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ग़ाज़ा: अकाल की बढ़ती आशंका के बीच, 'भूख-प्यास से 10वें बच्चे की मौत'

रफ़ाह में एक आठ वर्षीय बच्ची भोजन के लिए अपनी बारी आने की प्रतीक्षा कर रही है.
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रफ़ाह में एक आठ वर्षीय बच्ची भोजन के लिए अपनी बारी आने की प्रतीक्षा कर रही है.

ग़ाज़ा: अकाल की बढ़ती आशंका के बीच, 'भूख-प्यास से 10वें बच्चे की मौत'

मानवीय सहायता

ग़ाज़ा पट्टी में भीषण लड़ाई के कारण बिगड़ती खाद्य असुरक्षा और अकाल के बढ़ते जोखिम के बीच ख़बर है कि कुपोषण और भूख-प्यास की वजह से एक और बच्चे की मौत हो गई है, जिसके बाद ऐसे मामलों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है. यूएन मानवीय सहायताकर्मियों ने बद से बदतर होते हालात में जल्द से जल्द मानवीय सहायता का स्तर बढ़ाने और युद्धविराम लागू किए जाने का आग्रह किया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रवक्ता क्रिस्टियान लिन्डमायर ने कहा कि आधिकारिक जानकारी के अनुसार, भूख की वजह से एक और बच्चे की मौत हो गई है, जिसके बाद मृतक आँकड़ा बढ़कर 10 पर पहुँच गया है.

उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए आशंका जताई कि दुर्भाग्यवश, मृतकों की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है. 

इससे पहले, समाचार माध्यमों में कहा गया था कि उत्तरी ग़ाज़ा के कमाल अदवान अस्पताल में बीती रात चार बच्चों की मौत हो गई. बुधवार को इसी अस्पताल में और ग़ाज़ा सिटी के अल शिफ़ा अस्पताल में छह अन्य बच्चों की जान गई थी.  

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संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता एजेंसियों के अनुसार, ग़ाज़ा पट्टी में खाद्य असुरक्षा चरम पर है और हर चार में से एक व्यक्ति को विनाशकारी स्तर पर इससे जूझना पड़ रहा है.

गुरूवार को एक घटना में राहत क़ाफ़िले से मदद हासिल करने की कोशिश कर रहे कम से कम 100 फ़लस्तीनियों के मारे जाने और सैकड़ों अन्य के घायल होने की आशंका व्यक्त की गई थी.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस घटना की तत्काल निन्दा करते हुए, इसकी तुरन्त स्वतंत्र जाँच कराए जाने की मांग की थी, जिसे यूएन मानवीय सहायता समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने दोहराया है.  

इस बीच, ग़ाज़ा में वायु, भूमि और समुद्री मार्ग से लगातार गहन बमबारी जारी है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रवक्ता लिन्डमायर ने बताया कि उन्होंने अल शिफ़ा अस्पताल की तस्वीरों को देखा है, जहाँ मृतकों के बगल में ही घायल लेटे हुए अपने उपचार की प्रतीक्षा कर रहे थे.

जल व बिजली आपूर्ति ठप

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ग़ाज़ा में बुनियादी सेवाएँ घुटने टेक चुकी हैं और जल व बिजली समेत जीवनरक्षक सेवाएँ मोटे तौर पर ठप हो चुकी हैं. 

7 अक्टूबर को इसराइली समुदायों पर हमास के आतंकी हमलों के बाद से ही जल व बिजली आपूर्ति में व्यवधान आ गया था.

वहीं, यूएन मानवतावादी कार्यालय के प्रवक्ता येन्स लार्क ने ध्यान दिलाया कि हिंसक टकराव से पहले लोगों के पास भोजन था, वे अपना भोजन स्वयं उगाने में भी सक्षम थे.

मगर, अब ग़ाज़ा में भोजन ढूँढ पाना बेहद कठिन हो गया है. खेती या मछली पालन से परिवारों के लिए भोजन पूरी तरह रूक चुका है.

“दैनिक गुज़र-बसर की अहम बुनियाद ही उनसे छीन ली जा रही है.”

ग़ाज़ा में नवीनतम खाद्य असुरक्षा आकलन दर्शाते हैं कि यहाँ की पूरी आबादी, 22 लाख लोग संकट स्तर पर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही है.

11 लाख से अधिक लोग आपात स्तर पर खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं, जबकि पाँच लाख लोगों के लिए विनाशकारी हालात हैं.

यूएन एजेंसी प्रवक्ता ने कहा कि बेहद ख़तरनाक स्थिति, बहुत तेज़ी से हमारी ओर बढ़ती जा रही है. इससे पहले, यूएन मानवीय सहायता अधिकारियों ने सुरक्षा परिषद में आगाह किया था कि यदि ग़ाज़ा पट्टी में राहत सामग्री का स्तर जल्द से जल्द नहीं बढ़ाया गया तो वहाँ अकाल टालना बहुत मुश्किल हो जाएगा.

इस बीच, फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) ने आगाह किया है कि जनवरी 2024 में ग़ाज़ा पहुँची राहत आपूर्ति पर्याप्त नहीं थी, मगर फ़रवरी में उसकी भी आधी मात्रा ही पहुँच पाई है.

ग़ाज़ा युद्ध में, दक्षिणी इलाक़े रफ़ाह में हुई तबाही का एक दृश्य.
© UNICEF/Eyad El Baba
ग़ाज़ा युद्ध में, दक्षिणी इलाक़े रफ़ाह में हुई तबाही का एक दृश्य.

हताशा भरे हालात

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रवक्ता क्रिस्टियान लिन्डमायर ने ग़ाज़ा में युद्धविराम लागू किए जाने की अपनी अपील को दोहराया. 

उन्होंने ध्यान दिलाया कि गुरूवार को राहत क़ाफ़िले के नज़दीक हुई मौतें दर्शाती हैं कि पाँच महीने से जारी लड़ाई के बाद ग़ाज़ा के लोग भोजन, पानी और अन्य ज़रूरतों के लिए कितना हताश हो चुके हैं.

“ये यहाँ वास्तव में आपदा है कि भोजन और आपूर्ति इतना कम हैं कि हम ऐसी स्थिति को उभरते हुए देख रहे हैं. और खाद्य आपूर्ति को जानबूझकर काट दिया गया है.” जबकि ग़ाज़ा के लोग अपना भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि यहाँ जितनी भी खेती होती थी, उसके लिए जल आपूर्ति की दरकार है, जोकि बिजली व पम्पिंग स्टेशन पर निर्भर करती है.

ये परिस्थितियाँ बयाँ करती हैं कि हमें जल्द से जल्द युद्धविराम को लागू किए जाने की आवश्यकता है. “यदि अभी नहीं, तो फिर कब?”