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सूडान: युद्ध के चार महीने, जनजीवन की बर्बादी व मानवाधिकारों का व्यापक हनन

सूडान में संघर्ष के कारण लोगों का विस्थापित होना जारी है
UN Photo/Albert González Farran
सूडान में संघर्ष के कारण लोगों का विस्थापित होना जारी है

सूडान: युद्ध के चार महीने, जनजीवन की बर्बादी व मानवाधिकारों का व्यापक हनन

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायताकर्मियों ने, सूडान में युद्ध के चार महीने पूरे होने के अवसर पर, इस टकराव को ख़त्म किए जाने की पुकार लगाई है, जिसने लोगों के जीवनस्वास्थ्य और समग्र कल्याण पर विनाशकारी प्रभाव छोड़े हैं.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने एक वक्तव्य जारी करते हुए आगाह किया है कि सूडान में सत्ता के लिए बेक़ाबू लालच के कारण, विनाशकारी और संवेदनहीन युद्ध में, हज़ारों लोगों की जान चली गई है, घर, स्कूल, अस्पताल और अन्य आवश्यक सेवाएँ ध्वस्त हो गई हैं, बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ, साथ ही यौन हिंसा की घटनाएँ भी हुई हैं, जिन्हें युद्धापराध की श्रेणी में गिना जा सकता है.

40 लाख लोग विस्थापित 

यूएन शरणार्थी एजेंसी – UNHCR के के प्रवक्ता विलियम स्पिंडलर ने बताया है कि 15 अप्रैल को, सूडानी सशस्त्र सेनाओं और अर्द्धसैनिक त्वरित समर्थन बलों (RSF) के बीच भड़के हिंसक युद्ध के दौरान, 43 लाख से अधिक लोगों को अपने मूल स्थान छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा है.

संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम आँकड़े दर्शाते हैं कि नौ लाख से अधिक शरणार्थी, सुरक्षा की तलाश में पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए पहुँचे हैं और सूडान मे रह रहे लगभग एक लाख 95 हज़ार दक्षिण सूडानी लोगों को, देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

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प्रवक्ता विलियम स्पिंडलर ने ध्यान दिलाया कि सूडान के भीतर, 32 लाख से अधिक लोग देश के भीतर ही विस्थापित हुए हैं, जिनमें एक लाख 87 हज़ार से अधिक ऐसे शरणार्थी हैं जो, संकट शुरू होने से पहले से ही देश में रह रहे थे.

संयुक्त राष्ट्र विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रवक्ता डॉक्टर मार्गरेट हैरिस ने भी यही सन्देश दोहराते हुए, चेतावनी भरे शब्दों में कहा है कि प्रभावित क्षेत्रों के लगभग 67 प्रतिशत अस्पतालों ने काम करना बन्द कर दिया है, जिससे "लाखों लोगों" के लिए, स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा तक पहुँच नहीं रही है.

बच्चों के लिए 'मौत की सज़ा'

WHO की अधिकारी ने बताया कि यूएन एजेंसी ने, स्वास्थ्य सेवाओं पर 53 हमलों की पुष्टि की है, जिनमें 11 लोग मारे गए हैं और 38 अन्य घायल हुए हैं.

डॉक्टर मार्गरेट हैरिस ने, सूडान में असुरक्षा, जनसंख्या विस्थापन और ठप पड़ी प्रयोगशालाओं के सन्दर्भ में, ख़सरा, मलेरिया और डेंगू के मौजूदा फैलाव को नियंत्रित करने की कठिनाई के बारे में, चेतावनी भी जारी की.

उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए तो परिस्थितियाँ और भी भयावह हैं, जिनमें पाँच साल से कम उम्र के लगभग एक तिहाई बच्चे, दीर्घकालीन कुपोषिण के शिकार हैं. “ख़सरा और कुपोषण, एक साथ मिल जाएँ तो पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए, मौत का सन्देश जैसे होते हैं.” 

महिलाओं और लड़कियों पर जोखिम 

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की क्षेत्रीय निदेशिक, लैला बाकेर ने ज़ोर देकर कहा कि ये स्थिति महिलाओं और किशोरियों के लिए भी विशेष रूप से ख़तरनाक है, जिसमें प्रजनन आयु की लगभग 26 लाख महिलाओं और लड़कियों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि लगभग दो लाख 60 हज़ार महिलाएँ इस समय गर्भवती हैं और ऐसी अपेक्षा है कि उनमें से क़रीब एक लाख महिलाएँ, आने वाले तीन महीनों के भीतर अपने बच्चों को जन्म देंगी.

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय – OHCHR की प्रवक्ता लिज़ थ्रॉसेल ने आगाह किया है कि महिलाओं व लड़कियों के लिए, यौन हिंसा का जोखिम, एक अतिरिक्त ख़तरा है. उनके अनुसार, मानवाधिकार कार्यालय को, 2 अगस्त तक, 73 पीड़ितों के ख़िलाफ़ यौन हिंसा की, कुछ 32 घटनाओं की जानकारी मिली है.

प्रवक्ता लिज़ थ्रॉसेल ने दोहराया कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने, सूडान में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को बार-बार याद दिलाया है कि यौन हिंसा के लिए "शून्य सहिष्णुता" है. “ज़िम्मेदार तत्वों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और स तरह की हिंसा की, स्पष्ट व कड़े शब्दों में निन्दा की जानी चाहिए.”

संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता मामलों के समन्वय कार्यालय – OCHA  के प्रवक्ता, जेंस लाएर्के ने भी कार्रवाई की पुकार में अपनी आवाज़ मिलाते हुए आगाह किया है कि सूडान में युद्ध लोगों की ज़िन्दगियाँ और उनकी गृहभूमि तबाह कर रहा है, और उनके बुनियादी मानवाधिकारों का हनन भी कर रहा है.

उन्होंने परस्पर विरोधी बलो को "हिंसक टकराव को समाप्त करने, नागरिकों की रक्षा करने और मानवीय संगठनों को निर्बाध पहुँच प्रदान करने" का आग्रह भी किया है.