योरोप: भीषण बाढ़ व बढ़ते तापमान ने, जलवायु कार्रवाई को बनाया ज़रूरी

विश्व मौसम संगठन (WMO) ने शुक्रवार को कहा है कि पश्चिमी योरोप के अनेक देशों में भारी बारिश होने के कारण जानलेवा और विनाशकारी बाढ़ का आना ऐसा एक ताज़ा संकेतक है कि तमाम दुनिया को जलवायु परिवर्तन से जुड़ी प्राकृतिक आपदाओं की रफ़्तार को धीमा करने के लिये, और ज़्यादा कार्रवाई करने की आवश्यकता है. यूएन महासचिव ने जान-माल के नुक़सान पर दुख व्यक्त किया है.
संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी ने कहा है कि बेल्जियम, जर्मनी, लक्ज़मबर्ग और नैदरलैण्ड में आमतौर पर जितनी बारिश दो महीनों में होती है, उतनी बारिश 14 और 15 जुलाई को केवल दो दिनों में रिकॉर्ड की गई है.
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WMO
बाढ़ और भूस्खलन से बहुत बुरी तरह प्रभावित कुछ इलाक़ों की तस्वीरों में नज़र आता है कि जहाँ केवल मध्य सप्ताह तक ही ज़मीन और उस पर बनी कुछ इमारतें मौजूद थीं, अब वहाँ विशाल गड्ढे बन गए हैं.
मीडिया ख़बरों में कहा गया है कि जर्मनी और बेल्जियम में, शुक्रवार को कम से क 100 लोग हताहत हुए हैं और अनेक इलाक़ों में अब भी बहुत से लोग लापता हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के उप प्रवक्ता फ़रहान हक़ ने बताया कि यूएन प्रमुख ने इन पश्चिमी योरोपीय देशों में भारी बारिश और भीषण बाढ़ से हुए जान-माल के नुक़सान पर गहरा दुख व्यक्त किया है.
महासचिव ने प्रभावित परिवारों, प्रभावित देशों की सरकारों और वहाँ के लोगों के लिये शोक सन्देश भेजते हुए उनके साथ एकजुटता व्यक्त की है.
प्रवक्ता के अनुसार, यूएन प्रमुख ने कहा कि कहा है कि संयुक्त राष्ट्र, आवश्यकता पड़ने पर, प्रभावित देशों में राहत और बचाव कार्यों में मदद करने के लिये मुस्तैद है.
विश्व मौसम संगठन की प्रवक्ता क्लेयर न्यूलिस ने कहा, “हमने मकान बह जाने की तस्वीरें देखी हैं... यह दिल दहला देने वाला दृश्य है.”
उन्होंने कहा कि इस प्राकृतिक आपदा ने, प्रभावित विकसित देशों में, पहले से ही किये गए रोकथाम उपायों को भी बेकार बना दिया है.
क्लेयर न्यूलिस ने कहा, “पूरा योरोप अक्सर मुस्तैद रहता है, मगर ये भी समझने योग्य बात है कि इस तरह की चरम मौसम घटनाओं में जहाँ दो महीनों के बराबर बारिश केवल दो दिन में हो जाए, तो उसका सामना कर पाना बहुत-बहुत मुश्किल है.”
उन्होंने बताया कि फ्रांस, बेल्जियम और लक्ज़मबर्ग की सीमाओं से सटे, जर्मनी के सीमावर्ती इलाक़ों में बहुत भारी तबाही हुई है.
मौसम संगठन की प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि स्विट्ज़रलैण्ड की राष्ट्रीय मौसम सेवा – मैटियोस्विस ने एक मोबाइल फ़ोन ऐप बनाया है जो उच्च जल स्तर की स्थिति की नियमित जानकारी देता रहता है.
लोकप्रिय पर्यटन व शिविर स्थलों पर उच्च स्तर की बाढ़ चेतावनियाँ जारी की हुई हैं.
पश्चिमी योरोप के कुछ देशों में भारी बारिश और भीषण बाढ़ के इन हालात के उलट, स्कैण्डीनेविया के कुछ हिस्सों में जलाने-झुलसाने वाला तापमान जारी है. साइबेरिया से निकलने वाले धुएँ के गुबारों ने, अलास्का में पूरी अन्तरराष्ट्रीय डेटलाइन की वायु गुणवत्ता को प्रभावित किया है.
पश्चिमी उत्तर अमेरिका में भी हाल के सप्ताहों में, असाधारण गर्मी ने, जंगलों में विनाशकारी आग भड़काई है.
क्लेयर न्यूलिस ने कहा, “जब हम इस सप्ताह जर्मनी, बेल्जियम और नैदरलैण्ड में हुई तबाही की तस्वीरें देखते हैं तो बहुत सदमा लगता है, मगर जलवायु परिवर्तन के असर वाले हालात में, चरम मौसम की इसी तरह की अन्य आपदाएँ अभी और भी देखने को मिलेंगी, ख़ासतौर से चरम गर्मी वाली. ”
प्रवक्ता ने कहा कि उच्च उत्तरी अक्षांशों में भी समुद्रों के बढ़ते जल स्तर के बारे में चिन्ताएँ व्याप्त हैं. बाल्टिक समुद्र में फ़िनलैण्ड की खाड़ी में, 14 जुलाई को अभी तक का रिकॉर्ड उच्च 26.6 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया. लगभग 20 वर्ष पहले रिकॉर्ड रखा जाना शुरू होने के बाद से अभी तक ये सबसे गरम जल तापमान दर्ज किया गया.
विश्व मौसम संगठन की प्रवक्ता क्लेयर न्यूलिस ने यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरश की इस पुकार से सहमति व्यक्त की कि बढ़ते कार्बन उत्सर्जन और तापमानों से सम्बन्धित जलवायु आपदाओं को रोकने और उनसे बचने के लिये और ज़्यादा कार्रवाई किये जाने की ज़रूरत है.
उन्होंने इस वर्ष नवम्बर में ग्लासगो में होने वाले यूएन जलवायु सम्मेलन कॉप-26 से पहले, ठोस कार्रवाई किये जाने का भी आग्रह किया.
उन्होंने कहा, “हमें जलवायु कार्रवाई तेज़ करनी होगी, हमें महत्वकांक्षा का स्तर और ऊँचा करना होगा; हम, पेरिस समझौते में जलवायु परिवर्तन के लिये निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के दायरे में बने रहने और वैश्विक तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने, यहाँ तक कि इस सदी के अन्त तक 1.5 डिग्री सेल्सियस के नीचे रखने के लिये पर्याप्त कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.”