वृद्धजन के साथ दुर्व्यवहार से निपटने के लिए, तत्काल कार्रवाई पर बल

संयुक्त राष्ट्र के एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने बुज़ुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की व्यापक समस्या से निपटने के लिए, तत्काल कार्रवाई और ऐसे मामलों में बेहतर आँकड़े जुटाने का आग्रह किया है.
वृद्धजन के मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र की स्वतंत्र विशेषज्ञ, क्लॉडिया महलर ने जिनीवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह अपील की है.
उन्होंने कहा कि तेज़ी से वृद्ध हो रही दुनिया में, बुज़ुर्ग व्यक्तियों के विरुद्ध बड़े पैमाने पर हिंसा हो रही है, जिससे लाखों वृद्धजन ख़तरे में हैं, लेकिन इसके बावजूद इस समस्या से निपटने में सफलता हासिल नहीं हुई है.
उन्होंने सचेत किया कि, "बुज़ुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की समस्या से निपटना, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय या वैश्विक स्तर पर, किसी की भी प्राथमिकता नहीं है."
क्लॉडिया महलर ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से मिली जानकारी का उदाहरण दिया, जिसके मुताबिक़ हर छह में से एक वृद्ध व्यक्ति ने किसी ना किसी प्रकार की हिंसा का अनुभव किया है.
उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बुढ़ापे में हिंसा, उपेक्षा और दुर्व्यवहार के, मानसिक एवं शारीरिक कल्याण पर दूरगामी परिणाम होते हैं, जिसके लिए उचित हस्तक्षेप व समाधान की ज़रूरत स्पष्ट होती है.
उन्होंने कहा, "कोविड-19 महामारी जैसे मौजूदा संकटों के साथ-साथ, सशस्त्र संघर्षों और जलवायु परिवर्तन के दौरान भी, वृद्ध व्यक्तियों के ख़िलाफ़ हिंसा में बढ़ोत्तरी देखी गई."
"ये संकट, आर्थिक झटकों की वजह बनते हैं, जिससे दुनिया भर के सहयोगी ढाँचों पर अधिक दबाव पड़ता है. इससे अत्यधिक वृद्ध व्यक्तियों द्वारा हिंसक कृत्यों का सामना करने का ख़तरा हो सकता है."
हालाँकि वर्तमान में "बुज़ुर्गों के साथ दुर्व्यवहार" की कोई वैश्विक मान्यता प्राप्त परिभाषा नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा कि दुर्व्यवहार के पाँच रूपों की आसानी से पहचान की जा सकती है: शारीरिक; मनोवैज्ञानिक या भावनात्मक; यौन; वित्तीय या भौतिक वस्तु सम्बन्धी; और उपेक्षा.
क्लॉडिया महलर ने नफ़रत भरी भाषा को भी वृद्ध व्यक्तियों के ख़िलाफ़ अनुचित व्यवहार का ही एक रूप माना.
उन्होंने कहा, "बुज़ुर्ग व्यक्तियों के ख़िलाफ़ दुर्व्यवहार के मामलों की व्यापकता में, आयुवाद एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है एवं उनके लिए जोखिम का एक बड़ा कारण बन गया है."
"आयुवाद की अवधारणा के पीछे नकारात्मक रूढ़िवादिता व पूर्वाग्रह होते हैं, जिसके परिणाम हानिकारक हो सकते है. इनमें वृद्ध व्यक्तियों के ख़िलाफ़ हिंसा एवं दुर्व्यवहार, व उपेक्षा भी शामिल है."
क्लॉडिया महलर की इस रिपोर्ट में, वृद्ध व्यक्तियों के साथ बुरे बर्ताव की रोकथाम व सुरक्षा हेतु कई कार्रवाईयों की सिफ़ारिश की गई है, जिसमें विधाई एवं नीतिगत हस्तक्षेप, रोकथाम कार्यक्रम, आयु-उपयुक्त सामुदायिक सेवाओं का प्रावधान, क़ानून प्रवर्तन प्रतिक्रिया और न्याय तक पहुँच शामिल हैं.
उन्होंने हिंसा, दुर्व्यवहार और उपेक्षा के मामलों की व्यापकता पर आँकड़ों जुटाने और विश्लेषण के महत्व पर बल दिया.उन्होंने कहा, “इस तरह का डेटा, मुद्दे की उचित समझ हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण है. वृद्ध व्यक्तियों की विविधता, डेटा-संग्रह पद्धतियों और प्रोटोकॉल में एकीकृत की जानी चाहिए. ”
विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं.
उनकी नियुक्ति जिनीवा स्थित यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी ख़ास मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच करके रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है.
ये पद मानद होते हैं और मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके इस कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.