जलवायु अनुकूलन कार्यक्रमों के लिये वित्तीय संसाधनों की पुकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने जलवायुअनुकूलन और बदलवी जलवायु के प्रति सहनक्षमता विकसित करने की योजनाओं के लिये तात्कालिक रूप से वित्तीय संसाधनों का स्तर बढ़ाने का आहवान किया है. यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा है कि इन क्षेत्रों में निवेश के ज़रिये सूखा, बाढ़ और बढ़ते समुद्री जलस्तर जैसे जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से वास्तविक और स्थाई रक्षा सुनिश्चित की जा सकती है.
महासचिव गुटेरेश ने सोमवार को जलवायु अनुकूलन शिखर बैठक (Climate Adaptation Summit) में स्पष्ट किया कि अनुकूलन प्रयास जलवायु समीकरण का ऐसा आधा हिस्सा नहीं हो सकते जिसकी उपेक्षा की जाए.
जलवायु अनुकूलन शिखर बैठक का आयोजन संयुक्त राष्ट्र और नीदरलैण्ड्स की सरकार ने साझा रूप से किया, और इसका लक्ष्य व्यापक अनुकूलन प्रयासों के लिये समर्थन में तेज़ी लाना था.
कोरोनावायरस संकट के मद्देनज़र ऐहतियाती उपायों को अपनाते हुए इस कार्यक्रम को वर्चुअली आयोजित किया गया.
बताया गया है कि विकासशील देशों में अनुकूलन की आवश्यकता कहीं अधिक है, जहाँ ऐसी योजनाओं को पूरा करने के लिये 70 अरब डॉलर की आवश्यकता है.
इस महीने जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2030 में यह आँकड़ा बढ़कर 300 अरब डॉलर और वर्ष 2050 में 500 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है.
यूएन के शीर्ष अधिकारी ने आहवान किया है कि जलवायु योजनाओं के लिये विकसित देशों और बहुपक्षीय विकास बैन्कों द्वारा आवण्टित किये जाने वाली धनराशि में से 50 फ़ीसदी अनुकूलन और सहनक्षमता के लिये प्रदान किया जाना होगा.
“मैं सभी दानदाताओं और बहुपक्षीय विकास बैन्कों से आग्रह करता हूँ कि कॉप-26 तक इस लक्ष्य का संकल्प लिया जाये और कम से कम से 2024 तक इसे पूरा कर लिया जाये.”
उनका आशय संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन के 26वें सत्र से है जो नवम्बर में ग्लासगो में होना तय है.
एंतोनियो गुटेरेश ने समय-पूर्व चेतावनी प्रणालियों और जोखिम-आधारित निर्णय प्रक्रियाओं को बेहद महत्वपूर्ण बताया है.
उन्होंने कहा कि हर तीन में से एक व्यक्ति को संरक्षण उपलब्ध नहीं है.
“तूफ़ान या गर्म हवाओं की 24 घण्टे पूर्व चेतावनी के ज़रिये उनसे होने वाली क्षति को 30 फ़ीसदी तक कम किया जा सकता है.”
इस क्रम में जलवायु आपदाओं से होने वाली क्षति को कम करने और समय-पूर्व चेतावनी प्रणालियों की दुनिया भर में कवरेज सुनिश्चित करने के लिये साथ मिलकर काम करने पर बल दिया गया है.
“मुझे आशा है कि इस शिखर बैठक से अनुकूलन व सहनक्षमता पर प्रगति हासिल करने में मदद मिलेगी जिसकी आवश्यकता है.”
यूएन महासचिव ने बजट आवण्टन और निवेश-सम्बन्धी निर्णयों को जलवायु सहनशील बनाने का आग्रह किया है.
“जलवायु जोखिम को हर ख़रीद प्रक्रिया में समाहित किया जाना होगा, विशेष रूप से बुनियादी ढाँचे के लिये.”
इसके अतिरिक्त निर्बल देशों के लिये सार्वजनिक वित्तीय संसाधनों को सुलभ बनाने और कर्ज़ राहत पहलों का दायरा बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया है.
ग़ौरतलब है कि सबसे कम विकसित देशों और लघु द्वीपीय विकासशील देशों के लिये जलवायु वित्तीय संसाधनों का क्रमश: 14 प्रतिशत और दो फ़ीसदी ही मिल पाता है जबकि ये देश सबसे ज़्यादा जोखिम का सामना कर रहे हैं.
चरम मौसम की घटनाओं और जलवायु सम्बन्धी जोखिमों के कारण पिछले एक दशक में चार लाख लोगों की मौत हो चुकी है, इनमे से अधिकाँश मौतें निम्न और निम्नतर-मध्य आय वाले देशों में हुई हैं.