'एक पृथ्वी, एक कुटुम्ब, एक भविष्य' सिद्धान्त के मार्गदर्शन में, वैश्विक संकटों से निपटने पर बल
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शुक्रवार को नई दिल्ली में एक पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन, भूराजनैतिक दरारों, हिंसक टकरावों, निर्धनता व विषमता समेत अनेकानेक संकटों से निपटने और रूपान्तरकारी बदलावों को लाने के लिए, वैश्विक समुदाय को ‘एक पृथ्वी, एक कुटुम्ब, एक भविष्य’ के सिद्धान्त को साथ लेकर चलना होगा. यूएन प्रमुख 9-10 सितम्बर को आयोजित जी20 समूह की शिखर बैठक में शिरकत करने के लिए नई दिल्ली पहुँचे हैं, जिसमें इसी थीम पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा.
इस वर्ष, जी20 समूह की अध्यक्षता भारत के पास है, और इस सिलसिले में पिछले कई महीनों से देश के अनेक शहरों में बैठकों का आयोजन किया गया है.
यूएन महासचिव ने कहा कि ‘एक पृथ्वी, एक कुटुम्ब, एक भविष्य’ उद्धरण, महा उपनिषद से प्रेरित है, जिसकी गूंज को मौजूदा दौर में गहराई तक सुना जा सकता है.
उन्होंने कहा कि “ना केवल एक शाश्वत आदर्श के रूप में, बल्कि हमारे दौर को कटघरे में खड़े किए जाने के तौर पर भी,” चूँकि यदि हम एक वैश्विक परिवार हैं, तो फ़िलहाल यह सही से काम नहीं कर पा रहा है.
“विभाजन गहरे हो रहे हैं, तनाव बढ़ते जा रहे हैं और भरोसे का क्षरण हो रहा है, जिनके एक साथ मिलने से विखंडीकरण, और अन्तत: टकराव की काली छाया उभरती है.”
विकराल चुनौतियाँ
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि दुनिया संक्रमण के एक कठिन क्षण से गुज़र रही है, जहाँ भविष्य बहुध्रुवीय नज़र आता है, लेकिन मौजूदा बहुपक्षवादी संस्थाएँ एक बीते हुए समय को ही परिलक्षित करती हैं.
“वैश्विक वित्तीय तंत्र पुराना, ख़राब पड़ चुका है और न्यायसंगत नहीं है. इसमें गहरे, ढाँचागत सुधारों की आवश्यकता है, और यही बात संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए कही जा सकती है.”
यूएन प्रमुख ने 21वीं सदी की बुनियाद में स्थापित की जाने वालीं, कारगर अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं की पुकार लगाई, जोकि यूएन चार्टर और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून पर आधारित हों, और जो मौजूदा दौर की वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व करें.
यूएन महासचिव ने बद से बदतर होते जलवायु संकट, गहरी निर्धनता, भूख व विषमता, बढ़ते हिंसक टकरावों और नई टैक्नॉलॉजी से उभर रही चुनौतियों का उल्लेख करते हुए क्षोभ प्रकट किया कि वैश्विक एकजुटता नदारद हैं.
यूएन प्रमुख ने कहा कि नई दिल्ली में जी20 शिखर बैठक में उनकी एक सरल, मगर ज़रूरी अपील है. “हम इसे जारी नहीं रहने दे सकते हैं. हमें एक साथ आना होगा और साझा भलाई के लिए साथ आना होगा.”
इस क्रम में, उन्होंने जी20 नेताओं से प्राथमकिता वाले दो क्षेत्रों में नेतृत्व दर्शाए जाने का आहवान किया.
जलवायु संकट
पहला, जलवायु मुद्दे पर नेतृत्व. उन्होंने ध्यान दिलाया कि बद से बदतर हो रहे जलवायु संकट से निपटने में जी20 की अहम भूमिका है, चूँकि इस समूह के देश, कुल 80 फ़ीसदी वैश्विक उत्सर्जनों के लिए ज़िम्मेदार हैं.
इस चुनौती पर पार पाने के लिए नेतृत्व का अर्थ है:
- तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक के लक्ष्य को जीवित रखना;
- जलवायु न्याय पर आधारित भरोसा बहाल करना;
- और, एक हरित अर्थव्यवस्था की दिशा में न्यायोचित व समतापूर्ण ढंग से क़दम बढ़ाना.
उन्होंने जलवायु एकजुटता समझौते का उल्लेख किया, जिसके अन्तर्गत बड़े उत्सर्जकों को कटौती के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे और सम्पन्न देशों द्वारा उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को मदद दी जानी होगी.
इसके समानान्तर, आमजन की पहुँच के भीतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जानी होगी और विकसित देशों को 2040 तक और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को 2050 तक नैट शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य लक्ष्य साकार करना होगा.

टिकाऊ विकास लक्ष्य
दूसरा, टिकाऊ विकास लक्ष्य को साकार करने के प्रयासों को मज़बूती देना.
उन्होंने प्रति वर्ष एसडीजी 500 अरब डॉलर के पैकेज, कर्ज़ भुगतान क़िस्तों को निलम्बित किए जाने की व्यवस्था, कर्ज़ प्रदान करने की लम्बी अवधि और कम दरों समेत अन्य उपायों को अपनाए जाने पर बल दिया.
यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि बहुपक्षीय विकास बैन्कों को अपने व्यावसायिक मॉडल में बदलाव लाना होगा ताकि निजी वित्त पोषण के समर्थन से आगे बढ़ा जा सके. इसके अलावा, जीवाश्म ईंधन को दी जाने वाली सब्सिडी को हटाकर, उसे अन्य टिकाऊ व उत्पादक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल में लाना होगा.
महासचिव ने ध्यान दिलाया कि इन उपायों से टिकाऊ विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति को मज़बूती मिलेगी, और विकासशील देशों के लिए ऊर्जा, खाद्य प्रणालियों, डिजिटल, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार व सामाजिक संरक्षा में निवेश करना सम्भव होगा.
यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि कोई भी देश, कोई भी क्षेत्र, और जी20 समेत कोई भी समूह, इन चुनौतियों का मुक़ाबला अकेले अपने दम पर नहीं कर सकता है. इसलिए, सभी को एक परिवार के रूप में एक साथ आकर, एक पृथ्वी और एक भविष्य की रक्षा करनी होगी.