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यूएन प्रमुख की, इसराइल से, ग़ाज़ा में आम लोगों को और अधिक पीड़ा नहीं देने की पुकार

ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े - ख़ान यूनिस के अल नासिर अस्पताल के निकट बनाए गए एक शरणार्थी शिविर में, विस्थापित जन.
© UNFPA/Bisan Ouda
ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े - ख़ान यूनिस के अल नासिर अस्पताल के निकट बनाए गए एक शरणार्थी शिविर में, विस्थापित जन.

यूएन प्रमुख की, इसराइल से, ग़ाज़ा में आम लोगों को और अधिक पीड़ा नहीं देने की पुकार

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में एक मानवीय युद्धविराम लागू किए जाने और तमाम बन्धकों की बिना शर्त व तत्काल रिहाई की मांग, सोमवार को फिर दोहराई है.

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय में, पत्रकारों से कहा कि एंतोनियो गुटेरेश, पिछले शुक्रवार को इसराइल और हमास के बीच युद्ध फिर शुरू होने पर बेहद चिन्तित हैं, जिसमें ग़ाज़ा से इसराइल की ओर रॉकेट हमले और इसराइल के नए सिरे से ज़मीनी युद्ध शामिल हैं. इसराइल ने ग़ाज़ा के दक्षिण हिस्से में सघन हवाई हमले भी किए हैं.

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संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने एक बयान में कहा, "संयुक्त राष्ट्र इसराइल बलों से आगे की कार्रवाई से बचने की अपील करता है जो ग़ाज़ा में पहले से ही विनाशकारी मानवीय स्थिति को और भी बदतर कर देगा. साथ ही आम लोगों को और अधिक पीड़ा से बचाने की अपील करता है."

आम लोगों की रक्षा करें, सहायता जारी रहने दें

यूएन महासचिव ने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और संयुक्त राष्ट्र कर्मियों सहित आम लोगों और नागरिक बुनियादी ढाँचे की हर समय रक्षा सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया.

उन्होंने ग़ाज़ा में निर्बाध और निरन्तर मानवीय सहायता प्रवाह की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया और कहा कि जिन लोगों को अपने स्थानों से अन्यत्र चले जाने का आदेश दिया गया है उनके पास जाने के लिए कोई अन्य सुरक्षित जगह नहीं है और जीवित रहने के लिए बहुत कम जगह है.

प्रवक्ता के वक्तव्य में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख, इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र पश्चिमी तट में हिंसा की वृद्धि के बारे में भी गम्भीर रूप से चिन्तित हैं, जिसमें तेज़ हुए इसराइली सैन्य अभियान, बड़ी संख्या में मौतें और गिरफ्तारियाँ, बढ़ती हिंसा और फ़लस्तीनियों द्वारा इसराइलियों पर हमले शामिल हैं.

मानवीय प्रयास बाधित हुए

मानवीय सहायता एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि ग़ाज़ा की मौजूदा स्थिति उन्हें वहाँ की भारी ज़रूरतों को पूरा नहीं करने दे रही है.

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फ़लस्तीनी शरणार्थियों की सहायता करने वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसी - UNRWA की नवीनतम जानकारी के अनुसार, ग़ाज़ा पट्टी में, 20 लाख से अधिक लोग रहते हैं और 80 प्रतिशत से अधिक यानि लगभग 19 लाख आबादी अब विस्थापित हो चुकी है. इस एजेंसी ने अपने आश्रय स्थलों में 12 लाख लोगों को आश्रय दिया हुआ है.

संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के कार्यालय OCHA ने कहा है कि रविवार को दक्षिणी ग़ाज़ा के रफ़ाह गवर्नरेट में सीमित सहायता वितरण हुआ और युद्धक गतिविधियों की तीव्रता के कारण, निकटवर्ती ख़ान यूनिस गवर्नरेट में, सहायता मिशन काफ़ी हद तक रोक दिया गया.

इसके अतिरिक्त, इसराइली बलों द्वारा मानवीय आपूर्ति सहित आवाजाही को रोकने के बाद, मध्य ग़ाज़ा इलाक़े को दक्षिण हिस्से से, बड़े पैमाने पर काट दिया गया है.

बीमारी और अकाल का ख़तरा

संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत मामलों की समन्वय एजेंसी – UNOCHA ने बताया, "इस बीच, असुरक्षित स्रोतों से पानी की खपत के कारण, जलजनित बीमारिया फैलने के बारे में गम्भीर चिन्ताएँ बनी हुई हैं, ख़ासकर ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में, जहाँ जल अलवणीकरण संयंत्र और इज़राइल से आने वाली पाइपलाइन बन्द कर दी गई हैं."

इसके अलावा, उत्तरी ग़ाज़ा में पीने के लिए और घरेलू उद्देश्यों के लिए पानी तक, निवासियों की पहुँच में, कई सप्ताहों से, लगभग कोई सुधार नहीं हुआ है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने, ग़ाज़ा में पूरी आबादी के बीच अकाल के चल रहे ख़तरे के बारे में चेतावनी जारी रखी है, विशेष रूप से पुरानी बीमारियों वाले लोगों, वृद्ध व्यक्तियों, बच्चों और विकलांग लोगों के लिए.

आईसीसी अभियोजक का दौरा

इस बीच, अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के अभियोजककरीम खान ने इसराइल और फ़लस्तीन की अपनी पहली यात्रा संपन्न की है, जहाँ उन्होंने युद्ध के दोनों पक्षों के पीड़ितों से मुलाक़ात की.

यह, अन्तरराष्ट्रीय न्यायलय की तरफ़ से किसी अभियोजक द्वारा की गई पहली ऐसी यात्रा थी. इस न्यायालय को वर्ष 2002 में रोम संविधि नामक एक सन्धि के तहत जनसंहार, युद्ध अपराध, मानवता के ख़िलाफ़ अपराध और आक्रामकता के अपराध के अभियुक्त व्यक्तियों की जाँच करने और उन पर मुक़दमा चलाने के लिए स्थापित किया गया था.

करीम ख़ान ने रविवार को एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि इस यात्रा मिशन के दौरान उनका एक सरल सन्देश था - "मेरा कार्यालय यह सुनिश्चित करने के लिए यहाँ है कि क़ानून की सुरक्षा सभी को महसूस हो."