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ICJ आदेश में, ग़ाज़ा में जनसंहारक कृत्यों को रोकने का आहवान

द हेग स्थित अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में, दक्षिण अफ़्रीका द्वारा ग़ाज़ा में इसराइल द्वारा जनसंहार किए जाने के आरोपों पर मुक़दमे की सुनवाई.
ICJ-CIJ/ Frank van Beek
द हेग स्थित अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में, दक्षिण अफ़्रीका द्वारा ग़ाज़ा में इसराइल द्वारा जनसंहार किए जाने के आरोपों पर मुक़दमे की सुनवाई.

ICJ आदेश में, ग़ाज़ा में जनसंहारक कृत्यों को रोकने का आहवान

शान्ति और सुरक्षा

अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने शुक्रवार को घोषणा की है कि फ़लस्तीनी लोगों को जनसंहार के कृत्यों से सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है और न्यायालय ने इसराइल से इस तरह कृत्यों को रोकने के लिए, "उसकी शक्ति के अन्तर्गत तमाम उपाय करने का आहवान किया है". न्यायालय ने साथ ही युद्ध से तबाह ग़ाज़ा पट्टी में मानवीय सहायता की आपूर्ति की अनुमति भी देने का आहवान किया है, जिसकी अत्यधिक ज़रूरत है.

अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) की अध्यक्ष जोआन डोनोग्यू ने द हेग स्थित पीस पैलेस में, दक्षिण अफ़्रीका द्वारा इसराइल पर ग़ाज़ा में जनसंहारक गतिविधियाँ चलाने के आरोपों के साथ दर्ज कराए गए इस मुक़दमे में, शुक्रवार को निर्णय पढ़कर सुनाया. 

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इसराइल ने इन आरोपों का ज़ोरदार खंडन किया है.

न्यायालय के इस आदेश में उन तमाम बन्धकों को तत्काल रिहा किए जाने की भी पुकार लगाई गई है जिन्हें 7 अक्टूबर को हमास द्वारा, इसराइल के दक्षिणी हिस्से में किए गए हमले के दौरान बन्धक बनाया गया था.

हमास के उस हमले में लगभग 1200 लोग मारे गए थे.

अलबत्ता, न्यायालय के इस आदेश में, ग़ाज़ा में इसराइल के पूर्ण स्तर के युद्ध को रोकने के लिए कोई स्पष्ट आहवान नज़र नहीं आया. ध्यान रहे कि इस युद्ध में, ग़ाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, अभी तक 26 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

आदेश में यह रेखांकित किया गया कि न्यायालय ग़ाज़ा में युद्ध छिड़ने के बाद से, "क्षेत्र में हो रही मानवीय त्रासदी के दायरे से पूरी तरह अवगत है".

न्यायाधीश डोनोग्यू ने कहा कि यह अदालत "जीवन की निरन्तर हानि और मानवीय पीड़ा के बारे में गहराई से चिन्तित है".

दक्षिण अफ़्रीका का मुक़दमा

दक्षिण अफ़्रीका ने द हेग स्थित इस न्यायालय में, जनवरी की शुरुआत में ये मुक़दमा दर्ज कराया था जिसमें न्यायालय से ऐसे अनन्तिम उपायों को इंगित करने के लिए कहा था ताकि "जनसंहार निरोधक कन्वेंशन के अन्तर्गत, फ़लस्तीनी लोगों के अधिकारों को और अधिक गम्भीर और अपूरणीय क्षति से बचाया जा सके."

दक्षिण अफ़्रीका ने जिन उपायों की मांग की, उनमें ग़ाज़ा पट्टी में इसराइल द्वारा सैन्य अभियानों को तत्काल रोकना और उसकी सेनाओं द्वारा जनसंहार को रोकने के लिए "सभी उचित उपाय" करना शामिल है.

दक्षिण अफ़्रीका ने विश्व न्यायालय से यह भी कहा कि वह इसराइल को जबरन विस्थापन रोकने, नागरिकों तक पर्याप्त भोजन और पानी पहुँचाने की अनुमति देने और यह सुनिश्चित करने का आदेश दे कि किसी भी सम्भावित जनसंहार के सबूत संरक्षित रहें.

अनन्तिम उपाय एक प्रकार का अस्थाई निषेधाज्ञा या विवाद पर अन्तिम निर्णय आने से पहले रोक लगाने का उपाय है. इस तरह के मुक़दमों में, निर्णय आने में वर्षों लगने की सम्भावना होती है.

न्यायालय द्वारा जारी किए गए अनन्तिम उपायों को "कार्यान्वयन के लिए अनिवार्य" माना जाता है, लेकिन न्यायालय के पास उन्हें लागू कराने का कोई साधन नहीं है.

इसराइल ने अपना पक्ष रखते हुए तर्क दिया कि हमास पर युद्ध पूरी तरह से आत्म रक्षा के लिए है और "फ़लस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ नहीं है".

इसराइल के वकीलों ने कहा कि यदि अनन्तिम उपाय करने के लिए कहा गया तो यह “इसराइल को अपने नागरिकों, बन्धकों और एक लख 10 हज़ार से अधिक विस्थापित इसराइलियों की रक्षा के लिए, अपने दायित्वों को पूरा करने की क्षमता से वंचित करने का प्रयास” होगा.

न्यायालय द्वारा जारी किए गए अनन्तिम उपायों को "कार्यान्वयन के लिए अनिवार्य" माना जाता है, लेकिन न्यायालय के पास उन्हें लागू कराने का कोई साधन नहीं है.

इसराइल ने अपना पक्ष रखते हुए तर्क दिया कि हमास पर युद्ध पूरी तरह से आत्म रक्षा के लिए है और "फ़लस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ नहीं है".

इसराइल के वकीलों ने कहा कि यदि अनन्तिम उपाय करने के लिए कहा गया तो यह “इसराइल को अपने नागरिकों, बन्धकों और एक लख 10 हज़ार से अधिक विस्थापित इसराइलियों की रक्षा के लिए, अपने दायित्वों को पूरा करने की क्षमता से वंचित करने का प्रयास” होगा.

अदालत के आदेश

ICJ न्यायाधीश ने इसराइल द्वारा लागू किए जाने वाले अनन्तिम उपायों का विवरण देते हुए कहा कि दक्षिण अफ़्रीका और इसराइल दोनों जनसंहार कन्वेंशन के पक्ष देश हैं और इस ज़िम्मेदारी के तहत उन्होंने "जनसंहार के अपराध को रोकने और दंडित करने के लिए" सहमति व्यक्त की हुई है.

न्यायाधीश डोनोग्यू ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हस्ताक्षरित इस प्रमुख अन्तरराष्ट्रीय सन्धि के अनुच्छेद 2 का हवाला देते हुए बताया कि जनसंहार को "एक राष्ट्रीय, जातीय, नस्लीय या धार्मिक समूह को पूर्ण या आंशिक रूप से नष्ट करने के इरादे से किए गए कृत्य" के रूप में परिभाषित किया गया है.”

उन्होंने कहा, 20 लाख की मज़बूत फ़लस्तीनी आबादी, न्यायालय के विचार में, वास्तव में एक अलग समूह का गठन करती है.

न्यायाधीश ने जनसंहार कन्वेंशन के अनुच्छेद 3 का भी रुख़ किया जिसमें "जनसंहार करने की साज़िश" और जनसंहार करने के लिए सार्वजनिक उकसावे पर रोक लगाई गई है. उन्होंने कहा कि आईसीजे ने इसराइल के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दिए गए अनेक बयानों पर ध्यान दिया है.

इनमें इसराइल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट की टिप्पणियाँ शामिल थीं, जिन्होंने कथित तौर पर ग़ाज़ा की सीमा पर सैनिकों से कहा था कि वे "मानव जानवरों" से लड़ रहे हैं जो "ग़ाज़ा के आइसिस (चरमपंथी संगठन – ISIS) हैं.

अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) का यह पूर्ण आदेश यहाँ पढ़ा जा सकता है.

अगले क़दम

संयुक्त राष्ट्र के एक प्रमुख अंग इस विश्व न्यायालय ने, ये अस्थाई उपाय लागू किए जाने का आदेश देने के अलावा, इसराइल को, इस आदेश पर अमल करने के लिए किए गए उपायों के बारे में, एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट, इस न्यायालय में दाख़िल करने को भी कहा है.

संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों का प्रभाव

न्यायाधीश डोनॉग्यू ने, ग़ाज़ा पट्टी में बिगड़ती मानवीय स्थिति के बारे में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की दीर्घकालिक चिन्ताओं को रेखांकित किया, जो इस मुक़दमे में विचार-विमर्श का हिस्सा रही हैं.

इनमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की, 6 दिसम्बर 2023 को सुरक्षा परिषद को दी गई लिखित चेतावनी शामिल है जिसमें उन्होंने कहा था कि "इसराइली सैन्य बलों द्वारा लगातार बमबारी के बीच, ग़ाज़ा में कहीं भी कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है" और स्थिति "तेज़ी से बिगड़ती हुई एक तबाही में तब्दील हो रही है." इस स्थिति के, समग्र रूप से फ़लस्तीनियों के लिए और क्षे6 में शान्ति व सुरक्षा के लिए, सम्भवतः अपरिवर्तनीय परिणाम होंगे.

संयुक्त राष्ट्र के आपातकालीन राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स की, ग़ाज़ा में गम्भीर स्थिति पर सारांश, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र फ़लस्तीन राहत एजेंसी के प्रमुख फ़िलिपे लज़ारिनी की, स्थिति रिपोर्ट को भी अदालत के फ़ैसले में सीधे तौर पर उद्धृत किया गया है.