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ग़ाज़ा: अधिक नवजात शिशु पहुँच रहे हैं मौत के निकट

यूनीसेफ़ और साझेदार संगठनों ने 5 मार्च 2024 को रफ़ाह के अस्पतालों में 23 इनक्यूबेटर वितरित किए हैं.
© UNICEF/Eyad El Baba
यूनीसेफ़ और साझेदार संगठनों ने 5 मार्च 2024 को रफ़ाह के अस्पतालों में 23 इनक्यूबेटर वितरित किए हैं.

ग़ाज़ा: अधिक नवजात शिशु पहुँच रहे हैं मौत के निकट

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता एजेंसियों ने मंगलवार को बताया है कि ग़ाज़ा में पाँच महीने की सघन इसराइली बमबारी और सहायता आपूर्ति के लगातार खंडन के कारण उत्पन्न भुखमरी के हालात में, बढ़ती संख्या में नवजात शिशु मौत के निकट पहुँच रहे हैं.

मानवीय सहायता एजेंसियों ने अपने सहायता अभियान जारी रखने का संकल्प भी दोहराया है.

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विश्व स्वास्थ्य संगठन – WHO की प्रवक्ता पदाधिकगारी डॉक्टर मार्गरेट हैरिस ने कहा है कि चिकित्सक और चिकित्सा कर्मचारी जो जानकारी हमें दे रहे हैं, उससे मालूम होता है कि वो पूर्ण खाद्य अभाव और भुखमरी के प्रभाव देख रहे हैं, वो देख रहे हैं कि नवजात शिशुओं की केवल इसलिए मौत हो रही है क्योंकि जन्म के समय उनका वज़न बहुत कम था.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रवक्ता डॉक्टर मार्गरेट हैरिस ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि ऐसे बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है जो मौत के निकट पहुँच रहे हैं और जिन्हें तुरन्त माँ के दूध या भोजन की आवश्यकता है.

इससे एक दिन पहले ही वैश्विक पोषण विशेषज्ञों ने आगाह किया था कि ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में, किसी भी समय अकाल पड़ सकता है.

भोजन अभाव, भुखमरी, अकाल 

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने, ग़ाज़ा स्थिति पर सोमवार को प्रकाशित आईपीसी की रिपोर्ट के नतीजों के बारे में ज़ोर देकर कहा है कि “भूख, भुखमरी और अकाल”, इसराइल द्वारा मानवीय सहायता आपूर्ति और व्यावसायिक चीज़ों के प्रवेश पर लगाए गए व्यापक प्रतिबन्धों, व्यापक आबादी का विस्थापन और अहम बुनियादी ढाँचे के विध्वंस का नतीजा है.

वोल्कर टर्क ने ध्यान दिलाया कि भुखमरी की इस स्थिति में, अब परिवारों ने, अपने बच्चों को अकेले ही, इस उम्मीद के साथ दक्षिणी इलाक़े की तरफ़ भेजना शुरू कर दिया है कि उन्हें वहाँ कोई भोजन मिल पाएगा, जहाँ अलबत्ता पहले ही 18 लाख विस्थापित लोग एकत्र हैं.

ग़ाज़ा की बद से बदतर होती भुखमरी स्थिति पर, मानवाधिकार उच्चायुक्त की ये टिप्पणी, सोमवार को जारी यूएन प्रमुख की चेतावनी को दोहराती है जिसमें उन्होंने इसराइल सरकार से, “पूरे ग़ाज़ा में मानवीय ज़रूरतों के सामान की निर्बाध और पूर्ण आपूति व पहुँच सुनिश्चित करने” की अपील की थी.

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने, सोमवार को न्यूयॉर्क में कहा कि "ग़ाज़ा में फ़लस्तीनी जन, भयानक स्तर के खाद्य अभाव और तकलीफ़ों का सामना कर रहे हैं."

यूएन महासचिव ने आगाह करते हुए कहा, "यह पूर्णतः मानव-निर्मित आपदा है - और रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि इसे रोका जा सकता है." उन्होंने कहा कि यह स्थिति तत्काल एक मानवीय युद्धविराम लागू किए जाने की ज़रूरत को दर्शाती है.

एंतोनियो गुटेरेश ने, इसराइल सरकार से पूरे ग़ाज़ा में, मानवीय सहायता निर्बाध आपूर्ति के लिए पहुँच मुहैया कराए जाने का आग्रह किया. उन्होंने साथ ही अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता प्रयासों को पूर्ण समर्थन देने का भी आहवान किया.

उन्होंने कहा, "हमें अकल्पनीय, अस्वीकार्य और अन्यायपूर्ण हालात उत्पन्न होने से रोकने के लिए, अभी कार्रवाई करनी होगी."

गर्भावस्था के लिए ख़तरे

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि लगातार खाद्य अभाव या भूख संकट का सामना कर पाने में असमर्थ नवजात शिशुओं और छोटी उम्र के बच्चों की संख्या बढ़ रही है. दूसरी तरफ़ चिकित्सा टीमें लगातार बढ़ती संख्या में, ख़तरनाक स्तर पर कम वज़न वाली गर्भवती महिलाओं को अस्पतालों में भर्ती कर रही हैं.

डॉक्टर मार्गरेट हैरिस का कहना है कि ये जटिलताएँ, गर्भवास्था के दौरान पर्याप्त पोषण नहीं होने के कारण उत्पन्न हो रही हैं.

उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा में अकाल के जोखिम की ये स्थिति, पूर्णतः युद्ध का नतीजा है.

विशाल पैमाने पर बेरोज़गारी

इस बीच अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन – ILO की एक नई रिपोर्ट में, ग़ाज़ा में युद्ध के विनाशकारी प्रभाव को रेखांकित करते हुए संकेत दिया गया है कि इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में, लगभग 5 लाख 7 हज़ार रोज़गार ख़त्म हो गए हैं.

संगठन की प्रवक्ता ज़ीना अवाद ने कहा है कि इस स्थिति के, पहले ही क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था पर “विनाशकारी परिणाम” देखने को मिल रहे हैं.

उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि अगर युद्ध जारी रहता है तो, फ़लस्तीनी क्षेत्र में, बेरोज़गारी की दर 57 प्रतिशत तक होने की सम्भावना है.