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समुद्री यात्राओं में रोहिंज्या लोगों की मदद के लिए आपात सहायता की पुकार

वर्ष 2017 में, म्याँमार में व्यापक और भीषण हिंसा से बचने के लिए भागे, लगभग 10 लाख रोहिंज्या शरणार्थियों ने, बांग्लादेश में पनाह ली हुई है.
© UNOCHA/Vincent Tremeau
वर्ष 2017 में, म्याँमार में व्यापक और भीषण हिंसा से बचने के लिए भागे, लगभग 10 लाख रोहिंज्या शरणार्थियों ने, बांग्लादेश में पनाह ली हुई है.

समुद्री यात्राओं में रोहिंज्या लोगों की मदद के लिए आपात सहायता की पुकार

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ टॉम एंड्रयूज़ ने उन रोहिंज्या शरणार्थियों की जीवन-रक्षा के लिए, कार्रवाई किए जाने की पुकार लगाई है जो बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों परिस्थितियाँ लगातार ख़राब होने के कारण, इंडोनेशिया जाने के लिए जोखिम भरी समुद्री यात्राएँ करते हैं.

म्याँमार में मानवाधिकार स्थिति के लिए, संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर टॉम एंड्रयूज़ ने गुरूवार को एक वक्तव्य में कहा है, "इस समस्या जड़ में बैठे कारण का समाधान निकाले बिना, ये संकट और भी बदतर ही होगा और वो है - म्याँमार में ग़ैर-क़ानूनी सैन्य शासन (जुंटा)."

बांग्लादेश में 10 लाख से अधिक ऐसे रोहिंज्या लोग शरण लिए हुए हैं, जो म्याँमार में वर्ष 2017 में व्यापक और लक्षित हिंसा से बचने के लिए, वहाँ से भागे थे.

पिछले एक सप्ताह के दौरान, एक हज़ार से अधिक रोहिंज्या शरणार्थी, नाव यात्रा करके, इंडोनेशिया के आचेह प्रान्त में पहुँचे हैं.

विशेष रैपोर्टेयर टॉम एंड्रयूज़ ने, इन शरणार्थियों के पहुँचने पर उन्हें सुरक्षा, आश्रय और समर्थन मुहैया कराने के लिए, इंडोनेशिया सरकार की सराहना की है.

उन्होंने क्षेत्र के अन्य देशों से भी इसी तरह की दरियादिली दिखाने का आग्रह किया है.

टॉम एंड्रयूज़ ने कहा, "ये एक आपात स्थिति है, और आपात सहायता की ही दरकार है, जिसमें ऐसे लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने के लिए, समन्वित तलाश और बचाव अभियानों की आवश्यकता है जो भीड़ भरे और कमज़ोर हालत वाले जहाज़ों या नावों में फँसे हों."

विशेष रैपोर्टेयर, जिनीवा स्थित, संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. वो अपनी व्यक्तिगत हैसियत में काम करते हैं, वो यूएन स्टाफ़ नहीं होते हैं और ना ही उन्हें, उनके काम के लिए, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन मिलता है.