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विकास और जलवायु चुनौतियों से, एक साथ निपटे जाने पर बल

थाईलैंड में अक्षय ऊर्जा स्रोतों में लोपबुरी स्थित इस सौर ऊर्जा फ़ॉर्म का भी अहम योगदान है.
© ADB
थाईलैंड में अक्षय ऊर्जा स्रोतों में लोपबुरी स्थित इस सौर ऊर्जा फ़ॉर्म का भी अहम योगदान है.

विकास और जलवायु चुनौतियों से, एक साथ निपटे जाने पर बल

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक, उच्चस्तरीय सप्ताह से ठीक पहले, एक नई रिपोर्ट में विश्व नेताओं के नाम एक सन्देश जारी किया गया है, जिसके अनुसार, जलवायु और टिकाऊ विकास संकटों से एक साथ निपटने के प्रयासों के ज़रिये, 2030 एजेंडा पर प्रगति के लिए तेज़ी से क़दम बढ़ाए जा सकते हैं.

बुधवार को जारी की गई यह अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है, जिसमें स्वतंत्र विशेषज्ञों के समूह ने उपलब्ध डेटा और तथ्यों के आधार पर क़दमों का खाका प्रस्तुत किया है. 

इसके अनुसार, देशों की सरकारें उपयुक्त नीतियों व कार्रवाई के ज़रिये बद से बदतर होते जलवायु संकट और टिकाऊ विकास लक्ष्यों की दिशा में धीमी प्रगति जैसी चुनौतियों से निपट सकती हैं.

आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के यूएन विभाग (UN DESA) और जलवायु परिवर्तन मामलों पर यूएन संस्था (UNFCCC) ने इस वर्ष विशेषज्ञ समूह को यह व्यापक रिपोर्ट तैयार करने की ज़िम्मेदारी सौंपी थी.

आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के लिए यूएन अवर महासचिव ली जुनहुआ ने यूएन मुख्यालय में रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि हमें टिकाऊ विकास लक्ष्यों को फिर से पटरी पर लाना होगा और 1.5 डिग्री के लक्ष्य को जीवित रखना होगा. 

उन्होंने इन दो महत्वपूर्ण वैश्विक एजेंडा के लिए एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने और समन्वित ढंग से प्रयासों पर बल दिया है.

इसी वर्ष, टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर प्रगति रिपोर्ट को जारी किया गया था, जिसके अनुसार एसडीजी एजेंडा के तहत केवल 12 फ़ीसदी उद्देश्यों की ही प्राप्ति हो रही है, जबकि 30 प्रतिशत में प्रगति या तो रुक गई है या फिर उसकी दिशा उलट गई है.

जलवायु परिवर्तन पर अन्तरसरकारी आयोग (IPCC) की छठी समीक्षा रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया था कि वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए, 2019 की तुलना में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों में, 2030 तक 43 प्रतिशत की कमी लानी होगी.

यूएन जलवायु संस्था के कार्यकारी सचिव साइमन स्टील ने भी ध्यान दिलाया कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति और सहनसक्षम समाजों के निर्माण के लिए हमारी जलवायु में स्थिरता लाना, एक ही प्रयास के दो पहलू हैं.

तंज़ानिया में छात्र टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के पोस्टर पकड़े हुए.
UN News
तंज़ानिया में छात्र टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के पोस्टर पकड़े हुए.

दो लक्ष्यों को साधना

यूएन विशेषज्ञों के अनुसार, 2030 एजेंडा और पेरिस जलवायु समझौते को एक साथ लेकर चलने से, एक दूसरे पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और दोनों लक्ष्यों को साधा जा सकता है.

उदाहरणस्वरूप, सब-सहारा अफ़्रीका में 2030 तक बिजली की सार्वभौमिक सुलभता के लिए मौजूदा जलवायु नीतियों के तहत 27 अरब डॉलर के वार्षिक निवेश की आवश्यकता होगी.

जबकि इन नीतियों के अभाव में अतिरिक्त छह अरब डॉलर की ज़रूरत होगी.

वायु प्रदूषण पर कड़े नियंत्रण और ग्रीनहाउस गैस में कटौती के लिए सख़्त उपायों के ज़रिये, 40 फ़ीसदी वैश्विक आबादी के लिए स्वास्थ्य के लिए हानिकारक अति-सूक्ष्म कणों के स्तर में कमी लाई जा सकती है. 

भारत, चीन और मध्य पूर्व में स्थित देशों को विशेष रूप से इसका लाभ होगा. 

अवरोधों पर पार पाना

नवीनतम रिपोर्ट में प्रगति के रास्ते में मौजूद अनेक अहम बाधाओं की भी पहचान की गई है, जैसेकि उपलब्ध ज्ञान में कमी, राजनैतिक व संस्थागत अवरोध, और आर्थिक व्यवधान.

इसके मद्देनज़र, राष्ट्रीय स्तर पर संस्थागत समन्वय सुनिश्चित करने व सुसंगत नीतियों को अपनाने पर ज़ोर दिया गया है.

बताया गया है कि निम्न-आय और निम्नतर-मध्य वाले देशों में टिकाऊ विकास लक्ष्यों और जलवायु कार्रवाई के बीच अपेक्षाकृत अधिक मज़बूत है. 

जलवायु और विकास कार्रवाई में वित्तीय संसाधनों की कमी भी एक बड़ी समस्या है, जिसके लिए पुराने हो चुके, विषमतापूर्ण वित्तीय तंत्र को ज़िम्मेदार ठहराया गया है. 

रिपोर्ट में प्रस्तुत रोडमैप में अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं को उन उपायों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है, जिनसे जलवायु और विकास मुद्दों पर कार्रवाई को मज़बूती प्रदान की जा सके.