

46 वर्षीय अफ़ग़ान शरणार्थी, ज़हरा शफ़ाई को भी कोविड-19 से बचाव के लिये टीका लगाया गया है.
UNHCR/ Daniel Ginsianmung
46 वर्षीय अफ़ग़ान शरणार्थी, ज़हरा शफ़ाई को भी कोविड-19 से बचाव के लिये टीका लगाया गया है.

 

कश्मीर के उत्तरी हिस्से में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बोनियार की एक स्वास्थ्यकर्मी तबस्सुम बशीर कँपकपाती ठण्ड और बर्फ़बारी का सामना करते हुए, कश्मीर और लद्दाख के सुदूर बोनियार क्षेत्र के निवासियों के टीकाकरण का कार्य पूरा कर रही हैं.
UNICEF/Nanda
कश्मीर के उत्तरी हिस्से में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बोनियार की एक स्वास्थ्यकर्मी तबस्सुम बशीर कँपकपाती ठण्ड और बर्फ़बारी का सामना करते हुए, कश्मीर और लद्दाख के सुदूर बोनियार क्षेत्र के निवासियों के टीकाकरण का कार्य पूरा कर रही हैं.

 

डॉक्टर अनीश परमेश्वरी अपनी टीम के साथ केरल के कुण्डरा में, मुनरो द्वीप पर टीके पहुँचाने के लिये जाते हुए.
UNICEF/ Bhardwaj
डॉक्टर अनीश परमेश्वरी अपनी टीम के साथ केरल के कुण्डरा में, मुनरो द्वीप पर टीके पहुँचाने के लिये जाते हुए.

 

दूर-दराज़ के क्षेत्रों तक कोविड-19 टीके पहुँचाने के लिये भारत, स्वदेश में विकसित ड्रोन का उपयोग कर रहा है, ताकि सर्वजन के लिये सर्वत्र जीवनरक्षक टीके उपलब्ध हो सकें.
WHO
दूर-दराज़ के क्षेत्रों तक कोविड-19 टीके पहुँचाने के लिये भारत, स्वदेश में विकसित ड्रोन का उपयोग कर रहा है, ताकि सर्वजन के लिये सर्वत्र जीवनरक्षक टीके उपलब्ध हो सकें.