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अफ़ग़ानिस्तान: खाद्य असुरक्षा व कुपोषण, ‘एक पूरी पीढ़ी के लिये ख़तरा’

अफ़ग़ानिस्तान में एक 18 महीने का शिशु, गम्भीर कुपोषण से पीड़ित है.
© UNICEF/Hasinullah Qayoumi
अफ़ग़ानिस्तान में एक 18 महीने का शिशु, गम्भीर कुपोषण से पीड़ित है.

अफ़ग़ानिस्तान: खाद्य असुरक्षा व कुपोषण, ‘एक पूरी पीढ़ी के लिये ख़तरा’

मानवीय सहायता

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के रैज़ीडेण्ट कोऑर्डिनेटर और मानवीय मामलों के लिये समन्वयक रमीज़ अलकबरोफ़ ने कहा है कि देश में लोग, अभूतपूर्व स्तर पर खाद्य असुरक्षा व कुपोषण संकट का सामना कर रहे हैं. 

विशेष उप प्रतिनिधि रमीज़ अलकबरोफ़ ने मंगलवार को एक वक्तव्य में बताया कि अफ़ग़ानिस्तान में भूख की मार झेल रहे लोगों की संख्या, पिछले वर्ष जुलाई में एक करोड़ 40 लाख से बढ़कर, इस वर्ष मार्च में दो करोड़ 30 लाख तक पहुँच गई है.

उन्होंने क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में लोगों को अपने भोजन का प्रबन्ध करने के लिये हताशापूर्ण फ़ैसले लेने पड़ रहे हैं.

कटु वास्तविकता

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यूएन रैज़ीडेण्ट कोऑर्डिनेटर के मुताबिक़, क़रीब 95 फ़ीसदी अफ़ग़ान नागरिकों को पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिल पा रहा है.

“यह संख्या इतनी अधिक है कि यह लगभग सोच से परे है. इसके बावजूद, बेहद दुखद रूप से यही कठोर वास्तविकता है.”

उप प्रतिनिधि रमीज़ अलकबरोफ़ ने बताया कि अस्पतालों में वार्ड कुपोषण का शिकार बच्चों से भरे हुए हैं, उनमें से कुछ इतने दुर्बल हैं कि चलने-फिरने के क़ाबिल भी नहीं हैं.

अफ़ग़ानिस्तान अब भी भयंकर सूखे के प्रभावों का सामना कर रहा है और इस वर्ष भी फ़सल ख़राब होने की आशंका व्यक्त की गई है. 

देश इस समय एक बेहद गम्भीर बैंकिंग और वित्तीय संकट से जूझ रहा है, 80 फ़ीसदी स्थानीय आबादी क़र्ज़ के बोझ में दबी है और भोजन व ईंधन की क़ीमतों में उछाल आया है.

“हम समुदायों के समक्ष मौजूद इन वास्तविकताओं को नज़रअन्दाज़ नहीं कर सकते.”

उन्होंने बताया कि अनेक चुनौतियाँ मौजूद हैं, जिनके मद्देनज़र यूएन और साझीदार संगठन हरसम्भव प्रयासों में जुटे हैं ताकि भूख और कुपोषण से निपटा जा सके.

इस वर्ष, यूएन और मानवीय राहत संगठनों ने, 82 लाख लोगों तक जीवनरक्षक मदद व खाद्य सहायता पहुँचाई है. 

इनमें राशन, स्कूली आहार, कृषि सम्बन्धी सामग्री, और माताओं व नवजात शिशुओं के लिये पोषक व पूरक आहार हैं.

कुपोषण की चुनौती

रैज़ीडेण्ट कोऑर्डिनेटर के मुताबिक़, अगले तीन महीनों तक राहत अभियान का दायरा व स्तर बढ़ाने के प्रयास जारी रखे जाएंगे, और उन दूरदराज़ के इलाक़ों तक पहुँचने की कोशिशें होंगी, जहाँ पहले हिंसक संघर्ष के कारण जा पाना कठिन था.

डॉक्टर अलकबरोफ़ ने बताया कि अफ़ग़ानिस्तान के 34 में से 28 प्रान्तों में कुपोषण की दर बहुत अधिक है, और 35 लाख से अधिक बच्चों को पोषण के लिये उपचार व सहारे की ज़रूरत है.

पिछले वर्ष अगस्त महीने से अब तक, सभी 34 प्रान्तों में ढाई हज़ार से अधिक पोषण केन्द्रों पर आठ लाख कुपोषित बच्चों का उपचार किया जा रहा है.

इस वर्ष, यूएन एजेंसियों की योजना 32 लाख बच्चों तक राहत पहुँचाने की है.

साथ ही, दस लाख लोगों को वैकल्पिक रोज़गार प्रशिक्षण प्रदान करने, दस लाख बच्चों को स्कूल में भोजन मुहैया कराने के प्रयास किये जाएंगे.

इसके साथ-साथ, कृषि पर आधारित आजीविकाओं की रक्षा करने के लिये लाखों लोगों तक विभिन्न कार्यक्रमों के ज़रिये मदद पहुँचाई जाएगी. 

राहत अपील

31 मार्च को, संयुक्त राष्ट्र, ब्रिटेन, जर्मनी और क़तर, संयुक्त रूप से एक अन्तरराष्ट्रीय संकल्प सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं, ताकि मानवीय राहत प्रयासों के लिये समर्थन जुटाया जा सके.

रमीज़ अलकबरोफ़ ने ध्यान दिलाया कि अफ़ग़ानिस्तान की एक पूरी पीढ़ी का भविष्य दाँव पर लगा हुआ है.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने सदस्य देशों से उदारतापूर्वक जीवनरक्षक प्रयास जारी रखने की पुकार लगाई है.