वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

ग़ाज़ा में 'तत्काल मानवीय युद्धविराम' की मांग करने वाला प्रस्ताव, अमेरिकी 'वीटो' से विफल

फ़लस्तीन के सवाल के सम्बन्ध में, मध्य पूर्व संकट पर सुरक्षा परिषद की बैठक.
UN Photo/Loey Felipe
फ़लस्तीन के सवाल के सम्बन्ध में, मध्य पूर्व संकट पर सुरक्षा परिषद की बैठक.

ग़ाज़ा में 'तत्काल मानवीय युद्धविराम' की मांग करने वाला प्रस्ताव, अमेरिकी 'वीटो' से विफल

शान्ति और सुरक्षा

मध्य पूर्व में इसराइल - फ़लस्तीन संकट पर विचार करने के लिए, सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक शुक्रवार को हुई है, जिसमें विशेष रूप से, यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के उस पत्र पर विचार हुआ है, जिसमें उन्होंने बुधवार को यूएन चार्टर के अनुच्छेद 99 का सहारा लेते हुए, सुरक्षा परिषद से, ग़ाज़ा में एक मानवीय त्रासदी को से रोकने के लिए कार्रवाई करने का आहवान किया है. यूएन चार्टर का अनुच्छेद-99, वैश्विक शान्ति व सुरक्षा की ख़ातिर, यूएन महासचिव के पास उपलब्ध सर्वाधिक शक्तिशाली उपाय समझा जाता है. संयुक्त अरब अमीरात ने, ग़ाज़ा में तत्काल एक मानवीय युद्धविराम लागू किए जाने की मांग करने वाला प्रस्ताव पेश किया था जिसे अमेरिका ने वीटो कर दिया और वो प्रस्ताव पारित नहीं हो सका.

शुक्रवार की बैठक के मुख्य बिन्दु:

  • संयुक्त अरब अमीरात (UAE) द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रस्ताव को 90 सदस्य देशों ने समर्थन दिया था, मगर उसे संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) ने वीटो कर दिया, जिससे वो प्रस्ताव पारित नहीं हो सका. 13 सदस्यों ने इस प्रस्ताव के समर्थन में मत दिया और ब्रिटेन ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
  • यूएन प्रमुख ने मध्य पूर्व संकट पर सुरक्षा परिषद की ये नवीनतम बैठक इस कड़ी चेतावनी के साथ शुरू की कि, ग़ाज़ा में मानवीय सहायता प्रभावशाली रूप में मुहैया कराने के लिए कहीं भी अनुकूल हालात मौजूद नहीं हैं.
  • एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि "दुनिया की नज़रें -  और इतिहास की नज़रें - देख रही हैं". उन्होंने मांग की कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय, ग़ाज़ा के लोगों की विशाल पीड़ाओंं का अन्त करने के लिए, "यथासम्भव कार्रवाई" करे.
  • यूएन महासचिव ने कहा कि "संयुक्त राष्ट्र ग़ाज़ा में मुस्तैद रहने और वहाँ के लोगों की मदद करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है."
  • इस नाकाम हुए प्रस्ताव में, यूएन महासचिव द्वारा यूएन चार्टर के अनुच्छेद-99 का सहारा लिए जाने को रेखांकित किया गया और ग़ाज़ा में अति गम्भीर मानवीय त्रासदी वाले हालात पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त की गई. साथ ही ज़ोर दिया गया है कि फ़लस्तीनी और इसराइली दोनों तरफ़ के आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.
  • प्रस्ताव में तत्काल एक मानवीय युद्धविराम लागू किए जाने के साथ-साथ, तमाम बन्धकों की तत्काल व बिना शर्त रिहाई और मानवीय सहायता आपूर्ति के लिए सुलभता की मांग की गई थी.
  • प्रस्ताव में, 7 अक्टूबर को हमास द्वारा इसराइल में किए गए आतंकी हमलों की निन्दा नहीं की गई.

ग़ाज़ा के लोगों के सामने अन्धेरी खाई

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद की बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि ग़ाज़ा के लोगों के सामने एक गहरी व अन्धेरी खाई है और उन्होंने ज़ोर देते हुए आहवान किया कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को, इस पीड़ा का अन्त करने के लिए, “हर सम्भव कार्रवाई” करनी होगी.

उन्होंने कहा, "मैं सुरक्षा परिषद से, आम लोगों की सुरक्षा के लिए और जीवनरक्षक सहायता की तत्काल आपूर्ति के लिए, तत्काल मानवीय युद्धविराम पर ज़ोर देने में कोई क़सर बाक़ी नहीं छोड़ने का आग्रह करता हूँ." 

एंतोनियो गुटेरेश ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत, दो-देशों की स्थापना के समाधान के महत्व को भी याद किया जिसमें इसराइल फ़लस्तीन नामक दो देश, पड़ोसी बनकर शान्ति व सुरक्षा के साथ रहें.

“यह समाधान इसराइलियों, फ़लस्तीनियों के साथ-साथ अन्तरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. दुनिया व इतिहास की नज़रें इस पर टिकी हैं.”

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश, मध्य पूर्व संकट पर सुरक्षा परिषद की बैठक को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Loey Felipe

हमास के हमलों की 'स्पष्ट निन्दा'

महासचिव ने 7 अक्टूबर को इसराइल में हमास के क्रूर हमलों की अपनी "निश्चित रूप से निन्दा" को भी दोहराया, और ज़ोर देकर कहा कि वह उन हमलों के दौरान, यौन हिंसा की ख़बरों से "स्तब्ध" हैं.

उन्होंने कहा, "33 बच्चों सहित लगभग 1,200 लोगों को जानबूझकर मारने, हजारों लोगों को घायल करने और सैकड़ों लोगों को बन्धक बनाने का कोई सम्भावित औचित्य नहीं है." 

उन्होंने कहा, "साथ ही, हमास द्वारा की गई क्रूरता, फ़लस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ सामूहिक सज़ा को कभी भी उचित नहीं ठहरा सकती है."

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, "अलबत्ता, हमास द्वारा इसराइल में अन्धाधुन्ध रॉकेट हमले और मानव ढाल के रूप में आम लोगों का प्रयोग किया जाना, युद्ध के क़ानूनों का उल्लंघन है, लेकिन हमास के ये कृत्य, इसराइल को भी इन क़ानूनों के उसके उल्लंघन मुक्त नहीं करता है."

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून में, आम लोगों की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने का दायित्व शामिल है कि आम लोगों की आवश्यक ज़रूरतें पूरी होनी चाहिए, जिसमें मानवीय राहत की निर्बाध आपूर्ति की सुविधा भी शामिल है.

'मानव पिनबॉल' का आतंक

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि ग़ाज़ा में विनाशकारी स्थिति दिन पर दिन बदतर होती जा रही है. इसराइल के सैन्य हमलों की शुरुआत के बाद से, 17,000 से अधिक फ़लस्तीनियों के मारे जाने की ख़बरें हैं, जिनमें 4,000 से अधिक महिलाएँ और 7,000 बच्चे हैं. हज़ारों लोगों के घायल होने की ख़बर है और बहुत से लोग लापता हैं, उनके मलबे के नीचे दबे होने की आशंका है.

ग़ाज़ा की लगभग 85 प्रतिशत आबादी विस्थापित हो चुकी है; अस्पताल, स्कूल और संयुक्त राष्ट्र की सुविधाएँ क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गई हैं.

एंतोनियो गुटेरेश ने बताया कि भुखमरी और अकाल का भी गम्भीर ख़तरा है. “उत्तरी ग़ाज़ा में आधी आबादी और दक्षिणी इलाक़े में एक तिहाई से अधिक विस्थापित लोग "भूख से मर रहे हैं".

उन्होंने कहा कि इसराइल के हवा, ज़मीन और समुद्र से हमले तीव्र, निरन्तर और व्यापक स्तर पर जारी हैं. ग़ाज़ा में लोगों को "मानव पिनबॉल की तरह भटकने के लिए कहा जा रहा है – दक्षिणी इलाक़े में छोटे-छोटे टुकड़ों के बीच, जीवित रहने के बुनियादी साधनों के बिना ही.

लक्ष्य सुरक्षा नहीं है – फ़लस्तीन

संयुक्त राष्ट्र में फ़लस्तीन के स्थाई पर्यवेक्षक रियाद मंसूर, सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Loey Felipe

संयुक्त राष्ट्र में, पर्यवेक्षक देश - फ़लस्तीन के स्थाई पर्यवेक्षक रियाद मंसूर ने, इसराइल के हमलों की भीषणता का विवरण पेश किया और कहा कि बमबारी ने मानवीय सहायता की आपूर्ति के लिए, हर सम्भव बाधा खड़ी कर दी है.

उन्होंने कहा, "और हम सभी यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं इस आक्रामकता का उद्देश्य, ग़ाज़ा पट्टी में फ़लस्तीनी लोगों को तबाह करना नहीं है, जबकि इस आक्रामकता ने हमारे लोगों की घेराबन्दी कर दी है, उन पर बमबारी की है, और उन्हें जीवन की सभी आवश्यकताओं से वंचित कर दिया है?"

उन्होंने कहा, "मैं मीडिया में पढ़ता रहता हूँ कि इसराइल का कोई स्पष्ट युद्ध उद्देश्य नहीं है, क्या हमें यह दिखावा करना है कि हम नहीं जानते कि इसका उद्देश्य ग़ाज़ा पट्टी का जातीय सफ़ाया करना है?" 

उन्होंने कहा कि अगर कोई कहते हैं कि वे फ़लस्तीनी लोगों के विनाश और विस्थापन के ख़िलाफ़ हैं, तो उन्हें तत्काल युद्धविराम के पक्ष में होना होगा.

रियाद मंसूर ने कहा, “जब आप युद्धविराम का आहवान करने से इनकार करते हैं, तो आप उस एकमात्र चीज़ के लिए आहवान करने से इनकार कर रहे हैं जो युद्ध अपराधों, मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों और जनसंहार को समाप्त कर सकती है. इस तरह से इसराइल अत्याचारों के माध्यम से युद्ध चला रहा है.”

रियाद मंसूर ने कहा कि इसराइल द्वारा युद्ध का उद्देश्य सुरक्षा नहीं है, बल्कि "फ़लस्तीनी साहस और शान्ति की किसी भी सम्भावना को हमेशा के लिए रोकना" है.

उन्होंने कहा, "ये इरादे ग़ाज़ा पट्टी के साथ-साथ पूर्वी येरूशेलम समेत पश्चिमी तट में भी स्पष्ट हैं."

उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय क़ानून की सार्वभौमिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि "इसराइली असाधारणता को समाप्त करना होगा, और इसे अभी समाप्त करना होगा".

उन्होंने कहा, "इसराइल के अपराधों को समायोजित करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय क़ानून को फिर से लिखना बन्द करें और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के सम्मान किए जाने की मांग करना बन्द करें, जबकि साथ ही ऐसे आक्रमण का समर्थन भी किया जा रहा है जिसने क्षेत्र को तार-तार कर दिया है."

रियाद मंसूर ने कहा, “फ़लस्तीनी लोगों की मौत व्यर्थ नहीं जाएगी, फ़लस्तीनी लोग सम्मान के पात्र हैं… हमने इसे अर्जित किया है... हमें सम्मान दिखाएँ, शब्दों में नहीं बल्कि कर्मों में, हमें हमारे जीवन और हमारे अधिकारों के लिए, सम्मान दिखाएँ.''

युदधविराम से हमास का आतंक जारी रहेगा- इसराइल

संयुक्त राष्ट्र में इसराइल के स्थाई प्रतिनिधि गिलाद ऐरदान, सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Evan Schneider

संयुक्त राष्ट्र में इसराइल के राजदूत गिलाद ऐरदान ने कहा कि दुनिया, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के प्रभावों की चपेट में है. मगर मौजूदा यूएन महासचिव ने यूएन चार्टर के अनुच्छेद 99 का एक बार भी प्रयोग नहीं किया. 

उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व में क्षेत्रीय स्थिरता "हमास का ख़ात्मा करने के बाद ही हासिल की जा सकती है". युद्धविराम का आहवान करने से वह लक्ष्य हासिल नहीं होगा.

उन्होंने कहा कि 6 अक्टूबर को युद्धविराम लागू था, लेकिन अगले दिन "हज़ारों हमास नाज़ियों" ने ऐसा जनसंहार किया, जैसा हॉलोकास्ट जनसंहार के बाद से नहीं देखा गया है.

इसराइली दूत ने कहा कि यदि हमास को नष्ट नहीं किया गया, तो यह समूह "बार-बार" अत्याचार करता रहेगा. 

उन्होंने कहा, ग़ाज़ावासियों को ग़रीबी में जीने के लिए मजबूर किया गया है और युद्धविराम का आहवान यह सुनिश्चित करेगा कि पीड़ा और लड़ाई जारी रहेगी.

उन्होंने कहा कि इससे एक स्पष्ट सन्देश गया है: "हमास को, जानबूझकर किए गए उनके अत्याचारों के लिए माफ़ कर दिया गया है, और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने, ग़ाज़ावासियों पर हमास के उत्पीड़न को हरी झंडी दे दी है."

इसराइली राजदूत ने कहा कि हमास का मुख्य हथियार आतंक है और वह इसराइल पर नरमी बरतने के लिए अधिक से अधिक दबाव डालने के लिए "अधिकतम नागरिक हताहत" करने की कोशिश कर रहा है.

उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा में स्थिति का मूल कारण हमास है, और फिर भी "उसकी बुराई के लिए कोई जवाबदेही नहीं है", उन्होंने सवाल उठाया कि हमास को उसके कार्यों के लिए ज़िम्मेदार क्यों नहीं ठहराया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि इसराइल द्वारा युद्ध-ठहराव के दौरान ईंधन टैंकरों और चिकित्सा आपूर्ति को ग़ाज़ा में अनुमति दी गई थी, लेकिन हमास ने समझौते की शर्तों का उल्लंघन किया था.

गिलाद ऐरदान ने कहा कि हमास ने 138 लोगों को अब भी बन्धक बनाकर रखा है, “हमास ने रैडक्रॉस को उन बन्धकों से मिलने और उनके परिवारों को जीवन का सबसे बुनियादी संकेत मुहैया कराने की भी अनुमति नहीं दी है. यह एक घृणित युद्ध अपराध है".

उन्होंने कहा कि इसराइल "हर मानवीय पहल" का समर्थन करते हुए अपने मिशन को जारी रखेगा, लेकिन हमास का विनाश ही एकमात्र विकल्प है.