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टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की राह में लैंगिक खाई बरक़रार

केन्या (चित्रित) और हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका के अन्य देशों में सूखे से सर्वाधिक निर्बल महिलाएँ और बच्चे प्रभावित.
© WFP/Alessandro Abbonizio
केन्या (चित्रित) और हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका के अन्य देशों में सूखे से सर्वाधिक निर्बल महिलाएँ और बच्चे प्रभावित.

टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की राह में लैंगिक खाई बरक़रार

एसडीजी

महिला सशक्तिकरण और अधिकारों के लिए प्रयासरत यूएन संस्था (UN Women) ने अपनी एक नई रिपोर्ट में चेतावनी जारी की है कि 2030 तक, टिकाऊ विकास लक्ष्यों को साकार करने में जुटी दुनिया, लैंगिक अन्तर को पाटने में चिन्ताजनक ढंग से पिछड़ रही है.

संयुक्त राष्ट्र की नवीनतम ‘Gender Snapshot 2023’ रिपोर्ट एक ऐसे पड़ाव पर जारी की गई है जब एसडीजी प्राप्ति की राह में, दुनिया अपना आधा सफ़र तय कर चुकी है.  

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यूएन वीमैन के अनुसार, यदि मौजूदा रुझान जारी रहे तो वर्ष 2030 तक 34 करोड़ से अधिक महिलाएँ व लड़कियाँ ग़रीबी के गर्त में धँसने के लिए मजबूर होंगी. 

ये विश्व भर में महिला आबादी के आठ प्रतिशत को दर्शाता है.

मौजूदा प्रगति दर के आधार पर, हर चार में से लगभग एक महिला को मध्यम या गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ेगा. महिलाओं की अगली पीढ़ी, अवैतनिक देखभाल और घरेलू कार्यों में पुरुषों की तुलना में प्रति दिन 2.3 अतिरिक्त घंटे काम कर रही होंगी. 

यूएन वीमैन की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि सत्ता और नेतृत्व पदों पर लैंगिक असमानता अब भी गहराई तक समाई हुई है.

‘कार्रवाई की पुकार'

यूएन एजेंसी की कार्यवाहक कार्यकारी उपनिदेशिका, साराह हैंड्रिक्स ने इस रिपोर्ट के निष्कर्षों को स्पष्ट और तत्काल कार्रवाई की पुकार बताया है.

उन्होंने कहा, “हमें एकजुट होकर और सोच-समझकर एक ऐसे विश्व के लिए सही दिशा में काम करना होगा जहाँ हर महिला और लड़की को समान अधिकार, अवसर और प्रतिनिधित्व मिले.” 

“इसे हासिल करने के लिए, हमें सभी क्षेत्रों और हितधारकों के बीच मज़बूत प्रतिबद्धता, नए समाधान और सहयोग की आवश्यकता है.”

इस रिपोर्ट में वास्तविक समानता प्राप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की पृष्ठभूमि में, सभी 17 एसडीजी लक्ष्यों में लैंगिक पहलुओं का विस्तृत विश्लेषण किया गया है.

इस रिपोर्ट में पहली बार, लैंगिक दृष्टि से विभाजित डेटा शामिल है जो लिंग और जलवायु परिवर्तन के बीच अन्तर-सम्बन्धों पर केन्द्रित है. 

एक अनुमान के अनुसार, सबसे ख़राब जलवायु परिदृश्य की स्थिति में, जलवायु परिवर्तन के कारण इस सदी के मध्य तक, अतिरिक्त 15 करोड़ 83 लाख महिलाएँ व लड़कियाँ, निर्धनता का शिकार हो सकती हैं. 

ये संख्या पुरुषों और लड़कों की तुलना में एक करोड़ 60 लाख अधिक है.

विषमतापूर्ण हालात

रिपोर्ट दर्शाती है कि वृद्ध महिलाओं को बुज़ुर्ग पुरुषों की तुलना में ऊँचे स्तर पर निर्धनता और हिंसा का सामना करना पड़ता है.

डेटा प्रदान करने वाले 116 में से 28 देशों में, 50 फ़ीसदी से भी कम वृद्ध महिलाओं की पेंशन तक पहुँच है.

लैंगिक समानता पर आधारित पाँचवे टिकाऊ विकास लक्ष्य, एसजीडी5, की तक प्राप्ति के लिए 2030 की तय समयसीमा में से आधा समय बीत चुका है, और यह स्पष्ट है कि इसे हासिल करने के लिए प्रयास पटरी से उतर चुके हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं और लड़कियों को समर्थन देने के प्रयासों में दुनिया पिछड़ रही है, एसडीजी-5 के संकेतकों में से केवल दो ही "लक्ष्य के क़रीब" हैं और कोई भी संकेतक "लक्ष्य पूरा या लगभग पूरा" के स्तर तक नहीं पहुँचा है.

रिपोर्ट दर्शाती है कि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लैंगिक समानता व महिला सशक्तिकरण को हासिल करने के लिए प्रति वर्ष अतिरिक्त 360 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी.