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WMO: जलवायु निष्क्रियता से जीवन ख़तरे में

मेडागास्कर जैसे देशों में, जलवायु परिवर्तन चरम मौसम घटनाओं को जन्म दे रहा है.
© UNICEF/Tsiory Andriantsoar
मेडागास्कर जैसे देशों में, जलवायु परिवर्तन चरम मौसम घटनाओं को जन्म दे रहा है.

WMO: जलवायु निष्क्रियता से जीवन ख़तरे में

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) द्वारा गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु लक्ष्यों की दिशा में अपर्याप्त प्रगति के कारण, ग़रीबी, खाद्य अभाव और घातक बीमारियों के ख़िलाफ़ वैश्विक लड़ाई धीमी होती जा रही है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने यह सन्देश दोहराते हुए चेतावनी दी कि रिकॉर्ड तापमान और चरम मौसम से दुनिया भर में "तबाही” हो रही है."

जैसाकि संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम आँकड़ों से संकेत मिलता है कि 2030 एजेंडा की मध्यावधि में, केवल 15 प्रतिशत सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) में ही प्रगति हासिल हो पाई है, महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि इसके लिए वैश्विक कारर्वाई "बेहद कम" पड़ गई है, 

एसडीजी पर 'कार्रवाई तेज़' करें

डब्लूएमओ के अनुसार, वर्तमान नीतियों के कारण, इस शताब्दी के दौरान वैश्विक तापमान, पूर्व-औद्योगिक स्तर से कम से कम 2.8 डिग्री सेल्सियस ऊपर रहेगा - जो कि पेरिस समझौते के 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य से काफ़ी ऊपर है.

इस वर्ष उत्तरी गोलार्ध में अब तक रिकार्ड पर दर्ज सबसे अधिक गर्मी पड़ी, जिससे पिछले सप्ताह यूएन प्रमुख को “कार्रवाई तेज़” करने की अपनी अपील दोहरानी पड़ी.  

रिपोर्ट की प्रस्तावना में, महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस बात पर बल दिया कि मौसम, जलवायु और जल सम्बन्धित विज्ञान "सभी स्तरों पर एसडीजी की प्रगति तेज़ कर सकते हैं."

अधर में जीवन 

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18 संयुक्त राष्ट्र संगठनों और भागीदारों की विशेषज्ञता से तैयार की गई ‘यूनाइटेड इन साइंस’ नामक रिपोर्ट से पता चलता है कि किस तरह जलवायु विज्ञान और प्रारम्भिक चेतावनियाँ, जीवन व आजीविकाएँ बचा सकती हैं, तथा खाद्य एवं जल सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा व बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में प्रगति को बढ़ावा दे सकती हैं.

लीबिया में हाल ही में आई बाढ़ में हज़ारों लोगों की मौत के बाद, डब्ल्यूएमओ महासचिव पेटेरी टालस ने कहा कि, चरम मौसम की घटनाओं से निपटते समय, पर्याप्त पूर्वानुमान क्षमता की कमी, देशों के लिए घातक परिणाम का सबब बन सकती है. 

उन्होंने सूडान में विकसित हो रही जोखिम भरी स्थिति पर प्रकाश डाला, जहाँ जारी संघर्ष के कारण, आपदाओं की भविष्यवाणी करने की एजेंसी की क्षमता कमज़ोर हो गई है.

उन्होंने कहा, देश की मौसम सेवा के प्रमुख ने उन्हें बताया है कि उनके अधिकांश कर्मचारी ख़ारतूम से बचकर भाग गए हैं, और "सामान्य रूप से अपना कामकाज करने" में असमर्थ हैं.

उन्होंने चेतावनी दी, "अब वो इस तरह की चरम मौसम घटनाओं की भविष्यवाणी करने में सक्षम नहीं हैं."

खाद्य सुरक्षा की कुंजी, मौसम विज्ञान 

चरम मौसम की घटनाएँ, विश्व स्तर पर भुखमरी के प्रसार का एक प्रमुख घटक भी हैं. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 2030 में लगभग 67 करोड़ लोग खाद्य असुरक्षा का शिकार हो सकते हैं. ऐसे में, इस नई रिपोर्ट में इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई का आहवान किया गया है. 

रिपोर्ट के लेखकों ने, किसानों को फ़सलों व रोपण पर निर्णय लेने में मदद करने के लिए, जीवन रक्षक खाद्य उत्पादन और पोषण, मौसम विज्ञान एवं सेवाओं में निवेश के बीच की कड़ी खोजने की कोशिश की है.

प्रारम्भिक चेतावनियाँ "फ़सल की विफलता के सम्भावित कारणों की पहचान करने में मदद करने के लिए भी महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि ये खाद्य आपातस्थिति की वजह बन सकती हैं."

घातक महामारियों ​​की आशंका

"यूनाइटेड इन साइंस" रिपोर्ट में, जलवायु परिवर्तन पर अन्तरसरकारी पैनल (IPCC) का विश्लेषण भी शामिल किया गया है, जिसमें चेतावनी दी गई है कि जलवायु परिवर्तन और तापलहरों जैसी चरम मौसम घटनाएँ से, "ख़राब स्वास्थ्य एवं समय से पहले होने वाली मौतों में उल्लेखनीय वृद्धि" हो सकती है.

रिपोर्ट के निष्कर्षों से पता चलता है कि महामारी विज्ञान और जलवायु सम्बन्धी जानकारी को एकीकृत करने से, मलेरिया व डेंगू जैसी जलवायु-सम्वेदनशील बीमारियों के प्रकोप का पूर्वानुमान लगाकर, इनसे निपटने के लिए तैयारी करना सम्भव हो जाता है.

आपदा-जनित हानि सीमित करें

पूर्व-चेतावनी प्रणालियाँ, लोगों को आपदाओं का पूर्वानुमान उपलब्ध कराकर, उसके "आर्थिक प्रभाव को सीमित" करने का अवसर देतीं हैं, जिससे ग़रीबी घटाने में भी मदद मिल सकती है.

WMO के नेतृत्व वाली इस रिपोर्ट से पता चलता है कि 1970 और 2021 के बीच, मौसम, जलवायु और चरम जल सम्बन्धी लगभग 12 हज़ार आपदाएँ आईं, जिससे 4.3 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक नुक़सान हुआ. इनमें से अधिकतर घटनाएँ विकासशील देशों में थीं.

हर एक अंश महत्वपूर्ण

डब्ल्यूएमओ ने इस तथ्य की निन्दा की कि अब तक, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटाने के लिए देशों द्वारा किए गए वादों और पेरिस समझौते के तापमान लक्ष्य प्राप्त करने के लिए उत्सर्जन में कटौती के स्तर के बीच का अन्तर कम करने में "बहुत सीमित प्रगति" हुई है.

तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित करने के लिए, 2030 तक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 45 प्रतिशत घटाने की आवश्यकता होगी. साथ ही, 2050 तक कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन, नैट शून्य के क़रीब पहुँचाना होगा.                                    

रिपोर्ट के लेखकों के अनुसार, हालाँकि जलवायु में भविष्य में होने वाले कुछ बदलाव अपरिहार्य हैं, फिर भी "तापमान वृद्धि को सीमित करने और एसडीजी हासिल करने के लिए, CO2 की हर एक डिग्री या टन का प्रत्येक अंश मायने रखेगा."

सर्वजन के लिए प्रारम्भिक चेतावनी

WMO ने संयुक्त राष्ट्र की "सर्वजन के लिए प्रारम्भिक चेतावनी" पहल की अहमियत को रेखांकित किया, जिसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि "2027 के अन्त तक पृथ्वी पर रहने वाला हर एक व्यक्ति, जीवन रक्षक प्रारम्भिक चेतावनी प्रणालियों के ज़रिए, ख़तरनाक मौसम, पानी या जलवायु घटनाओं से सुरक्षित हो सके."

वर्तमान में, दुनिया भर में केवल आधे देशों के पास ही बहु-आपदा सम्बन्धी, पर्याप्त पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ मौजूद हैं.

यह ‘यूनाइटेड इन साइंस’ रिपोर्ट, अगले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा में होने वाले एसडीजी शिखर सम्मेलन और जलवायु महत्वाकांक्षा शिखर सम्मेलन से ठीक पहले जारी की गई है.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने बुधवार को न्यूयॉर्क में संवाददाताओं को बताया कि इन बैठकों में "2030 की मध्यावधि में एसडीजी को बचाने" और "जलवायु संकट से निपटने की महत्वाकांक्षाएँ बढ़ाने" पर चर्चा होगी.