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ग़ाज़ा: ICJ में, दक्षिण अफ़्रीका ने इसराइल पर लगाए 'जनसंहार को अंजाम देने' के आरोप

द हेग स्थित अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में, दक्षिण अफ़्रीका द्वारा ग़ाज़ा में इसराइल द्वारा जनसंहार किए जाने के आरोपों पर मुक़दमे की सुनवाई.
ICJ-CIJ/ Frank van Beek
द हेग स्थित अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में, दक्षिण अफ़्रीका द्वारा ग़ाज़ा में इसराइल द्वारा जनसंहार किए जाने के आरोपों पर मुक़दमे की सुनवाई.

ग़ाज़ा: ICJ में, दक्षिण अफ़्रीका ने इसराइल पर लगाए 'जनसंहार को अंजाम देने' के आरोप

शान्ति और सुरक्षा

दक्षिण अफ़्रीका ने, फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में बड़े पैमाने पर आम लोगों की हत्याओं को रोकने के लिए, गुरूवार को संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च अदालत – ICJ को सम्बोधित किया है. दक्षिण अफ़्रीका के इस मुक़दमे में, इसराइल पर फ़लस्तीनियों के ख़िलाफ़ जनसंहार करने का आरोप लगाया गया है. इसराइल ने इस आरोप को "आधारहीन" बताकर, इसका ज़ोरदार खंडन किया है.

यह घटनाक्रम, 7 अक्टूबर को हमास के नेतृत्व वाले चरमपंथी हमलों और उसके बाद ग़ाज़ा पट्टी में बड़े पैमाने पर इसराइली हमलों और ताबड़तोड़ बमबारी के बीच हुआ है. इसराइल के दक्षिणी हिस्से में हुए हमास के हमलों में लगभग 1,200 लोग मारे गए थे लगभग 250 लोगों को बन्धक बना लिया गया था. उनमें इसराइली नागरिक और विदेशी शामिल थे. 

ग़ाज़ा में इसराइली हमलों में 23 हज़ार से अधिक लोगों के मारे जाने की ख़बरे हैं.

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दक्षिण अफ़्रीका की क़ानूनी टीम ने हेग में अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इसराइल ने, ग़ाज़ा पट्टी में अपने पूर्ण स्तर का युद्ध शुरू करने के बाद से "जनसंहार आचरण" दिखाया है. ध्यान रहे कि इसराइल ने 365 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र वाले ग़ाज़ा पट्टी इलाक़े पर 1967 से क़ब्ज़ा कर रखा है.

अदालत में कहा गया, “ये हत्याएँ फ़लस्तीनी जीवन के विनाश से कम नहीं है. यह जानबूझकर किया गया है, किसी को भी नहीं बख्शा गया, यहाँ तक कि नवजात शिशुओं को भी नहीं.''

अभूतपूर्व हिंसा

दक्षिण अफ़्रीका की क़ानूनी टीम की एक सदस्य आदिला हासिम ने ज़ोर देकर कहा कि इसराइल की कार्रवाइयों ने, ग़ाज़ा के 23 लाख लोगों को हवाई, ज़मीन और समुद्र से अभूतपूर्व स्तर के हमलों का निशाना बनाया है. इसराइली हमलों के परिणामस्वरूप हज़ारों नागरिकों की मौत हो गई और बहुत से घर व आवश्यक सार्वजनिक बुनियादी ढाचें नष्ट हो गए हैं.

दक्षिण अफ़्रीका की वकील ने कहा कि इसराइल ने ज़रूरतमन्द लोगों तक पर्याप्त मानवीय सहायता पहुँचने से रोकी है. साथ ही, और "बामबारी जारी रहने के दौरान" सहायता आपूर्ति की असम्भवता के कारण, भुखमरी और बीमारी से मौतें होने का ख़तरा भी पैदा कर दिया है.

आदिला हासिम ने अदालत को बताया, "ग़ाज़ा में फ़लस्तीनी लोग जहाँ भी जाते हैं, उन पर लगातार बमबारी हो रही है.”

उन्होंने कहा कि इतने सारे लोग मारे गए हैं कि उन्हें अक्सर अज्ञात रूप से, सामूहिक क़ब्रों में दफ़नाया गया है. अतिरिक्त 60 हज़ार फ़लस्तीनी लोग घायल और अपंग भी हुए हैं.

वकील ने कहा, “लोगों को उनके घरों में, उन स्थानों पर जहाँ वे आश्रय चाहते हैं, अस्पतालों में, स्कूलों में, मस्जिदों में, चर्चों में और जब वे अपने परिवारों के लिए भोजन और पानी खोजने की कोशिश कर रहे होते हैं, उन्हें मार दिया जाता है. यहाँ तक कि लोग युद्ध से पलायन करके जिन स्थानों पर पहुँचे हैं, और यहाँ तक ​​कि जब उन्होंने इसराइल द्वारा घोषित सुरक्षित मार्गों से निकल जाने का प्रयास किया है, तो भी उन्हें मार दिया गया है.

इसराइल के ख़िलाफ़ अपने दावे के तहत, दक्षिण अफ़्रीका का आरोप है कि हमास के नेतृत्व वाले हमलों पर इसराइली प्रतिक्रिया के पहले सप्ताह में, ग़ाज़ा पर 6 हज़ार बम हमले हुए.

वकील आदिला हासिम ने कहा कि इसमें "ग़ाज़ा पट्टी के सुरक्षित समझे जाने वाले दक्षिणी क्षेत्रों में" और उत्तर में, जहाँ शरणार्थी शिविर स्थित थे, उन इलाक़ों में, कम से कम 200 बार 2,000 पाउंड के बमों का उपयोग किया जाना शामिल था.

उन्होंने कहा कि ये हथियार "सबसे बड़े और सबसे विनाशकारी बमों में से कुछ" थे.

आदिला हासिम ने कहा कि जनसंहार की "कभी भी पहले से घोषणा नहीं की जाती है, लेकिन इस अदालत को पिछले 13 सप्ताह के सबूतों का लाभ मिला है जो निर्विवाद रूप से आचरण और सम्बन्धित आचरण को दर्शाता है. "इरादा जो जनसंहार कृत्यों के दावे को उचित ठहराता है.

कन्वेंशन की बाध्यताएँ

दक्षिण अफ़्रीका के वकीलों ने आईसीजे के न्यायाधीशों को सम्बोधित करते हुए कहा कि इसराइल ने इन कार्रवाइयों और गतिविधियों के ज़रिए, जनसंहार कन्वेंशन का उल्लंघन किया है.

ध्यान दिला दें कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों को रोकने के लिए, संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने वैश्विक सन्धि – जनसंहार कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए थे. 

दक्षिण अफ़्रीका की क़ानूनी टीम के एक अन्य सदस्य जॉन डुगार्ड ने ज़ोर देकर कहा कि जनसंहार कन्वेंशन "मानवता को बचाने के लिए समर्पित है".

उन्होंने कहा कि जिन देशों ने इस कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए हैं, वो "न केवल जनसंहार कृत्यों से दूर रहने के लिए बाध्य हैं, बल्कि उन्हें रोकने के लिए भी बाध्य हैं".

इस मुक़दमे की आरम्भिक सुनवाई के दूसरे और अन्तिम दिन शुक्रवार को इसराइल का पक्ष सुना जाएगा.