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बांग्लादेश: अदृश्य वृद्ध जन को पहचान और प्राथमिकता मिले, यूएन विशेषज्ञ

अनेक देशों में अक्सर वृद्ध जन को अनदेखी का शिकार होना पड़ता है
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अनेक देशों में अक्सर वृद्ध जन को अनदेखी का शिकार होना पड़ता है

बांग्लादेश: अदृश्य वृद्ध जन को पहचान और प्राथमिकता मिले, यूएन विशेषज्ञ

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ क्लाउडिया मेहलेर ने कहा है कि बांग्लादेश को अपने यहाँ वृद्धावस्था के दौरान भेदभाव के चलन का मुक़ाबला करने के लिये ठोस कार्रवाई करनी होगी और साथ ही, वृद्ध जन के मानवाधिकार सुनिश्चित करने के लिये अपने नियोजित उपायों पर भी अमल करना होगा.

वृद्ध जन के मानवाधिकार की उपलब्धता पर स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ क्लाउडिया मेहलेर ने हाल ही में, बांग्लादेश की 11 दिन की यात्रा की है, जिस दौरान उन्होंने वृद्ध जन पर एक समर्पित राष्ट्रीय नीति की मौजूदगी का स्वागत करते हुए, इसे पहला सराहनीय क़दम क़रार दिया.

उन्होंने एक वक्तव्य में कहा है, “अलबत्ता, इस राष्ट्रीय नीति को आगे लागू करने के लिये एक समयबद्ध कार्रवाई योजना का अभाव, एक समस्याग्रस्त मुद्दा है.”

इस नीति को अपनाए जाने के 9 वर्ष से अधिक समय के बाद भी, इसकी अधिकतर प्राथमिकताओं पर अब भी ध्यान नहीं दिया गया है.

क्लाउडिया मेहलेर ने वैसे तो जलवायु परिवर्तन और बढ़ते आर्थिक व वित्तीय संकटों से सम्बन्धित सरकार की जारी चुनौतियों का भी संज्ञान लिया.

उन्होंने साथ ही सरकार से वृद्ध जन के अनुभवों, निपुणताओं और उनके परिवारों व समाज को उनके योगदान को पहचान देने का भी आहवान किया.

क्लाउडिया मेहलेर का कहना है कि बांग्लादेशी समाज में वैसे तो वृद्ध सम्बन्धियों का सम्मान करने और उनकी देखभाल करने की परम्परा रही है, मगर वृद्ध जन की विशिष्ट ज़रूरतों की अनदेखी की जाती है.

उन्होंने कहा, “वृद्ध जन को विशेष रूप से श्रम बाज़ार में वृद्धावस्था से सम्बन्धित पूर्वाग्रहों का सामना करना पड़ता है, जिससे निर्धनता में जीवन जीने वाले वृद्ध जन को स्वयं और अपने सम्बन्धियों का जीवन यापन करने में कठिनाइयाँ होती हैं.”

दीर्घकालीन देखभाल प्रणालियों से, बुज़ुर्ग जन को समुचित सहारा और उनके बुनियादी अधिकारों के साथ स्वतंत्र रूप से जीवन जीने में मदद करती हैं.
© Unsplash/Raychan
दीर्घकालीन देखभाल प्रणालियों से, बुज़ुर्ग जन को समुचित सहारा और उनके बुनियादी अधिकारों के साथ स्वतंत्र रूप से जीवन जीने में मदद करती हैं.

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव भी

मानवाधिकार विशेषज्ञ क्लाउडिया मेहलेर ने बांग्लादेश में वृद्धावस्था भत्ते की सराहना की, जिससे लगभग आधी वृद्ध आबादी को लाभ मिलता है, मगर उसके लिये और ज़्यादा धन की ज़रूरत है.

क्लाउडिया मेहलेर ने बांग्लादेश सरकार से वृद्ध जन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिये उपाय लागू करने का आग्रह भी किया है; और वृद्ध जन के लिये उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं की ख़स्ता हालत पर चिन्ता भी व्यक्त की.

उन्होंने कहा कि बेहद नाज़ुक परिस्थितियों में जीवन जीने वाले वृद्ध जन पर ख़ास ध्यान दिया जाना होगा, जिनमें ऐसे वृद्ध जन शामिल हैं जिनकी आज़ादी छिनी हुई है, जिन्हें शहरों के निर्धन इलाक़ों में रहना पड़ता है, रोहिंज्या शरणार्थियों के लिये बनाए गए शिविरों में रहने वाले लोग, या फिर जहाज़ों से सम्बन्धित व्यवसाय में काम करने वाले लोग, और वो लोग जिन्हें अनेक तरह के भेदभावों का सामना करना पड़ता है.

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ क्लाउडिया मेहलेर ने अपनी इस यात्रा के दौरान अनेक सम्बन्धित राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर के सरकारी अधिकारियों के अलावा, सिविल सोसायटी और वृद्ध जन के हितों के लिये काम करने वाले अनेक हितधारकों और 200 से ज़्यादा बुज़ुर्गों साथ भी मुलाक़ात की.

क्लाउडिया मेहलेर ने कहा, “मैं पुर उम्मीद हूँ कि बांग्लादेश सरकार, देश में वृद्ध जन के लिये संरक्षण मज़बूत करने के वास्ते उपयुक्त राजनैतिक इच्छा और बजट मुहैया कराएगी.”

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ क्लाउडिया मेहलेर अपने निष्कर्षों और सिफ़ारिशों के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट, सितम्बर 2023 में, जिनीवा स्थित यूएन मानवाधिकार परिषद में पेश करेंगी.

मानवाधिकार विशेषज्ञ

क्लाउडिया मेहलेर ने (ऑस्ट्रिया) को, जिनीवा स्थित यूएन मानवाधिकार परिषद ने, मई 2020 में वृद्ध जन के मानवाधिकारों पर अमल के लिये स्वतंत्र विशेषज्ञ नियुक्त किया था.

विशेष रैपोर्टेयर, मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं जिन्हें किसी ख़ास स्थिति की जाँच पड़ताल करने या किसी देश में मानवाधिकार स्थिति के बारे में रिपोर्ट सौंपने के लिये नियुक्त किया जाता है. मानवाधिकार विशेषज्ञ या विशेष रैपोर्टेयर किसी देश ये संगठन से स्वतंत्र होते हैं और अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं. उन्हें उनके काम के लिए, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं दिया जाता है.