वृद्धजन के अधिकार संरक्षण में सभी का हित, यूएन प्रमुख
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि वृद्धजन की गरिमा और मानवाधिकारों का संरक्षण करने, और समाज में उनके सामने दरपेश चुनौतियों से निपटने में, पूरी मानवता का लाभ है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने रविवार को, वृद्धजन के अन्तरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर अपने सन्देश में, समाज में बढ़ती आयु के सार्वभौमिक मुद्दे की ओर ध्यान दिलाया है.
उन्होंने इसके मद्देनज़र कोविड-19 महामारी, निर्धनता और जलवायु आपदाओं जैसे संकटों के लिए वृद्धजन की संवेदनशीलता की तरफ़ भी ख़ास ध्यान आकर्षित किया.
उन्होंने कहा, “इन संकटों व अन्य मुद्दों के समाधा निकाला जाना, एक मानवाधिकार अनिवार्यता है और इससे सभी को फ़ायदा पहुँचेगा.”
आज के युवजन, भविष्य के वृद्धजन
इस वर्ष इस अन्तरराष्ट्रीय दिवस की थीम है – सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा-पत्र के वादे, वृद्धजन के लिए पूरे करना: पीढ़ी-दर-पीढ़ी.
अध्ययनों से मालूम होता है कि वर्ष 2050 में, दुनिया भर में, 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की संख्या लगभग दोगुनी होकर एक अरब 60 करोड़ हो जाएगी. ये संख्या वर्ष 2021 में, क़रीब 76 करोड़ 10 लाख थी. 80 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के वृद्धजन की संख्या तो उससे भी अधिक तेज़ी से बढ़ रही है.
इससे दुनिया भर में वृद्धजन की मौजूदा और भविष्य की पीढ़ियों के मानवाधिकार संरक्षण को और भी अधिक मज़बूत किए जाने की तात्कालिकता रेखांकित होती है.
वृद्धजन का ख़ासा योगदान
एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि वृद्धजन, अपने ज्ञान और अनुभव के ज़रिए, ख़ासा योगदान कर सकते हैं, और उनके भीतर शान्ति, सतत विकास व पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्रों में योगदान करने की क्षमता है.
उन्होंने कहा, “हमें बुज़ुर्गों के साथ सक्रिय सम्पर्क, उनकी पूर्ण भागेदारी, और उनका आवश्यक योगदान सुनिश्चित करना होगा, जिसमें ऐसी सामाजिक और कार्यस्थल सम्बन्धी नीतियों का निर्माण शामिल है, जो उनकी ज़रूरतों के इर्दगिर्द विकसित हों.”
मानवाधिकार बरक़रार रखें
वृद्धजन के सभी मानवाधिकारों की उपलब्धता पर स्वतंत्र विशेषज्ञ क्लाउडिया महलेर ने, यूएन महासचिव की बात को दोहराते हुए, देशों से, वृद्धजन के मानवाधिकारों सुनिश्चित करने का आग्रह किया, जैसाकि सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा-पत्र (UDHR) में प्रावधान है.
उन्होंने कहा, “मैं सदस्य देशों, संयुक्त राष्ट्र, देशों के मानवाधिकार संस्थानों, सिविल सोसायटी और तमाम प्रासंगिक हितधारकों से, सार्वभौमिक घोषणा-पत्र को, वृद्धजन के लिए एक वास्तविक बनाने का आहवान करती हूँ.”