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पोलियो वैक्सीन की 12 लाख ख़ुराकें पहुँचीं ग़ाज़ा, युद्ध में ठहराव की पुकार

यूएन एजेंसियाँ, पोलियो वैक्सीन की ख़ुराकें बड़े पैमाने पर बच्चों को पिलाने के लिए मुस्तैद हैं.
© UNICEF
यूएन एजेंसियाँ, पोलियो वैक्सीन की ख़ुराकें बड़े पैमाने पर बच्चों को पिलाने के लिए मुस्तैद हैं.

पोलियो वैक्सीन की 12 लाख ख़ुराकें पहुँचीं ग़ाज़ा, युद्ध में ठहराव की पुकार

शान्ति और सुरक्षा

ग़ाज़ा में पोलियो वैक्सीन की लगभग 12 लाख ख़ुराकें पहुँच गई हैं. यूनीसेफ़ ने सोमवार को यह पुष्टि करते हुए युद्ध को मानवीय ठहराव के लिए रोके जाने की पुकार भी लगाई है ताकि पोलियो के जोखिम का सामना कर रहे लाखों बच्चों तक वैक्सीन की ख़ुराकें पहुँचाई जा सकें.

यूएन बाल एजेंसी ने कहा है कि लगभग छह लाख 40 हज़ार बच्चों को, पोलियो वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाने का लक्ष्य रखा गया है.

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA व उसकी साझीदार एजेंसियाँ, युद्धग्रस्त ग़ाज़ा में उन बच्चों को पोलियो वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाने की मुहिम चला रही हैं जिन्हें युद्ध के कारण, ये ख़ुराकें अभी तक नहीं मिल पाई थीं. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी इस मुहिम में मदद कर रहा है.

ग़ौरतलब है कि युद्ध और इसराइल द्वारा ग़ाज़ावासियों को बार-बार जारी किए जा रहे बेदख़ली आदेशों के कारण लोगों को बार-बार विस्थापन करना पड़ रहा है.

इसराइल की सरकारी एजेंसी – COGAT ने भी पुष्टि की है कैरेम शेलॉम सीमा चौकी के ज़रिए वैक्सीन का भंडार ग़ाज़ा पहरुँचा है. इसराइली एजेंसी ने यब भी कहा है कि बच्चों को इस वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाए जाने की मुहिम, इसराइली सेनाओं के साथ समन्वय में चलाई जाएगी.

7 अक्टूबर (2023) को इसराइल के दक्षिणी इलाक़े में, हमास और कुछ अन्य फ़लस्तीनी गुटों के हमले के बाद से, ग़ाज़ा भीषण युद्ध की चपेट में रहा है.

इसराइल में हुए उस हमले में लगभग 1200 लोग मारे गए थे और 250 से अधिक लोगों को बन्धक बना लिया गया था. उसके बाद से ग़ाज़ा पर इसराइल के भीषण हमलों में, स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, अभी तक 40 हज़ार से अधिक लोग मारे गए हैं और एक लाख से अधिक घायल हुए हैं.

इसराइल की बमबारी में, ग़ाज़ा में बुनियादी ढाँचे को भी व्यापक और भीषण नुक़सान पहुँचा है, जिनमें आश्रय स्थलों में तब्दील किए गए स्कूलों, अस्पतालों और क्लीनिकों को भी निशाना बनाया गया है.

पोलियो की नज़र में कोई भेद नहीं

ग़ाज़ा में गत सप्ताह 10 महीने की एक बालिका में पोलियो होने की पुष्टि की गई थी. इस बच्ची को पोलियो का असर बाईं टांग के निचले हिस्से में हुआ है और उसकी हालत स्थिर बताई गई है.

जीवन भर के लिए इनसान को अपंग बनाने या किसी हिस्से को फ़ालिज़ से प्रभावित करने वाली इस बीमारी का, पिछले 25 वर्षों में यह पहला मामला है.

पोलियो की बीमारी होने के बाद इसका कोई इलाज नहीं हैं, मगर रोकथाम उपाय के तौर पर पहले से ही पोलियो वैक्सीन की ख़ुराक पिलाने से, बच्चे को जीवन भर के लिए इससे सुरक्षित रखा जा सकता है.

UNRWA प्रमुख फ़िलिपे लज़ारिनी ने गत सप्ताह कहा था कि पोलियो, फ़लस्तीनी या इसराइली बच्चों के बीच कोई भेद नहीं करेगा. उन्होंने साथ ही पोलियो के फैलाव के जोखिम को कम करने के लिए, युद्ध में तत्काल ठहराव की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया था.

उन्होंने सोमवार को भी युद्ध ठहराव की पुकार दोहराई है और ज़ोर दिया है कि “यूएन एजेंसियाँ व साझीदार संगठन बच्चों को पोलियो वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाने के लिए मुस्तैद रहें, मगर युद्ध में मानवीय ठहराव की ज़रूरत है.”

लोगों की तकलीफ़ें यूँ ही जारी

इस बीच युद्धग्रस्त पूरे ग़ाज़ा पट्टी में आम लोगों की तकलीफ़ें रुकने का नाम नहीं ले रही हैं.

UNRWA के अनुसार, केन्द्रीय ग़ाज़ा के दियर अल बलाह इलाक़े में इसराइल के सैन्य हमले जारी रहने से, वहाँ के 18 जल कुओं में से केवल 3 काम कर रहे हैं, जिसका परिणाम ये हुआ है कि पानी की 85 प्रतिशत क़िल्लत है.

एजेंसी का कहना है कि “ग़ाज़ा के लोग ना केवल अपनी ज़िन्दगी किसी भी समय ख़त्म हो जाने के लगातार डर में जी रहे हैं, बल्कि वो अपनी बहुत बुनियादी दैनिक ज़रूरतें पूरी करने में भी जद्दोजेहद कर रहे हैं.”