वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

ग़ाज़ा में संहार को तत्काल रोके जाने की पुकार, मृतक संख्या हुई 30 हज़ार

ग़ाज़ा में युद्ध की शुरुआत से ही स्कूल भी बमबारी की जद में आए हैं.
© UNRWA
ग़ाज़ा में युद्ध की शुरुआत से ही स्कूल भी बमबारी की जद में आए हैं.

ग़ाज़ा में संहार को तत्काल रोके जाने की पुकार, मृतक संख्या हुई 30 हज़ार

मानवाधिकार

ग़ाज़ा में हो रहे संहार से अब तक 30 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और इसे तुरन्त रोका जाना होगा. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) वोल्कर टर्क ने गुरूवार को मानवाधिकार परिषद को सम्बोधित करते हुए यह पुकार लगाई है.

हमास द्वारा इसराइल पर 7 अक्टूबर को किए गए हमलों के बाद से इसराइली बलों की ग़ाज़ा में सैन्य कार्रवाई पिछले पाँच महीनों से जारी है, और भीषण लड़ाई, बमबारी के बीच विशाल पैमाने पर लोग विस्थापित हुए हैं. 

Tweet URL

उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने कहा कि ग़ाज़ा में युद्ध का तत्काल अन्त किया जाना होगा, साथ ही यह दोनों पक्षों द्वारा अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून और सम्भावित युद्ध अपराध मामलों की जाँच कराने, जवाबदेही तय करने और शान्ति स्थापना का समय है.

मानवाधिकार मामलों के लिए यूएन के शीर्ष अधिकारी ने गुरूवार को मानवाधिकार परिषद में क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में हताशा भरे हालात पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. 

उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा में जिस तरह से भयावह घटनाक्रम घटित हो रहा है, उसे बयाँ करने के लिए शब्द नहीं हैं. ग़ाज़ा पट्टी में अभूतपूर्व स्तर पर लोगों की जान गई है और 17 हज़ार बच्चे अनाथ या अपने परिवारों से अलग हो गए हैं.

उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने 7 अक्टूबर को इसराइल पर हमास के नेतृत्व में हुए स्तब्धकारी हमलों की निन्दा करते हुए कहा कि इन हमलों को किसी भी तरह से जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है. 

हमलों के दौरान लोगों को बंधक बनाए जाने की घटनाएँ क्षोभपूर्ण व पूरी तरह ग़लत हैं.

जान-माल की विशाल हानि

ग़ाज़ा में युद्ध के कारण हर चार में से तीन लोग विस्थापित हुए हैं और “व्यवस्थागत ढंग से रिहायशी इलाक़ों को ध्वस्त” किया जा रहा है, जिससे ग़ाज़ा में आबादी के लिए रह पाना अब बेहद कठिन है.

मानवाधिकार परिषद, संयुक्त राष्ट्र महासभा के अन्तर्गत मानवाधिकारों के विषय पर शीर्ष फ़ोरम है, जिसे सम्बोधित करते हुए वोल्कर टर्क ने बताया कि 7 अक्टूबर के बाद से अब तक इसराइल ने ग़ाज़ा में समुदायों पर हज़ारों टन आयुध सामग्री गिराई है. 

उन्होंने क्षोभ जताया कि भीषण हथियारों से घनी आबादी वाले इलाक़ों में बमबारी की गई, जिनमें विस्फोट के बाद विशाल दबाव से शरीर के चिथड़े उड़ जाते हैं और गम्भीर रूप से जलने का भी ख़तरा है.

“मिस्र के अरिश अस्पताल में, पिछले नवम्बर में, मैंने बच्चों को देखा जिनकी देह पूरी तरह जली हुई थी. मैं यह कभी नहीं भूलुंगा.”

ताबड़तोड़ हमलों की निन्दा

उच्चायुक्त टर्क ने बताया कि ग़ाज़ा पर ताबड़तोड़ इसराइली बमबारी की वजह से हज़ारों लोग लापता हैं और उनके अपने घरों के मलबे में दबे होने की आशंका है. 

वहीं, फ़लस्तीनी हथियारबन्द गुटों द्वारा दक्षिणी इसराइल और तेल अवीव तक ताबड़तोड़ रॉकेट हमले किए जा रहे हैं, जोकि निन्दनीय है.

47 सदस्यों वाली मानवाधिकार परिषद में लगभग सभी देशों ने, हमास व अन्य फ़लस्तीनी गुटों द्वारा इसराइली समुदायों पर हमले की निन्दा का समर्थन किया. साथ ही, ग़ाज़ा में बंधक बना करके रखे गए लोगों को तत्काल रिहा किए जाने की पुकार लगाई है. 

ग़ाज़ा में तुरन्त युद्धविराम लागू करने, दोनों पक्षों द्वारा युद्ध सम्बन्धी क़ानून के हनन मामलों की जाँच करने और एक सम्प्रभु फ़लस्तीनी देश की स्थापना की आवश्यकता को दोहराया गया है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने गुरूवार को क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में हालात पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की.
UN News/Anton Uspensky

इसराइली रुख़

जिनीवा स्थित यूएन कार्यालय में इसराइल की स्थाई प्रतिनिधि माइराव आइलॉन शहार ने हमास के ‘आतंकवादी’ हमलों की निन्दा की है और संयुक्त राष्ट्र और हथियारबन्द गुट के बीच संलिप्तता के अपुष्ट आरोपों को दोहराया.

मानवाधिकार परिषद में उनके साथ ग़ाज़ा में बन्धकों के रुप में रखे गए अविवा सिगल और राज़ बेन ऐमी भी थे. इसराइली प्रतिनिधि ने ज़ोर देकर कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून के तहत उनके देश के पास आत्मरक्षा का अधिकार है.

उन्होंने कहा कि हमास ने ग़ाज़ा को एक रणभूमि बना दिया है जहाँ इसराइल लड़ाई लड़ रहा है. उन्होंने इसे एक ऐसा रणक्षेत्र बताया, जहाँ आतंकवादी नागरिक आबादी के बीच में रहते और उसके पीछे छिपते हैं, संयुक्त राष्ट्र ने इन हालात को अपने इर्दगिर्द और नीचे बनते हुए देखा है और फिर उसे नज़रअन्दाज़ करने का निर्णय लिया.

“इसराइल को बार बार बताया गया है कि उन आतंकवादियों को नहीं छुआ जा सकता है, जिन्होंने सहायता का दूसरे कार्यों के लिए इस्तेमाल किया, आतंकी सुरंगें बनाईं, क्रूरता से निर्दोष आम नागरिकों की हत्या की, बलात्कार किया, सिर धड़ से अलग किया, परिवारों को ज़िन्दा जला दिया, चूँकि वे नागरिक आबादी में छिप कर रहते हैं.”

“इसके बावजूद, हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. हमें हमास के पीछे जाना होगा, नहीं तो वे हमारा पीछा करना जारी रखेंगे.”

क्या आम नागरिक 'मानव ढाल' हैं?

फ़लस्तीनी प्रतिनिधि इब्राहिम ख़रैशी ने अपने सम्बोधन में कहा कि युद्ध में अब तक लगभग 12 हज़ार बच्चों और आठ हज़ार महिलाओं की मौत हो चुकी है.

उन्होंने अपुष्ट समाचारों के हवाले से बताया कि गुरूवार को ग़ाज़ा सिटी में उस समय इसराइली कार्रवाई में, बड़ी संख्या में फ़लस्तीनी लोग मारे गए जब वे राहत ट्रकों के आने का इन्तज़ार कर रहे थे. 

उन्होंने सवाल पूछने के अन्दाज़ में कहा, “क्या वे लड़ाके हैं, क्या वे मानव ढाल हैं?” 

उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि रफ़ाह में क़त्लेआम होने से रोकना होगा, जहाँ युद्धविराम समझौते के अभाव में, इसराइली सेना की योजना, पूर्ण स्तर पर सैन्य हमला करने की है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने इसराइल के आशंकित ज़मीनी सैन्य हमले के ख़तरों के प्रति आगाह किया है. रफ़ाह में फ़िलहाल 15 लाख लोगों ने निरन्तर बमबारी के बीच शरण ली हुई है.