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ज़्यादा समावेशी समाज बनाने के लिये बुज़ुर्गों के सुझाव और विचार सुनें, यूएन प्रमुख

नेपाल के गोरखा ज़िले के एक गाँव में एक वृद्ध महिला
© UNICEF/Giacomo Pirozzi
नेपाल के गोरखा ज़िले के एक गाँव में एक वृद्ध महिला

ज़्यादा समावेशी समाज बनाने के लिये बुज़ुर्गों के सुझाव और विचार सुनें, यूएन प्रमुख

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के माहौल में, दुनिया ऐसे ग़ैर-आनुपातिक और अत्यन्त गम्भीर प्रभावों का सामना कर रही है जो इस वायरस ने वृद्धजन के स्वास्थ्य, अधिकारों और रहन-सहन पर छोड़े हैं. यूएन महासचिव ने ये विचार हर वर्ष 1 अक्टूबर को मनाए जाने वाले वृद्धजन के लिये अन्तरराष्ट्रीय दिवस के मौक़े पर व्यक्त किये हैं.

महासचिव ने कहा, “कोविड-19 पर क़ाबू पाने के हमारे प्रयासों में वृद्धजन को प्राथमिकता मिलनी चाहिये. 

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इस वर्ष के आयोजन के नारे के अनुरूप हमें यह भी पड़ताल करनी चाहिये कि अपने समाजों में उम्र और वृद्धावस्था की चुनौतियों का सामना करने का हमारा तरीक़ा किस तरह बदला जा सकता है.

वृद्धजन के लिये अवसरों का विस्तार और स्वास्थ्य सेवाओं, पेंशन व सामाजिक संरक्षण तक उनकी पहुँच निर्णायक साबित होगी.  

एंतोनियो गुटेरश ने कहा कि इस वर्ष इन आयोजनों के साथ हम अन्तरराष्ट्रीय नर्स एवं दाई वर्ष (International Year of the Nurse and Midwife) भी मना रहे हैं जिससे महामारी का सामना करने में नर्स और दाई जैसे स्वास्थ्यकर्मियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका उजागर होती है. 

इन कामकाजों व पेशों में अधिकाँश महिलाएँ हैं जिनमें से बहुत सी वृद्ध हो चुकी हैं. यही वे लोग हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन हमारी और वृद्धजन, माताओं एवं बच्चों की सेवा-सुश्रुषा में समर्पित कर दिया. ये कहीं अधिक सहारा पाने के हक़दार हैं.

इस महामारी से बेहतर ढंग से उबरने के लिये मिलकर कोशिश करते हुए हमें स्वस्थ उम्रदराज़ी दशक 2020-2030 (Decade of Healthy Ageing 2020-2030) में वृद्धजन, उनके परिवारों और समुदायों का जीवन सुधारने के लिये ठोस प्रयास करने चाहिये.

वृद्धजन की क्षमताएँ टिकाऊ विकास के लिये सशक्त आधार हैं. हमें अधिक समावेशी और वृद्धजन हितैषी समाजों की रचना के लिये उनकी आवाज़ों, सुझावों और विचारों को पहले की तुलना में अधिक ध्यान से सुनना चाहिये. 

अदृश्य जन

इस बीच, वृद्धजन के मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञ क्लाउडिया माहलर ने ध्यान दिलाते हुए कहा है कि कोविड-19 महामारी ने वृद्धजन के मौजूदा मानवाधिकार उल्लंघन के मामले और ज़्यादा गम्भीर कर दिये हैं.

उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य, रोज़गार और आजीविकाओं के मामले में वृद्धजन जिन असमानताओं का सामना करते हैं, वो और ज़्यादा बढ़ गई हैं, और इसके बावजूद भी वो किसी को नज़र नहीं आते हैं.”

फ़लस्तीनियों के लिये संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसी का एक कर्मचारी ग़ाज़ा पट्टी में एक बुज़ुर्ग फ़लस्तीनी व्यक्ति को दवाइएँ पहुँचाते हुए.
© UNRWA/Khalil Adwan
फ़लस्तीनियों के लिये संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसी का एक कर्मचारी ग़ाज़ा पट्टी में एक बुज़ुर्ग फ़लस्तीनी व्यक्ति को दवाइएँ पहुँचाते हुए.

क्लाउडा माहलर ने कहा कि बुज़ुर्गों के बारे में कोई भी जानकारी या तो टूटी-फूटी मिलती है, या ज़्यादातर देशों में सटीक जानकारी उपलब्ध ही नहीं है. इसलिये उन ढाँचागत व व्यवस्थागत रास्तों पर प्रकाश डालना बहुत ज़रूरी है जिनके कारण वो पीछे छूट गए हैं.

उन्होंने कहा, मौजूदा खाइयाँ भरने और समाजों के लिये बुज़ुर्गों के योगदान को सामने लाने, उनकी विविधता पर ग़ौर करने और वृद्धावस्था में उनके बदले नज़रिये को सम्मान देने के लिये “सही सूचनाओं पर आधारित सार्वजनिक नीतियाँ बनाने और उनकी कामयाबी के लिये डेटा उपलब्ध होना बहुत ज़रूरी है.”

बुज़ुर्गों को प्राथमिकता मिले

स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने वृद्धजन को कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने और उसके बाद के दौर में भी प्राथमिकता दिये जाने का आहवान किया है.

उन्होंने कहा, “ये बहुत ज़रूरी है कि बुज़ुर्गों के लिये आमदनी सुनिश्चित की जाये, विशेषरूप में वृद्ध महिलाओं के लिये. दीर्घकालीन समावेशी पुनर्बहाली के लिये सार्वभौमिक वृद्धावस्था पेन्शन और समुचित वित्तीय लाभ सुनिश्चित किया जाना बहुत ज़रूरी है.”

साथ ही, सामाजिक व आर्थिक राहत उपाय और सुरक्षा नैटवर्क तुरन्त अपनाए जाने की ज़रूरत है.